कर्नाटक: ठेकेदारों ने सरकार पर फिर लगाए ‘40% कमीशन’ मांगने के आरोप, प्रधानमंत्री को लिखेंगे पत्र

राज्य के ठेकेदारों के संघ ने कर्नाटक की बसवराज बोम्मई सरकार के मंत्रियों एवं विधायकों पर काम करवाने के एवज में चालीस प्रतिशत कमीशन मांगने का आरोप लगाया है. मुख्यमंत्री बोम्मई का कहना है कि यह आधारहीन आरोप है और राजनीति से प्रेरित है.

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बसवराज बोम्मई. (फोटो: पीटीआई)

राज्य के ठेकेदारों के संघ ने कर्नाटक की बसवराज बोम्मई सरकार के मंत्रियों एवं विधायकों पर काम करवाने के एवज में चालीस प्रतिशत कमीशन मांगने का आरोप लगाया है. मुख्यमंत्री बोम्मई का कहना है कि यह आधारहीन आरोप है और राजनीति से प्रेरित है.

बसवराज बोम्मई. (फोटो: पीटीआई)

बेंगलुरु: कर्नाटक में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली सरकार के लिए 40 प्रतिशत कमीशन के आरोप ने एक बार फिर मुसीबत खड़ी कर दी है.

रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के ठेकेदारों के संघ ने बुधवार को कहा कि वे इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक अन्य पत्र लिखेंगे. संघ ने कहा कि वह स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग को लेकर अपनी लड़ाई जारी रखेगा.

अपने अध्यक्ष डी. केम्पन्ना की अगुवाई में संघ ने बुधवार को कांग्रेस नेता एवं राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धरमैया से मुलाकात की. इसके बाद उन्होंने पूरी प्रणाली पर ‘भ्रष्ट’ होने और मंत्रियों एवं विधायकों पर काम करवाने के एवज में कमीशन की मांग करने का आरोप लगाया.

इस बारे में प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बुधवार को कहा कि राज्य के ठेकेदार संघ द्वारा लगाया गया ’40 प्रतिशत कमीशन’ का आरोप बेबुनियाद है क्योंकि यह आरोप नेता प्रतिपक्ष से मुलाकात के बाद लगाया गया था.

उन्होंने कहा कि ऐसे दावों की कोई विश्वसनीयता नहीं है. उन्होंने कहा, ‘आधारहीन आरोप और कुछ नहीं बल्कि राजनीति से प्रेरित है. मैं एसोसिएशन को सलाह देना चाहता हूं कि अगर उनके पास कोई साक्ष्य है तो लोकायुक्त से शिकायत करें.’

आरोपों के बाबत पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ‘पहली बात यह है कि डी. केम्पन्ना ठेकेदारों का एकमात्र संगठन नहीं है. इसके अलावा भी कई संगठन हैं. दूसरी बात यह कि इन आरोपों का कोई मतलब नहीं है. यह ध्यान रखना चाहिए कि उन्होंने (नेता प्रतिपक्ष) सिद्धरमैया से मिलने के बाद बयान दिया था.’

बोम्मई ने कहा कि पिछली बार संगठन द्वारा उठाए गए मुद्दों के बाद सरकार ने कुछ आदेश दिए थे और एक कदम आगे जाकर सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में निविदा जांच समिति का गठन किया था जो किसी और राज्य ने नहीं किया.

उन्होंने कहा, ‘अगर उन्हें कोई विशेष शिकायत है तो वे लोकायुक्त के पास जाकर शिकायत दर्ज करवा सकते हैं. लोकायुक्त के पास पूरी स्वतंत्रता है, वह जांच करेंगे और दोषी पाए जाने पर हम उस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करेंगे.’

इससे पहले केम्पन्ना ने किसी का नाम लिए बिना, विशेष रूप से कोलार जिले के प्रभारी मंत्री (मुनिरत्ना) पर अधिकारियों को पैसा वसूलने के लिए धमकाने का आरोप लगाया.

केम्पन्ना ने कहा, ‘हम एक साल, दो महीने से लड़ रहे हैं. अभी तक कुछ नहीं हुआ… सभी दलों के लोग शामिल हैं. केवल भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) या कांग्रेस या जद(एस) (जनता दल-सेक्युलर) ही शामिल नहीं हैं. सभी शामिल हैं. वे बेशर्म लोग हैं, वे कमीशन की मांग करते हैं, क्या ये लोग जनप्रतिनिधि हैं?’

उन्होंने यहां संवादददाताओं से कहा, ‘ऐसा लगता है कि एक जिला प्रभारी मंत्री (अधिकारियों से) कहता है कि यदि आप पैसे जमा नहीं करेंगे, तो मैं काम का निरीक्षण करूंगा और कार्यपालक अभियंता को निलंबित कर दूंगा … इससे लड़ना होगा. इसलिए 40 फीसदी कमीशन के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी.’

उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर दिए गए प्रधानमंत्री मोदी के भाषण में भ्रष्टाचार को देश का पहला शत्रु बताए जाने की सराहना की और कहा कि संघ प्रधानमंत्री को पत्र लिखेगा.

केम्पन्ना ने कहा, ‘हम उनसे कहेंगे कि एक साल, दो महीने हो गए, लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ आपके कड़े बयान के बावजूद अभी तक कुछ नहीं हुआ. हम संभवत: 15 दिन में प्रधानमंत्री को पत्र भेज देंगे.’

इससे पहले भी संघ ने पिछले साल जुलाई में इस संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था.

संघ ने मोदी को लिखे पत्र में मंत्रियों, निर्वाचित प्रतिनिधियों और अन्य लोगों द्वारा ‘उत्पीड़न’ किए जाने आरोप लगाया था. संघ ने उन पर अनुबंध को मंजूरी देने के लिए निविदा राशि का 30 प्रतिशत तक और बकाया बिल के एवज में ‘लेटर ऑफ क्रेडिट’ जारी करने के लिए 5-6 प्रतिशत हिस्सा मांगने का आरोप लगाया था.

केम्पन्ना ने कहा कि उन्होंने किसी के नाम का खुलासा नहीं किया है और वह फिलहाल किसी के साथ सबूत साझा नहीं करेंगे, क्योंकि जानकारी साझा करने वाले कुछ ठेकेदारों को परेशान किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि स्वतंत्र न्यायिक जांच होने पर वह और उनके साथी 40 प्रतिशत कमीशन संबंधी भ्रष्टाचार के आरोपों को साबित करने के लिए तैयार हैं.

उन्होंने आगे कहा कि न्यायिक जांच होने पर ही वे अपने आरोप को साबित करने के लिए सबूत और दस्तावेज साझा करेंगे.

उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि संघ मुख्यमंत्री का बहुत सम्मान करता है, लेकिन उनकी बात की कोई महत्ता नहीं है, क्योंकि अधिकारी उनके आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं.

जिला प्रभारी मंत्री के बारे में पूछे जाने पर केम्पन्ना ने कहा कि यह कोलार जिले के प्रभारी मंत्री (मुनिरत्ना) हैं, जिन्होंने पैसा इकट्ठा न करके देने पर कार्यपालक अभियंता को निलंबित करने की धमकी दी है. ‘वह अधिकारियों से पैसे इकट्ठा करने लाने के लिए कह रहे हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘जब पिछले तीन सालों में हुए काम के लिए कोई भुगतान नहीं किया गया है तो उन्होंने (मंत्री ने) तीन साल पुराने काम की ऊपर से जांच करवाने की भी धमकी दी है. उन्होंने खुद आरआर नगर (उनके निर्वाचन क्षेत्र) में दो कार्यकाल में 10,000 करोड़ रुपये का काम करवाया है. आरआर नगर में क्या सुधार हुआ है?’

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मुनिरत्ना ने कहा कि उनके और सरकार के खिलाफ लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित हैं क्योंकि यह सिद्धारमैया से मिलने के बाद उनके कहे अनुसार लगाए गए हैं.

उन्होंने कहा, ‘सबूत दें… 40% का हिसाब दें और दस्तावेजों के साथ बताएं. आप लोकायुक्त क्यों नहीं जा रहे हैं? यह तय है कि मैं अपने वकीलों के साथ इस पर चर्चा करूंगा और कानूनी तौर पर जवाब दूंगा.’

यह देखते हुए कि कमीशन का आरोप एक प्रमुख चुनावी मुद्दा होगा, सिद्धारमैया ने कहा कि वह एक बार फिर आरोपों की न्यायिक जांच की मांग करेंगे और इस मुद्दे को विधानसभा के पटल पर भी उठाएंगे, जिसका सत्र अगले महीने बुलाए जाने की संभावना है.

उन्होंने कहा, ‘न्यायिक जांच से इनकार करके सरकार भ्रष्टाचार को स्वीकार रही है. अगर आप शामिल नहीं हैं, तो आप पूछताछ से क्यों डरते हैं? सबूत न होने की बात की आड़ में क्यों छिप रहे? वे [ठेकेदार संघ] कह रहे हैं कि उनके पास बहुत सारे दस्तावेज हैं और वे इसे न्यायिक आयोग के सामने पेश करने के लिए तैयार हैं.’

उन्होंने यह भी जोड़ा कि ठेकेदारों के अनुसार लंबित बिल 22,000 करोड़ रुपये से अधिक के हैं.

गौरतलब है कि इस साल राज्य के ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री केएस ईश्वरप्पा पर सरकारी ठेके में 40 प्रतिशत का कमीशन लेने का आरोप लगाने वाले एक ठेकेदार को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने का इल्ज़ाम लगा था. अप्रैल में उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया था, बाद में जुलाई महीने में पुलिस ने उन्हें सबूतों के अभाव में ‘क्लीन चिट‘ दे दी थी.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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