गोवा के विवादित बार और स्मृति ईरानी के पति की फर्म का पता व जीएसटी एक

विशेष रिपोर्ट: दस्तावेज़ दिखाते हैं कि गोवा का विवादित सिली सोल्स कैफे एंड बार या तो एटॉल फूड एंड बेवरेज का है या इसके द्वारा संचालित है. एटॉल एक लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप वाली कंपनी है, जिसमें ज़ुबिन ईरानी और उनके बेटे समेत ईरानी परिवार के सदस्यों की परिवार के मालिकाना हक़ वाली दो कंपनियों- उग्राया मर्सेंटाइल और उग्राया एग्रो के ज़रिये 75 प्रतिशत हिस्सेदारी है.

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स्मृति ईरानी और बैकग्राउंड में सिली सोल्स कैफे और बार. (फोटो: पीटीआई/फेसबुक)

विशेष रिपोर्ट: दस्तावेज़ दिखाते हैं कि गोवा का विवादित सिली सोल्स कैफे एंड बार या तो एटॉल फूड एंड बेवरेज का है या इसके द्वारा संचालित है. एटॉल एक लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप वाली कंपनी है, जिसमें ज़ुबिन ईरानी और उनके बेटे समेत ईरानी परिवार के सदस्यों की परिवार के मालिकाना हक़ वाली दो कंपनियों- उग्राया मर्सेंटाइल और उग्राया एग्रो के ज़रिये 75 प्रतिशत हिस्सेदारी है.

स्मृति ईरानी और बैकग्राउंड में सिली सोल्स कैफे और बार. (फोटो: पीटीआई/फेसबुक)

नई दिल्ली: गोवा में राज्य के आबकारी अधिकारियों ने ‘सिली सोल्स कैफे एंड बार’ द्वारा एक मृत व्यक्ति के नाम पर शराब का लाइसेंस पाने का आवेदन करने को लेकर सवाल उठाए हैं. विवादों के घेरे में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी भी हैं, जिन्होंने बीते दिनों दिल्ली हाईकोर्ट को बताया है कि न ही वो और न ही उनकी बेटी इस बार को चलाते हैं.

हालांकि जो बात उन्होंने अदालत को नहीं बताईं वो हैं-

1) ये विवादास्पद बार और रेस्तरां उसी पते- हाउस नंबर 452, बाउटा वड्डो, असगांव, से संचालित है, जहां से उनके पति जुबिन ईरानी और परिवार द्वारा नियंत्रित एक कंपनी एटॉल फूड एंड बेवरेज अपना कारोबार करती है;

2) द वायर  को मिली जानकारी के अनुसार, ईरानी परिवार की कंपनी को असगांव के पते पर आवंटित जीएसटी नंबर वही जीएसटी नंबर है, जो सिली सोल्स कैफे और बार ने रेस्तरां एग्रीगेटर वेबसाइट पर दायर किया है;

3) द वायर  द्वारा प्राप्त, 31 मार्च, 2021 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए ईरानी परिवार की कंपनी द्वारा दायर बैलेंस शीट और लाभ/ हानि स्टेटमेंट (Profit/Loss Statements) से पता चलता है कि कंपनी ने वर्ष के दौरान ‘सामग्री और शराब’ और खाने की खरीद पर पैसा खर्च किया, साथ ही खाने और शराब की बिक्री की. इसके साथ ही इसकी खाने और शराब की फेहरिस्त दिखाती है कि एटॉल फूड एंड बेवरेज (ईएफएबी) के व्यवसाय में शराब की बिक्री शामिल है, जिसके लिए क़ानूनी लाइसेंस की जरूरत होती है. कंपनी के घोषित किए गए उद्देश्यों में से एक ‘रेस्तरां चलाना’ भी है.

इसके साथ ही जुबिन ईरानी के इंस्टाग्राम एकाउंट- जिसे मंत्री महोदया भी फॉलो करती हैं- पर उनके बायो में उन्होंने खुद को सिली सोल्स का ‘को-फाउंडर’ बताया है. इसी तरह, मशहूर फूड-क्रिटिक कुनाल विजयकर को दिए एक इंटरव्यू में ईरानी दंपति की 18 साल की बेटी जोइश यह पूछे जाने पर कि ‘क्या सिली सोल्स रेस्तरां उनका है’ जवाब में हामी में सिर हिलाती हैं.

जुबिन ईरानी के इंस्टाग्राम बायो में उन्होंने खुद को सिली सोल्स का को-फाउंडर बताया है.

ये सभी तथ्य इशारा करते हैं कि या तो सिली सोल्स कैफे एंड बार या तो ईएफएबी का है या इसके द्वारा संचालित है. एटॉल फूड एंड बेवरेज एक लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप वाली कंपनी है, जिसमें जुबिन ईरानी और उनके बेटे समेत ईरानी परिवार के सदस्यों की परिवार के मालिकाना हक़ वाली दो कंपनियों- उग्राया मर्सेंटाइल और उग्राया एग्रो के जरिये 75 प्रतिशत हिस्सेदारी है.

स्मृति ईरानी के वकील कीरत सिंह नागरा ने दावा किया है कि रेस्तरां के साथ ज़ोइश ईरानी की बातचीत एक ‘इंटर्नशिप’ तक ही सीमित थी, हालांकि ईरानी परिवार ने रेस्तरां के स्वामित्व पर कोई टिप्पणी नहीं की है. हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में स्मृति ईरानी ने बस इतना कहा है कि ‘रेस्तरां के स्वामित्व और जिस संपत्ति पर यह बना है, उससे संबंधित दस्तावेज और जानकारी, रेस्तरां को मिला लाइसेंस, सभी सार्वजनिक डोमेन में हैं.’

क्या कहते हैं रिकॉर्ड्स

ईएफएबी का स्वामित्व. (स्रोत: आरओसी फाइलिंग)

कंपनी रजिस्ट्रार के रिकॉर्ड के मुताबिक, ईएफएबी लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (एलएलपी) के अन्य मालिक गीता वजानी, हर्ष खनेजा और कनिका सेठ हैं.

पिछले एक हफ्ते के दौरान द वायर  ने असगांव में ईएफएबी के संचालन की प्रकृति और इसके सिली सोल्स कैफे एंड बार के साथ रिश्ते को समझने की कोशिश में उग्राया मर्सेंटाइल और उग्राया एग्रो के मालिक के बतौर जुबिन ईरानी समेत इन सभी को सवाल भेजे हैं, जिनका अब तक जवाब नहीं मिला है.

पिछले हफ्ते ही ईमेल और ट्विटर के माध्यम से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से भी विस्तृत प्रश्न पूछे गए थे, लेकिन ये भी अनुत्तरित रहे. जब भी वे या ईएफएबी के असल हिस्सेदारों में से कोई भी जवाब देता है, उसे इस रिपोर्ट में जोड़ा जाएगा.

मृत व्यक्ति के नाम शराब का लाइसेंस

सिली सोल्स को लेकर हुए विवाद की शुरुआत 21 जुलाई को तब हुई जब हेराल्ड गोवा ने एक आरटीआई जवाब के आधार पर रिपोर्ट प्रकाशित की. इसमें वकील और कार्यकर्ता एरेस रोड्रिग्स को मिले जवाब के आधार पर आरोप लगाया गया था कि राज्य के आबकारी विभाग ने सिली सोल्स का आबकारी लाइसेंस का अवैध रूप से रिन्यू किया था.

वेबसाइट का दावा था कि रेस्तरां स्मृति ईरानी के परिवार से संबद्ध है लेकिन आगे कोई जानकारी नहीं दी गई थी. इसने बताया कि शराब का लाइसेंस किसी एंथनी डी’गामा के नाम पर जारी किया गया था जिनकी सालभर पहले मौत हो चुकी है.

रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि आबकारी विभाग ने 18 फरवरी 2021 को सिली सोल्स को असगांव परिसर के लिए शराब का लाइसेंस दिया जबकि सिली सोल्स ने रेस्तरां चलाने के लिए कानूनन जरूरी वैध लाइसेंस ही जमा नहीं किया था.

रोड्रिग्स की शिकायत पर ही आबकारी आयुक्त ने इस रेस्तरां के नाम कारण बताओ नोटिस जारी किया और इसके बाद कांग्रेस के नेताओं ने प्रेस वार्ता की, जिसमें उन्होंने ईरानी को निशाना बनाते हुए प्रधानमंत्री से उन्हें बर्खास्त करने की मांग की.

इसके जवाब में स्मृति ईरानी ने एक प्रेस वार्ता बुलाई लेकिन इसमें उन्होंने कोई सवाल नहीं लिया. फिर उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में जयराम रमेश, पवन खेड़ा समेत कांग्रेस नेताओं के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया. इस मामले में प्रथमदृष्टया जस्टिस मिनी पुष्कर्णा ने माना है कि ‘ये आरोप बिना सत्यापित तथ्यों के लगाए गए, मंत्री या उनकी बेटी सिली सोल्स की मालिक नहीं हैं’ और कांग्रेस नेताओं द्वारा किए गए ‘मानहानिकारक’ ट्वीट्स और सोशल मीडिया पोस्ट चौबीस घंटों के भीतर हटाए जाएं.

यह स्पष्ट नहीं है कि अदालत स्मृति ईरानी की याचिका से कैसे निपटती अगर उसे ज्ञात होता कि स्मृति ईरानी के पति के अपने परिवार के स्वामित्व वाली कंपनियों के माध्यम से उसी पते, जहां सिली सोल्स कैफे और बार स्थित है, से संचालित होने वाले कारोबार से जुड़े हैं. और यह कि दोनों संस्थाएं एक ही जीएसटी नंबर इस्तेमाल करती हैं और ईरानी परिवार की फर्म के व्यवसाय में शराब की खरीद भी शामिल है.

क्या है एटॉल एलएलपी की कहानी

ईएफएबी एक लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप वाली कंपनी है जो 11 दिसंबर, 2020 को मुंबई में शुरू हुई थी, जिसमें गीता योगेश वजानी, हर्ष खनेजा और कनिका सेठ बतौर नामित भागीदार (Nominated partners) और राहुल वोहरा और मंगेश गंगाराम जोशी बॉडी कॉरपोरेट डीपी के रूप में शामिल थे. (कंपनी अधिनियम के अनुसार, एलएलपी में कम से कम दो नामित भागीदार होने चाहिए. अगर ये दो से कम है और अन्य पार्टनर बॉडी कॉरपोरेट या अन्य कंपनियां हैं, तो ऐसे बॉडी कॉरपोरेट को एलएलपी में नामित भागीदारों के रूप में काम करने के लिए व्यक्तियों को नामित करना चाहिए.)

18 जनवरी, 2021 को, ईएफएबी एलएलपी ने गोवा में खुद को जीएसटी नंबर के लिए पंजीकृत किया और इसे हाउस नंबर 452, बाउटा वड्डो, असगांव, गोवा से संचालित करने के लिए 30AAIFE7039H1ZM जीएसटी नंबर आवंटित किया गया. हमें एक और लिंक मिला जो बताता है कि सिली सोल्स कैफे और बार के फेसबुक पेज पर संपर्क के लिए जो ईमेल आईडी दी गई है, वो [email protected] है.

सिली सोल्स के जीएसटी सर्टिफिकेट की प्रति.

द वायर  ने जीएसटी नंबर की जांच के लिए एक लोकप्रिय रेस्तरां एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म में अपने स्रोतों का इस्तेमाल किया, जिससे सिली सोल्स जुड़ा हुआ है, क्योंकि डी’गामा परिवार ने गोवा के एक्साइज आयुक्त के नोटिस के जवाब में दावा किया है कि वह इस कैफे और बार का मालिक है और इसे चलाता है.

डी’गामा परिवार पहले समान पते से एक होमस्टे चलाया करता था, लेकिन परिवार द्वारा पंजीकृत दो नामों- द डी’गामास और डी’गामास लक्स के लिए जीएसटी तलाशने पर कुछ नहीं मिला. गोवा सरकार की वह सूची जिसमें ‘राज्य के अधिकारक्षेत्र के 19,287 ऐसे करदाता हैं, जिनका टर्नओवर डेढ़ करोड़ रुपये से कम’ है, में भी डी’गामा परिवार या उनका होमस्टे शामिल नहीं है.

रेस्तरां एग्रीगेटर स्रोत ने पुष्टि की है कि सिली सोल्स कैफे और बार ने अपना जीएसटी नंबर 30AAIFE7039H1ZM बताया है- जो ईएफएबी एलएलपी वाला समान जीएसटी नंबर है- और एग्रीगेटर को उसी नंबर के साथ बने पंजीकरण प्रमाण पत्र की एक प्रति दी है.

तो ईएफएबी एलएलपी, जो इस इस रेस्तरां की मालिक है, के पीछे कौन लोग या कंपनियां हैं?

कॉरपोरेट मामलों के डायरेक्टर मास्टर डेटा के अनुसार, जुबिन फरीदून ईरानी उग्राया एग्रो फार्म्स प्राइवेट लिमिटेड और उग्राया मर्सेंटाइल  प्राइवेट लिमिटेड में निदेशक हैं. स्मृति ईरानी द्वारा दायर फॉर्म 1 (संपत्ति और देनदारियों की घोषणा के लिए) में बताया गया है कि उनके पति जुबिन के इन दोनों कंपनियों में शेयर हैं.

इससे पहले, 2018 की घोषणा के अनुसार, प्रत्येक कंपनी के शेयरों में उनका 95% हिस्सा था. उनकी 2021 की फाइलिंग से पता चलता है कि उनके पति अभी भी दोनों कंपनियों के 67% मालिक हैं. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, शेष 33% उनके तीन बच्चों- शैनेल ईरानी, जोहर ईरानी और ज़ोइश ईरानी के बीच समान रूप से बंटा हुआ है.

उग्राया मर्सेंटाइल बोर्ड का प्रस्ताव, जिस पर जुबिन ईरानी ने दस्तखत किए हैं.

5 नवंबर, 2020 को उग्राया मर्सेंटाइल प्राइवेट लिमिटेड और उग्राया एग्रो फार्म्स प्राइवेट लिमिटेड ने ईएफएबी एलएलपी को शामिल करने का निर्णय लेते हुए बोर्ड प्रस्ताव पारित किए. यह प्रस्ताव रखा गया कि उग्राया मर्सेंटाइल ईएफएबी के 50% शेयर रखेगी और राहुल वोहरा को डीपी नामित के रूप में नामित किया. बोर्ड के प्रस्ताव पर जुबिन ईरानी ने दस्तखत किए.

उग्राया एग्रो फार्म्स प्राइवेट लिमिटेड ने ईएफएबी एलएलपी में 25% शेयर पूंजी निवेश का प्रस्ताव रखा और जुबिन ईरानी की कई कंपनियों में निदेशक मंगेश गंगाराम जोशी को अपना डीपी बनाया.

सरल तरीके से समझें तो, जुबिन ईरानी और उनके बच्चे, जो उग्राया एग्रो और उग्राया मर्सेंटाइल के मालिक हैं, के पास ईएफएबी एलएलपी के 75% शेयर हैं, (जिसकी फाइलिंग के हिसाब से देखें तो) जो सिली सोल्स कैफे और बार, जो ईएफएबी वाला समान जीएसटी नंबर इस्तेमाल करता है, की जगह से ही एक रेस्तरां व्यवसाय की तरह काम कर रहा है.

हमने ईएफएबी की उपलब्ध अंतिम बैलेंस शीट जांची और पुष्टि की है कि दो बोर्ड प्रस्तावों में क्या कहा गया था. 31 मार्च, 2021 तक दो उग्राया कंपनियों के पास एलएलपी के 75% शेयर हैं. तत्कालीन साझेदार- हर्ष खनेजा और कनिका सेठ, प्रत्येक के पास 10% और गीता योगेश वजानी के पास शेष 5% शेयर थे (ऊपर स्वामित्व डेटा वाली तस्वीर देखें).

1 जून, 2021 को कनिका सेठ बाहर हो गईं और 15 नवंबर, 2021 को हर्ष खनेजा ने भी ईएफएबी से इस्तीफा दे दिया. 30 नवंबर, 2021 को, एक अन्य कंपनी टैरोनिश हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड, जो ईएफएबी एलएलपी वाला आधिकारिक पता ही साझा करती है, ने ईएफएबी में 20% हिस्सेदारी लेने के लिए एक बोर्ड प्रस्ताव पारित किया. मंगेश गंगाराम जोशी और योगेश कांतिलाल वजानी टैरोनिश के निदेशक हैं. मंगेश जोशी ने योगेश वजानी को डीपी उम्मीदवार के रूप में अधिकृत किया और इस प्रस्ताव पर दस्तखत किए.

योगेश कांतिलाल वजानी एक चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं और उनके दफ्तर के पते पर ये दोनों कंपनियां पंजीकृत हैं.

वकील और एक्टिविस्ट एरेस रोड्रिग्स, जिनकी आरटीआई से यह विवाद उपजा, ने द वायर  को बताया कि 29 जुलाई को सिली सोल्स बार और कैफे को दिए गए बार लाइसेंस पर हुई आबकारी सुनवाई में डी’गामा परिवार के वकील ने कहा कि वह प्रॉपर्टी, जहां से रेस्तरां और बार संचालित होता है, के मालिक ही इसके कानूनी मालिक है, ईएफएबी नहीं.

लेकिन आरओसी में ईएफएबी की फाइलिंग अलग ही तस्वीर पेश करती हैं. कंपनी के प्रॉफिट और लॉस विवरण में कहा गया है कि इसने सामान और शराब की खरीद पर करीब 13 लाख रुपये खर्च किए हैं. तो अगर ईएफएबी किसी बार का मालिक नहीं है, बस रेस्तरां चलाता है तो इसने खाने और शराब की खरीद पर इतनी राशि क्यों खर्च की है?

31 मार्च, 2021 को ख़त्म हुए वित्त वर्ष के लिए वित्तीय विवरणों पर ईएफएबी के नोट्स में रसोई के उपकरण, रेफ्रिजरेटर और अन्य चीजों के अलावा एक ‘फूड ट्रक स्ट्रक्चर’ का भी जिक्र है.

विवरण में यह भी जिक्र है कि 31 मार्च, 2021 तक कंपनी के पास 3.35 लाख रुपये की शराब थी, और इस समय तक इसने 19.6 लाख रुपये की खाने की और 3.12 लाख रुपये की शराब की बिक्री की थी.

इसी से जुड़ा एक और मसला यह है कि अगर बार लाइसेंस मरहूम एंथनी डी’गामा के बेटे डीन डी’गामा के नाम पर है, तो ईएफएबी अपने कारोबार के लिए इसका इस्तेमाल नहीं कर सकता है. गोवा उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1964 के नियम 90 के अनुसार, ‘नियम 90 के तहत किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के संघ जैसे फर्म और कानूनी व्यक्ति जैसे कंपनी, को दिया गया लाइसेंस बिल्कुल व्यक्तिगत है और हस्तांतरणीय नहीं है.’

द वायर  ने डीन डी’गामा से संपर्क करने का प्रयास किया था लेकिन ईरानी परिवार की ही तरह उन्होंने कॉल, मैसेज और ईमेल्स का जवाब नहीं दिया.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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