गुजरात के मुख्यमंत्री को हटाने का संकेत देने वाले लेख के लिए अख़बार के संपादक और मालिक पर केस

गुजरात के राजकोट से प्रकाशित ‘सौराष्ट्र हेडलाइन’ में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के कामकाज से भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की नाराज़गी का ज़िक्र करते हुए उनके ख़िलाफ़ यह संभावित क़दम उठाए जाने का संकेत दिया गया था. साल 2020 में एक गुजराती समाचार पोर्टल के संपादक पर कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के कारण गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन का सुझाव देने वाली रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए राजद्रोह का केस दर्ज किया गया था.

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सांध्य दैनिक ‘सौराष्ट्र हेडलाइन’ में ‘गुडबाय भूपेंद्रजी, वेलकम रूपाला’ शीर्षक से 22 अगस्त को प्रकाशित रिपोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक)

गुजरात के राजकोट से प्रकाशित ‘सौराष्ट्र हेडलाइन’ में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के कामकाज से भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की नाराज़गी का ज़िक्र करते हुए उनके ख़िलाफ़ यह संभावित क़दम उठाए जाने का संकेत दिया गया था. साल 2020 में एक गुजराती समाचार पोर्टल के संपादक पर कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के कारण गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन का सुझाव देने वाली रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए राजद्रोह का केस दर्ज किया गया था.

सांध्य दैनिक ‘सौराष्ट्र हेडलाइन’ में ‘गुडबाय भूपेंद्रजी, वेलकम रूपाला’ शीर्षक से 22 अगस्त को प्रकाशित रिपोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक)

राजकोट: गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को पद से संभवत: हटाए जाने का संकेत देने वाला एक रिपोर्ट प्रकाशित करने को लेकर राजकोट शहर के एक सांध्य दैनिक के संपादक और इसका स्वामित्व रखने वाली उनकी पत्नी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. पुलिस के एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी.

पुलिस ने बताया कि एफआईआर दो दिन पहले भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 505 (1बी) (सरकार या सार्वजनिक शांति के खिलाफ अपराध के लिए किसी व्यक्ति को उकसाने वाली हरकत) और धारा 505 (2) (वैमनस्य, नफरत या दुर्भावना की भावना पैदा करने के इरादे से अफवाह या सनसनी फैलाने वाली रिपोर्ट प्रसारित या प्रकाशित करना) के तहत दर्ज की गई.

‘सौराष्ट्र हेडलाइन’ में प्रकाशित आलेख (Report) में मुख्यमंत्री पटेल के कामकाज से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के केंद्रीय नेतृत्व की नाराजगी का जिक्र करते हुए उनके (पटेल के) खिलाफ यह संभावित कदम उठाए जाने का संकेत दिया गया था.

राजकोट सिटी ए-डिवीजन पुलिस थाना के निरीक्षक सीजी जोशी ने कहा कि ‘गुडबाय भूपेंद्रजी, वेलकम रूपाला’ शीर्षक से एक आलेख समाचार पत्र में 22 अगस्त को प्रकाशित किया गया था, जिसके बाद समाचार पत्र के संपादक अनिरूद्ध नाकुम और उनकी पत्नी के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की गई.

उन्होंने बताया कि रिपोर्ट संपादक ने लिखी थी, जबकि समाचार पत्र का स्वामित्व उनकी पत्नी के पास है.

जोशी ने कहा कि दोनों आरोपियों को जांच में शामिल होने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं, लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है.

बाबूभाई वाघेरा नाम के व्यक्ति की शिकायत पर दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार, ‘आलेख दावे का समर्थन करने वाले किसी सूचना के बगैर अफवाह फैलाने और भाजपा समर्थकों के बीच दहशत फैलाने तथा विभिन्न राजनीतिक समर्थकों के बीच नफरत पैदा करने के इरादे के साथ लिखा गया, ताकि शांति व्यवस्था में खलल डाला जा सके.’

एफआईआर के अनुसार, समाचार पत्र के आलेख में इस बारे में चर्चा की गई है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल से कैसे नाखुश है. साथ ही पार्टी नेतृत्व उनकी जगह किसी और को इस पद पर आसीन करने पर विचार कर रहा है तथा केंद्रीय मंत्री पुरषोत्तम रूपाला और मनसुख मांडविया इस पद की दौड़ में आगे हैं.

मालूम हो कि दो साल पहले गुजराती समाचार पोर्टल ‘फेस ऑफ नेशन’ के संपादक धवल पटेल पर राज्य में बढ़ते कोरोना वायरस मामलों की आलोचना के कारण गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन का सुझाव देने वाली एक रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए 11 मई 2020 को राजद्रोह का केस दर्ज कर 15 दिन की हिरासत में भेज दिया गया था.

इस लेख में कथित तौर पर दावा किया गया था कि राज्य में कोरोना वायरस महामारी से निपटने को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को पद से हटाया जा सकता है.

पटेल को अहमदाबाद स्थित उनके आवास से क्राइम ब्रांच की अहमदाबाद डिटेक्शन टीम ने हिरासत में लिया था. उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 124ए (राजद्रोह) और आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 54 (झूठी चेतावनी के लिए सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया था.

सत्र अदालत ने ने पुलिस द्वारा पेश किए गए दस्तावेज और एफआईआर का संज्ञान लेते हुए कहा था कि पत्रकार धवल पटेल को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार करने के लिए यह कोई आरोप स्थापित नहीं करते हैं और 26 मई 2020 को उन्हें जमानत मिल गई थी.

इसके बाद नवंबर 2020 में गुजरात हाईकोर्ट ने इस रिपोर्ट के लिए बिना शर्त माफी मांगने पर एक पत्रकार धवल पटेल के खिलाफ दर्ज राजद्रोह के मामले को रद्द कर दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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