यूपी के मंत्री शस्त्र अधिनियम मामले में दोषी क़रार, अदालत से फ़रार होने का आरोप

अभियोजन अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार में लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यम मंत्री राकेश सचान को अदालत ने जब 31 साल पुराने मामले में दोषी ठहराया और बचाव पक्ष को सज़ा पर बहस शुरू करने को कहा, तब सचान वहां से चले गए. इस संबंध में अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट के निर्देश पर कानपुर कोतवाली में मंत्री के ख़िलाफ़ तहरीर दी गई है.

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राकेश सचान. (फोटो साभार: फेसबुक)

अभियोजन अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार में लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यम मंत्री राकेश सचान को अदालत ने जब 31 साल पुराने मामले में दोषी ठहराया और बचाव पक्ष को सज़ा पर बहस शुरू करने को कहा, तब सचान वहां से चले गए. इस संबंध में अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट के निर्देश पर कानपुर कोतवाली में मंत्री के ख़िलाफ़ तहरीर दी गई है.

राकेश सचान. (फोटो साभार: फेसबुक)

कानपुर: कानपुर की एक अदालत ने शनिवार को उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री राकेश सचान को शस्त्र अधिनियम के तीन दशक से अधिक पुराने मामले में दोषी ठहराया, जिसके बाद विधायक ‘जमानत मुचलका’ भरे बिना अदालत कक्ष से ‘गायब’ हो गए.

मंत्री ने हालांकि, अदालत से गायब होने के आरोपों का खंडन किया है. उनका दावा है कि ‘मामला अंतिम फैसले के लिए सूचीबद्ध नहीं था.’

अभियोजन अधिकारी (पीओ) ऋचा गुप्ता ने बताया कि अदालत ने जब उन्हें दोषी ठहराया और बचाव पक्ष को सजा पर बहस शुरू करने को कहा, तब सचान वहां से चले गए.

गुप्ता ने बताया कि सचान ‘जमानत मुचलका भरे बिना’ अदालत से चले गए और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी.

पुलिस आयुक्त बीपी जोगदंड ने पुष्टि की है कि सचान के खिलाफ लिखित शिकायत मिली है.

हालांकि, वह एफआईआर में बताए गए आरोपों के बारे में विस्तार से बताने में विफल रहे और दावा किया कि उन्होंने अब तक व्यक्तिगत रूप से एफआईआर की सामग्री को नहीं देखा है.

ऋचा ने बताया कि तत्कालीन थाना प्रभारी ब्रजमोहन उडनिया ने 1991 में कानपुर के नौबस्ता में राकेश सचान से एक हथियार (राइफल) बरामद किया था और वैध हथियार लाइसेंस पेश करने में विफल रहने के बाद उनके खिलाफ सशस्त्र अधिनियम का मामला दर्ज किया गया था.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सचान को अदालत ने दोषसिद्धि आदेश की प्रति हस्ताक्षर करने के लिए दी गई थी, जिसे लेकर वह ‘फरार’ हो गए.

उन्होंने कहा कि मंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्णय वरिष्ठ न्यायिक सहयोगियों के साथ मैराथन बैठक के बाद लिया गया था, क्योंकि उनका मानना था कि बिना कार्रवाई के उन्हें छोड़ देने से पीठासीन अधिकारी को परेशानी हो सकती है.

कानपुर देहात जिले में मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए राकेश सचान ने गुपचुप तरीके से अदालत कक्ष छोड़ने के आरोपों से इनकार किया. उन्होंने स्वीकार किया कि वह अदालत गए थे, लेकिन अंतिम फैसले के लिए कोई मामला सूचीबद्ध नहीं था.

उन्होंने कहा कि उनके वकील ने अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने की छूट देने के लिए अर्जी दी है. मंत्री ने कहा कि वह अदालत के फैसले का सम्मान करेंगे.

कानपुर के किदवई नगर के रहने वाले राकेश सचान ने 90 के दशक की शुरुआत में समाजवादी पार्टी के साथ राजनीति में प्रवेश किया था. 1993 और 2002 में वह घाटमपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे, जबकि 2009 में उन्होंने फतेहपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस पार्टी से चुनाव जीता था.

सचान वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे. 2022 में कानपुर देहात की भोगनीपुर विधानसभा सीट से निर्वाचित होने के बाद योगी सरकार में मंत्री बने.

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, कानपुर में आर्म्स एक्ट के 31 साल पुराने मुकदमे में दोषी करार दिए जाने के बाद सजा सुनाए जाने से पहले ही आदेश लेकर फरार हो जाने वाले एमएसएमई (लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यम) मंत्री राकेश सचान के खिलाफ कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई जा रही है. अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट तृतीय आलोक यादव के निर्देश के बाद शनिवार देर शाम पेशकार ने कोतवाली में राकेश के खिलाफ तहरीर दी.

आरोप है कि मंत्री राकेश सचान के पास से बरामद राइफल के नौबस्ता में हुई छात्र नेता नृपेंद्र सचान की हत्या के मामले में भी प्रयोग किए जाने की बात सामने आई थी. मामले में सभी गवाही पूरी हो चुकी थी. शनिवार को फैसला सुनाया जाना था.

अदालत में राकेश सचान के अधिवक्ता अविनाश कटियार का तर्क था कि बरामद राइफल राकेश के नाना की थी. सचान को दोषी करार दिए जाने की सूचना पर वकीलों में वेष में कुछ लोग अदालत में घुस गए और हंगामा होने लगा. इसी बीच राकेश सचान आदेश की प्रति लेकर रफूचक्कर हो गए.

अमर उजाला के अनुसार राकेश सचान ने कहा, ‘मैं कहीं भी फरार नहीं हुआ हूं. बेवजह का दुष्प्रचार किया जा रहा है. 1991 में आर्म्स एक्ट का एक मामला था, जिसमें मेरे नाना के नाम का एक असलहा था, जिसको फर्जी बताते हुए उस समय पुलिस ने मुझ पर मुकदमा दर्ज किया था. उसी की कोर्ट में सुनवाई थी.’

उन्होंने कहा, ‘यह मामला काफी समय से चल रहा है. मेरे वकील ने कहा कि आज (शनिवार) पेशी पर आना है. इस वजह से मैं गया था. वकील से बात करने के बाद वापस आ गया. कोर्ट में पेशी के बाद मैं कई कार्यक्रमों में भी शामिल हुआ. शाम को पनकी में उद्यमियों की ओर से आयोजित एक बैठक में भी गया. मेरे ऊपर कोई नया मुकदमा दर्ज किए जाने की सूचना मुझे नहीं है.’

मंत्री को सजा सुनाई जाने के बाद समाजवादी पार्टी ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर निशाना साधा है.

पार्टी ने ट्वीट किया, ‘यूपी में कंठ तक भ्रष्टाचार में डूबे भाजपाई! योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री राकेश सचान को 35 साल पुराने चोरी के मामले में कोर्ट ने सुनाई सजा. सजा सुनते ही कोर्ट से भाग निकले मंत्री महोदय. शर्मनाक! यही है भाजपाइयों का असली चरित्र। मंत्री से तत्काल इस्तीफा लें मुख्यमंत्री.’

पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा, ‘भाजपा के मंत्री के साथ-साथ फरार आईपीएस को भी ढूंढ लीजिएगा.’

रविवार को उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने व्यंग्य करते हुए ट्वीट किया, ‘कोर्ट में फैसला आने को ही था कि मंत्री जी को लगा कॉमन वेल्थ के कोर्ट में हैं. इसीलिए मेडल लेने को भागने लगे.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)