2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से निर्वाचन आयोग ने सोशल मीडिया से हेट स्पीच के 130 मामले रिपोर्ट किए

राज्यसभा में केंद्रीय क़ानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान हेट स्पीच के 58 मामले सामने आए थे. 2020 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान 34 मामले दर्ज किए गए, जबकि असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुदुचेरी में 2021 के चुनावों के दौरान ऐसे 29 मामले दर्ज किए गए थे.

(फोटो: पीटीआई)

राज्यसभा में केंद्रीय क़ानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान हेट स्पीच के 58 मामले सामने आए थे. 2020 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान 34 मामले दर्ज किए गए, जबकि असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुदुचेरी में 2021 के चुनावों के दौरान ऐसे 29 मामले दर्ज किए गए थे.

किरेन रिजिजू. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सरकार ने गुरुवार को संसद को बताया कि 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद से चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से नफरत भरे भाषण (Hate Speech) के 130 मामले रिपोर्ट किए हैं.

राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि झारखंड (2019) और बिहार (2020) राज्य चुनावों के दौरान ऐसा कोई मामला दर्ज नहीं किया गया था, जबकि 58 मामले लोकसभा चुनाव के दौरान दर्ज किए गए थे.

इसके अनुसार, 2020 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान 34 मामले दर्ज किए गए, जबकि असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुदुचेरी में 2021 के चुनावों के दौरान 29 मामले दर्ज किए गए.

2019 में महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान केवल एक मामला दर्ज किया गया था, जबकि इस साल गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में आठ मामले दर्ज किए गए थे.

मंत्री ने यह भी कहा कि पिछले पांच वर्षों में चुनाव के दौरान डेटा लीक के संबंध में राजनीतिक दलों से चुनाव आयोग को कोई शिकायत नहीं मिली है.

(स्रोत: राज्यसभा)

सरकार ने कहा कि चुनाव आयोग और इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) 2019 के आम चुनावों के लिए ‘स्वैच्छिक आचार संहिता’ पर पारस्परिक रूप से सहमत हुए थे.

सरकार ने कहा, ‘सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के स्वतंत्र, निष्पक्ष और नैतिक उपयोग को सुनिश्चित करने और चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को बनाए रखने के लिए यह संहिता विकसित की गई है. मध्यवर्ती प्लेटफॉर्म भी मतदाता शिक्षा और जागरूकता के लिए अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’

सरकार के अनुसार, ‘चुनाव आयोग स्वैच्छिक आचार संहिता के अनुसरण में विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, भारतीय दंड संहिता और अन्य चुनावी कानून के विभिन्न प्रावधानों के अनुसार आपत्तिजनक पाई गई सामग्री (लिंक, वीडियो, पोस्ट, ट्वीट) को हटाने का निर्देश देता रहा है.’

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