कोविड-19 के कारण 4,345 बच्चों ने अपने माता-पिता को गंवाया: सरकार

इससे पहले दिसंबर 2021 में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि अप्रैल 2020 से लेकर सात दिसंबर 2021 तक 9,855 बच्चे अनाथ हो चुके हैं, 1,32,113 बच्चे अपने माता-पिता में से किसी एक को खो चुके हैं और 508 बच्चों को छोड़ दिया गया है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

इससे पहले दिसंबर 2021 में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि अप्रैल 2020 से लेकर सात दिसंबर 2021 तक 9,855 बच्चे अनाथ हो चुके हैं, 1,32,113 बच्चे अपने माता-पिता में से किसी एक को खो चुके हैं और 508 बच्चों को छोड़ दिया गया है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बुधवार को संसद को बताया कि कोविड-19 महामारी के के कारण 4,345 बच्चों ने अपने परिजन खो दिए और इस मामले में अन्य राज्यों के मुकाबले महाराष्ट्र सबसे आगे रहा, जहां ऐसे बच्चों की संख्या 790 है.

केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यसभा को एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी.

कोविड-19 संक्रमण के कारण अपने माता और पिता को गंवाने वाले बच्चों की संख्या के बारे में पूछे गए गए प्रश्न पर ईरानी ने 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के आंकड़े प्रस्तुत करते हुए बताया कि ऐसे बच्चों की कुल संख्या 4,345 है.

उनके मुताबिक, महाराष्ट्र में 790, उत्तर प्रदेश में 441, मध्य प्रदेश में 428, तमिलनाडु में 394 और आंध्र प्रदेश में 351 बच्चों ने अपने माता और पिता को कोरोना की वजह से गंवाया.

इसके अलावा तेलंगाना में 256, गुजरात में 223, कर्नाटक में 221, राजस्थान में 206, दिल्ली में 144, छत्तीसगढ़ में 109 और ओडिशा में 108 बच्चों के अनाथ होने की सूचना दी गई.

केंद्रीय मंत्री द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के मुताबिक त्रिपुरा, सिक्किम, लक्षद्वीप, लद्दाख और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में एक भी ऐसा बच्चा नहीं है, जिसने कोविड-19 के कारण अपने माता-पिता को गंवाया.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 महामारी के कारण माता-पिता खो चुके बच्चों का सहयोग करने के लिए पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना की घोषणा की है.

उन्होंने कहा कि इस योजना का उद्देश्य बच्चों की व्यापक देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित करना और स्वास्थ्य बीमा के माध्यम से उनका कल्याण करना, शिक्षा के माध्यम से उन्हें सशक्त बनाना तथा उन्हें 23 वर्ष की आयु तक वित्तीय सहायता के जरिए आत्मनिर्भर बनाना है.

गौरतलब है कि पिछले साल दिसंबर में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि अप्रैल, 2020 से लेकर सात दिसंबर, 2021 तक 9,855 बच्चे अनाथ हो चुके हैं, 1,32,113 बच्चे अपने माता-पिता में से किसी एक को खो चुके हैं और 508 बच्चों को छोड़ दिया गया है.

इससे पहले जून 2021 में एनसीपीसीआर ने शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि एक अप्रैल 2020 से पांच जून 2021 तक विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा सौंपे गए आंकड़ों के मुताबिक कोरोना काल में 30,071 बच्चों के माता या पिता या माता-पिता दोनों की मौत हो गई है.

मई 2021 महीने में केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी से अनाथ बच्चों के लिए कई कल्याणकारी योजना की घोषणा की थी. ऐसे बच्चों को 18 साल की उम्र में मासिक छात्रवृत्ति और 23 साल की उम्र में पीएम केयर्स से 10 लाख रुपये का फंड मिलेगा.

इसके अलावा सरकार द्वारा उन बच्चों की नि:शुल्क शिक्षा भी सुनिश्चित की जाएगी. उच्च शिक्षा के लिए उन्हें शिक्षा ऋण दिलवाने में मदद की जाएगी और पीएम केयर्स फंड इस लोन पर ब्याज का भुगतान करेगा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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