किसान महापंचायत: भारतीय किसान यूनियन ने कहा- उन्हें दिल्ली आने से रोका गया, विरोध तेज़ होगा

किसान यूनियनों ने अपनी मांगों के संबंध में भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा करने के लिए यह महापंचायत बुलाई है, जिसमें मुख्य रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए क़ानूनी गारंटी और लखीमपुर खीरी हिंसा में आशीष मिश्रा की संलिप्तता को देखते हुए उनके पिता केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्ख़ास्त करने का मुद्दा शामिल है.

(प्रतीकात्मक फाइल फोटो: पीटीआई)

किसान यूनियनों ने अपनी मांगों के संबंध में भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा करने के लिए यह महापंचायत बुलाई है, जिसमें मुख्य रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए क़ानूनी गारंटी और लखीमपुर खीरी हिंसा में आशीष मिश्रा की संलिप्तता को देखते हुए उनके पिता केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्ख़ास्त करने का मुद्दा शामिल है.

‘महापंचायत’ में भाग लेने के लिए भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच विभिन्न राज्यों से सैकड़ों किसान दिल्ली पहुंचे. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सोमवार को राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर बुलाई गई ‘महापंचायत’ में भाग लेने के लिए विभिन्न राज्यों से हजारों की संख्या में किसानों के यहां पहुंचने के कारण गाजीपुर और सिंघू बॉर्डर समेत दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर भारी यातायात जाम देखा गया.

जैसे ही दिल्ली आने वाले किसानों की संख्या बढ़ी, दिल्ली पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए गाजीपुर सीमा पर कुछ किसानों को हिरासत में ले लिया. हालांकि, डीसीपी (पूर्व) ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उचित सत्यापन के बाद प्रदर्शनकारियों को उनके गंतव्य पर जाने की अनुमति दे दी गई थी.

किसान यूनियनों ने अपनी मांगों के संबंध में भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा करने के लिए यह महापंचायत बुलाई है, जिसमें मुख्य रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी और लखीमपुर खीरी हिंसा में आशीष मिश्रा की संलिप्तता को देखते हुए उनके पिता केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करने का मुद्दा शामिल है.

किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा ने कहा, ‘हमारी मांगें आंदोलन से ही पूरी होती हैं, ऐसा क्यों? अगर सरकार मांगों को पूरा नहीं करती है तो विरोध तेज किया जाएगा.’

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने दावा किया कि किसान संघों द्वारा उठाई गईं विभिन्न मांगों के समर्थन में जंतर मंतर पहुंचने के लिए दिल्ली आ रहे किसानों को इस केंद्र शासित प्रदेश में प्रवेश करने से रोक दिया गया.

उन्होंने प्रशासन से वाहनों को चलने की अनुमति देने का अनुरोध करते हुए कहा कि करनाल बाईपास पर वाहनों को रोक दिया गया. हम इसे शांतिपूर्वक कर रहे हैं और हमारा कार्यक्रम केवल एक दिन के लिए है.

विभिन्न संगठनों से जुड़े किसानों के दिल्ली पहुंचने के बीच पुलिस ने शहर के सभी प्रवेश बिंदुओं पर बैरिकेड लगा दिए और राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने वाले प्रत्येक वाहन की जांच की जिससे सड़कों पर भारी जाम देखा गया.

गाजीपुर, सिंघू और टिकरी सहित विभिन्न सीमाओं के अलावा, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे, पालम फ्लाईओवर, अरविंद मार्ग, रिंग रोड (इंद्रप्रस्थ पार्क के पास), गाजियाबाद-वजीराबाद रोड और मुनिरका रोड सहित विभिन्न सड़कों पर यातायात प्रभावित हुआ.

पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के अलावा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा और केरल जैसे राज्यों के किसान भी ‘महापंचायत’ में भाग लेने के लिए दिल्ली पहुंचे. इस कार्यक्रम का आयोजन फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून, कृषि ऋण माफी सहित अन्य मांगों को लेकर किया गया था.

कई लोग यहां ठहरने के इरादे से और जरूरी सामान लेकर आए थे. उन्हें जनपथ और उसके आसपास बैठे देखा जा सकता था.

लोगों ने किसान एकता के समर्थन में नारे लगाए और केंद्र पर अपने वादों को ‘पूरा नहीं करने’ का आरोप लगाया. पंजाब से आए किसान माघा निबोरी ने कहा कि वह जरूरत पड़ने पर ठहरने के लिए पूरी तरह से तैयार होकर आया है.

उन्होंने कहा, ‘हम गरीब किसान हैं. कोई हमारी मदद नहीं कर रहा है. हमारे लिए कुछ नहीं किया जा रहा है. हमने पिछले साल (कृषि विरोधी कानूनों) के आंदोलन में भी भाग लिया था. सरकार ने हमें आश्वासन दिया था कि वह हमारी मांगों को सुनेगी, लेकिन कुछ भी नहीं किया जा रहा है.’

भारी सुरक्षा उपायों के कारण शहर भर में यातायात प्रभावित रहा. यातायात पुलिस ने यात्रियों को यातायात की स्थिति के बारे में सूचित किया और उन्हें उसके हिसाब से यात्रा की योजना बनाने की सलाह दी.

एमएसपी और अन्य मांगों के लिए कानूनी गारंटी का दबाव बनाने के लिए दिल्ली के जंतर मंतर पर आयोजित महापंचायत में जुटे किसान. (फोटो: पीटीआई)

पुलिस उपायुक्त (पूर्व) प्रियंका कश्यप ने कहा, ‘सख्त सुरक्षा व्यवस्था और खतरे की आशंका को देखते हुए कुछ लोगों या प्रदर्शनकारियों को गाजीपुर सीमा पर रोक दिया गया.’

पुलिस ने ट्वीट कर वाहन चालकों को टॉलस्टाय मार्ग, संसद मार्ग, जनपथ, अशोक रोड, कनॉट प्लेस आउटर सर्कल, बाबा खड़क सिंह मार्ग और पंडित पंत मार्ग से बचने को कहा.

एसकेएम (गैर-राजनीतिक) के नेताओं ने दावा किया कि कुछ स्थानों पर किसानों को जंतर मंतर तक पहुंचने से रोका गया, हालांकि दिल्ली पुलिस ने इस दावे का खंडन किया है.

एसकेएम (गैर-राजनीतिक) संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) से टूट कर अलग हुआ समूह है. मोर्चा ने केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर साल भर तक विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था.

एसकेएम (गैर-राजनीतिक) सदस्य और ‘महापंचायत’ के आयोजकों में से एक अभिमन्यु सिंह कोहाड़ ने कहा कि महापंचायत एक दिवसीय शांतिपूर्ण कार्यक्रम है, जहां एमएसपी पर कानूनी गारंटी और बिजली संशोधन विधेयक 2022 रद्द करने समेत विभिन्न मांगों पर जोर दिया जाएगा.

हालांकि उन्होंने कहा कि पुलिस ने अभी तक जंतर मंतर पर ‘महापंचायत’ के लिए अनुमति नहीं दी है. पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से आ रहे किसानों को रविवार रात रोक दिया गया और जंतर मंतर नहीं पहुंचने दिया गया. उन किसानों को गुरुद्वारा बंगला साहिब, रकाबगंज और मोती बाग ले जाया गया और बाद में उन्हें छोड़ दिया गया.

कोहाड़ ने कहा कि किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान केंद्र ने किसानों की सभी मांगों पर विचार करने का वादा किया था, लेकिन उसने कुछ नहीं किया. उन्होंने कहा, ‘इसलिए हम यहां फिर से अपनी मांगें उठा रहे हैं और आंदोलन के लिए भविष्य की रणनीति तैयार कर रहे हैं.’

उन्होंने बताया कि पंजाब, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश तथा हरियाणा के कुछ हिस्सों से किसान दिल्ली पहुंच गए हैं तथा ‘महापंचायत’ में भाग लेने के लिए और लोग आ रहे हैं.

इंडिया टुडे के मुताबिक, किसान नेता शिव कुमार कक्का ने बताया, ‘यह पूरी तरह से राजनीतिक विरोध है. सरकार ने हमारी मांगों को पूरा नहीं किया है और केंद्रीय मंत्री (अजय मिश्रा ‘टेनी’) के बेटे (आशीष मिश्रा) को लखीमपुर खीरी हिंसा के संबंध में नहीं हटाया गया है. विरोध के दौरान मारे गए किसानों को शहीद का दर्जा नहीं दिया गया है. हम विभिन्न कारणों से विरोध कर रहे हैं. हम प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपेंगे.

गौरतलब है कि नवंबर 2020 में पंजाब, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश के हजारों किसानों ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाल लिया था. इन कानूनों को एक साल के प्रदर्शन के बाद निरस्त कर दिया गया था.

केंद्र ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी सुरक्षा, किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने समेत उनकी अन्य मांगों पर विचार करने का वादा किया था, जिसके बाद गत वर्ष दिसंबर में किसानों ने अपना आंदोलन स्थगित कर दिया था.

तब भारतीय किसान यूनियन और अन्य किसान नेताओं ने कहा था कि वे राष्ट्रीय राजधानी छोड़ रहे हैं, लेकिन अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे आंदोलन फिर से शुरू करेंगे.

(समाचार एजेसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25