महाराष्ट्र: शादी में ग्राम देवता को आमंत्रित न करने पर आरटीआई कार्यकर्ता के परिवार का बहिष्कार

महाराष्ट्र के रत्नागिरी ज़िले का मामला. आरटीआई कार्यकर्ता ने इस संबंध में पुलिस में शिकायत की थी, लेकिन इसे दर्ज नहीं किया गया था. अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता डॉ. नरेंद्र दाभोलकर द्वारा स्थापित महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के सदस्यों के हस्तक्षेप के बाद में शिकायत दर्ज हो सकी थी.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

महाराष्ट्र के रत्नागिरी ज़िले का मामला. आरटीआई कार्यकर्ता ने इस संबंध में पुलिस में शिकायत की थी, लेकिन इसे दर्ज नहीं किया गया था. अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता डॉ. नरेंद्र दाभोलकर द्वारा स्थापित महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के सदस्यों के हस्तक्षेप के बाद में शिकायत दर्ज हो सकी थी.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

पुणे: महाराष्ट्र के पुणे शहर स्थित सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता भगवान निवड़ेकर के परिवार को कथित तौर पर बेटी की शादी में गांव के देवता को आमंत्रित करने की परंपरा का पालन नहीं करने के लिए रत्नागिरी जिले में उनके पैतृक स्थान पर सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ा है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार निवड़ेकर ने बीते 25 जुलाई को रत्नागिरी के लांजा पुलिस स्टेशन में कथित सामाजिक बहिष्कार की शिकायत की थी. यह शिकायत भी तब दर्ज हो सकी जब अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता डॉ. नरेंद्र दाभोलकर द्वारा स्थापित महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (एमएएनएस) के सदस्य थाने पहुंच गए थे.

समिति के सदस्यों ने कहा कि बीते 8 अगस्त को पुलिस ने कार्रवाई की. पुलिस ने उन ग्रामीणों को बुलाया, जिन्होंने निवड़ेकर के परिवार पर सामाजिक बहिष्कार का आरोप लगाया था और उन्हें चेतावनी दी थी.

रत्नागिरी के लांजा तालुका के बेनी खुर्द गांव के मूल निवासी, निवड़ेकर पाषण में रहते हैं और पुणे नगर निगम (पीएमसी) के जल आपूर्ति विभाग में काम करते हैं.

उन्होंने कहा कि उनकी बेटी की शादी 1 मई को पुणे में आयोजित एक समारोह में हिमाचल प्रदेश के एक व्यक्ति से हुई थी. उन्होंने समारोह के लिए अपने पैतृक गांव और अन्य स्थानों से अपने परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और दोस्तों को आमंत्रित किया था.

निवड़ेकर ने बताया, ‘इसके बाद बीते 15 जून को हमारे गांव में महत्वपूर्ण धार्मिक समारोहों का नेतृत्व करने वाले ‘गावकर परिवार’ के सदस्यों ने एक बैठक बुलाई और मेरे और मेरे परिवार को हमारे समुदाय में सभी धार्मिक अनुष्ठानों से सामाजिक रूप से बहिष्कार करने का प्रस्ताव रखा, क्योंकि मैंने मेरी बेटी की शादी में स्थानीय देवता को आमंत्रित करने की परंपरा का पालन नहीं किया था.’

उन्होंने आगे कहा, ‘16 जून को गांव में रहने वाली मेरी मां यमुनाबाई को सामाजिक बहिष्कार के बारे में पता चला. वे चिंतित हो गईं और मुझे इसकी सूचना दी. 20 जून को मैंने उस बैठक में उपस्थित समुदाय के सदस्यों में से एक से फोन पर बात की, जिसमें मेरे परिवार को धार्मिक अनुष्ठानों से बहिष्कार करने का निर्णय लिया गया था.’

निवड़ेकर ने कहा कि उन्हें महसूस हुआ कि यह एक गंभीर मुद्दा था और उनके परिवार को ‘जाट पंचायत’ शैली में परेशानी हुई थी.

उन्होंने कहा, ‘मैंने इस बारे में जानकारी इकट्ठी की कि इस मामले में कैसे कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. मैंने महाराष्ट्र सामाजिक बहिष्कार (रोकथाम, निषेध और निवारण) से लोगों के संरक्षण अधिनियम 2016 के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की मांग करते हुए एक पुलिस शिकायत दर्ज कराई. मैंने फोन कॉल की एक ऑडियो रिकॉर्डिंग भी प्रस्तुत की, यह दिखाने के लिए कि हमारा बहिष्कार कैसे किया गया.’

इस संबंध में निवड़ेकर ने महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति से मदद मांगी. तब संगठन की राज्य समिति की सदस्य नंदिनी जाधव की अध्यक्षता में एक टीम लांजा पुलिस स्टेशन गई. जाधव ने कहा, ‘पुलिस ने निवड़ेकर की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की थी. हमने सीनियर इंस्पेक्टर दादासाहेब घुटुकड़े से बात की, जिन्होंने तुरंत अपने अधीनस्थों को कार्रवाई करने के लिए कहा.’

जाधव ने आगे कहा, ‘पुलिस ने यशवंत निवड़ेकर, चंद्रकांत निवड़ेकर और शांताराम निवड़ेकर नाम के तीन लोगों को बुलाया, जो कथित तौर पर परिवार के सामाजिक बहिष्कार में शामिल थे. हमारे संगठन के कार्यकर्ताओं ने उन्हें यह जानकारी दी कि सामाजिक बहिष्कार कैसे कानून के अनुसार एक अपराध है. पुलिस ने भी उन्हें चेतावनी दी और उनका लिखित बयान लिया कि वे इस तरह की हरकत आगे नहीं करेंगे.’

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