बिहार: विधानसभा में विश्वासमत के दिन राजद नेताओं के यहां सीबीआई छापे

बिहार में बुधवार को नवगठित महागठबंधन सरकार को बहुमत साबित करना था और इसी दिन सुबह सीबीआई ने राष्ट्रीय जनता दल के कई नेताओं के घर पर छापे मारे. बताया गया है कि कार्रवाई केंद्रीय रेल मंत्री के रूप में लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में हुए ज़मीन के बदले नौकरी संबंधी कथित घोटाले को लेकर हुई है.

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एक राजद नेता के घर सीबीआई की छापेमारी के दौरान बाहर खड़े सुरक्षाकर्मी. (फोटो साभार: एएनआई)

बिहार में बुधवार को नवगठित महागठबंधन सरकार को बहुमत साबित करना था और इसी दिन सुबह सीबीआई ने राष्ट्रीय जनता दल के कई नेताओं के घर पर छापे मारे. बताया गया है कि कार्रवाई केंद्रीय रेल मंत्री के रूप में लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में हुए ज़मीन के बदले नौकरी संबंधी कथित घोटाले को लेकर हुई है.

एक राजद नेता के घर सीबीआई की छापेमारी के दौरान बाहर खड़े सुरक्षाकर्मी. (फोटो साभार: एएनआई)

नई दिल्ली: बिहार में जदयू-राजद के गठबंधन वाली नई सरकार के विधानसभा में विश्वासमत के ऐन दिन केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के कई नेताओं के परिसरों पर बुधवार को छापा मारा. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

बताया जा रहा है कि यह कार्रवाई केंद्रीय रेल मंत्री के रूप में लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल के दौरान हुए जमीन के बदले नौकरी संबंधी कथित घोटाले को लेकर हुई है.

यह छापेमारी ऐसे समय में की जा रही है, जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राज्य विधानसभा में विश्वास मत हासिल करना है. कुमार ने हाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ नाता तोड़कर राजद के साथ हाथ मिलाया है.

उन्होंने बताया कि सुनील सिंह, अशफाक करीम, फैयाज अहमद और विधान परिषद के पूर्व सदस्य सुबोध राय समेत राजद के कई वरिष्ठ नेताओं के परिसरों में छापे मारे जा रहे है.

एनडीटीवी के अनुसार, सिंह ने कहा, ‘यह जानबूझकर किया जा रहा है. इसका कोई मतलब नहीं है. उन्हें लगता है कि हमारे विधायक डर के उनके साथ चले जाएंगे.’

अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने 2008-09 में मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर एवं हाजीपुर के रेलवे जोन में नौकरी पाने वाले 12 लोगों के अलावा राजद सुप्रीमो, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और उनकी बेटियों मीसा भारती और हेमा यादव को इस मामले में नामजद किया है.

केंद्रीय एजेंसी ने 23 सितंबर, 2021 को जमीन के बदले रेलवे में नौकरी देने संबंधी घोटाले को लेकर प्राथमिकी दर्ज की थी.

एजेंसी के अनुसार, उम्मीदवारों को रेलवे अधिकारियों ने ‘अनुचित तरीके से जल्दबाजी’ में आवेदन करने के तीन दिनों के भीतर समूह ‘डी’ पदों पर स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया था और बाद में उनकी नौकरी को नियमित कर दिया गया था. एजेंसी ने कहा कि इसके बदले में व्यक्तियों या उनके परिवार के सदस्यों ने अपनी जमीन हस्तांतरित की थी.

जमीन का यह हस्तांतरण राबड़ी देवी के नाम पर तीन विक्रय विलेख, मीसा भारती के नाम पर एक विक्रय विलेख और हेमा यादव के नाम पर दो उपहार विलेख के जरिये किया गया.

बिहार विधानसभा के विशेष सत्र में भाग लेने पहुंचीं राजद नेता और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने इन छापों को लेकर कहा, ‘डर गए हैं वो लोग, नया सरकार बना है नीतीश कुमार के नेतृत्व में, सब पार्टी हमारे साथ हैं भाजपा को छोड़कर. सीबीआई डराने की कोशिश कर रही है लेकिन हम डरने वालों में से नहीं हैं.’

इस बीच राजद एमएलसी सुनील सिंह के घर के बाहर उनके समर्थकों ने सीबीआई की इस छापेमारी का विरोध किया.

लालू प्रसाद के निकट सहयोगी समझे जाने वाले अनिल कुमार सिंह ने पटना स्थित अपने आवास के गलियारे में संवाददाताओं से कहा, ‘यह शतप्रतिशत जानबूझकर किया गया है.. इसका कोई मतलब नहीं है, कौन नहीं जानता है. ये लोग स्थानीय पुलिस को भी बताए बिना मेरे घर में घुस आए हैं. वे मुझसे एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के लिए कह रहे हैं.’

इस बीच, सिंह की पत्नी ने कहा, ‘मेरे पति को उनकी वफादारी के कारण (राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के विश्वासपात्र होने के कारण) प्रताड़ित किया जा रहा है. सीबीआई को हमारी जगह से कुछ नहीं मिलेगा. मैं एजेंसी पर मानहानि का मुकदमा करूंगी.’

बिहार विधानसभा के इस विशेष सत्र में भाग लेने पहुंचे जनता दल (यूनाइटेड) (जदयू), राजद, कांग्रेस और वाम दलों सहित कुल सात दलों के महागठबंधन के विधायकों ने इसे ‘लोकतंत्र की हत्या’ बताते हुए इसके विरोध में नारे लगाए.

राजद प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा, ‘मुझे कोई खास हैरानी नहीं हुई. मैंने कल रात ही एक ट्वीट में कहा था कि ईडी (प्रवर्तन निदेशालय), सीबीआई और आईटी (आयकर) बिहार में अपने-अगले अभियान की योजना बना रहे हैं.’

राजद के नेता एवं राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने कहा, ‘ईडी हो या सीबीआई, इस तरह के सभी छापे भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए मारे जाते हैं.’

कांग्रेस नेता असित नाथ तिवारी ने ट्वीट किया, ‘तात्कालिक लाभ के लोभ में एक राजनीतिक पार्टी के लिए काम कर रहे सीबीआई और ईडी के कुछ अधिकारी ये भूल गए हैं कि सत्ता ना तो मुसोलिनी की स्थाई रही और ना ही हिटलर की. कल जब सत्ता बदलेगी, तो इन अधिकारियों के अनैतिक कार्यों की जांच वही एजेंसी करेगी, जिसके आज ये अधिकारी हैं.’

जदयू के मुख्य प्रवक्ता और बिहार विधान परिषद के सदस्य नीरज कुमार ने कहा, ‘केंद्र सरकार ने सीबीआई और ईडी को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की बिहार में खतरनाक कोशिश की है. राज्य सरकार आज बहुमत परीक्षण से गुजरने वाली है, तो ये सीबीआई और ईडी से शक्ति परीक्षण करा रहे हैं. (राज्य में सत्ता से बाहर हो चुकी एवं केंद्र में सत्तासीन भाजपा के पास) विधायकों की संख्या नहीं, लेकिन बिहार में कुचक्र रचा जा रहा है.’

उन्होंने कहा, ‘यह लोकतंत्र की भूमि है. सीबीआई और ईडी जैसी दर्जनों संस्थाओं को ले आओगे, लेकिन कोई माई का लाल पैदा नहीं हुआ, जो बिहार में बनी महागठबंधन की सरकार के विधायकों पर दबाव बना सके. भ्रम में मत रहिए, जनता सब देख रही है.’

उधर, भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल से महागठबंधन सरकार के सदन में शक्ति परीक्षण के दिन राजद नेताओं के घर छापेमारी किए जाने के पीछे उनकी पार्टी की कोई भूमिका होने से इनकार करते हुए कहा कि दिन और समय का निर्धारण केंद्रीय एजेंसी स्वयं करती हैं.

उल्लेखनीय है कि इससे पहले जुलाई महीने के आखिरी सप्ताह में सीबीआई ने इसी कथित घोटाले के मामले में लौ प्रसाद यादव के पूर्व ओएसडी भोला यादव को गिरफ्तार किया था.

आरोप लगाया गया है कि भोला यादव ने नौकरियां दिलाने और बाद में लालू परिवार को ज़मीन हस्तांतरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. एजेंसी ने एक रेलवे कर्मचारी हृदयानंद चौधरी को भी गिरफ़्तार किया था, जो घोटाले के कथित लाभार्थी हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)