योगेंद्र यादव ने संयुक्त किसान मोर्चा की समन्वय समिति से इस्तीफ़ा दिया

सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने संयुक्त किसान मोर्चा की समन्वय समिति से इस्तीफ़ा देते हुए कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि सभी जन आंदोलनों और विपक्षी राजनीतिक दलों की ऊर्जा को किसान विरोधी मोदी सरकार के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए जोड़ा जाए. इसके लिए वे किसान आंदोलन के अलावा अन्य आंदोलनों के संपर्क में हैं.

New Delhi: Swaraj India President Yogendra Yadav addresses a press conference regarding Delhi's Lok Sabha elections, in New Delhi, Saturday, April 20, 2019.(PTI Photo/Kamal Singh) (PTI4_20_2019_000103B)
योगेंद्र यादव. (फोटो: पीटीआई)

सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने संयुक्त किसान मोर्चा की समन्वय समिति से इस्तीफ़ा देते हुए कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि सभी जन आंदोलनों और विपक्षी राजनीतिक दलों की ऊर्जा को किसान विरोधी मोदी सरकार के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए जोड़ा जाए. इसके लिए वे किसान आंदोलन के अलावा अन्य आंदोलनों के संपर्क में हैं.

New Delhi: Swaraj India President Yogendra Yadav addresses a press conference regarding Delhi's Lok Sabha elections, in New Delhi, Saturday, April 20, 2019.(PTI Photo/Kamal Singh) (PTI4_20_2019_000103B)
योगेंद्र यादव. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की समन्वय समिति से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने हालांकि कहा कि वह मोर्चा के एक ‘सिपाही’ बने रहेंगे.

एसकेएम ने यहां गुरुद्वारा रकाबगंज में एक संवाददाता सम्मेलन में यादव के त्यागपत्र को सार्वजनिक किया. एसकेएम में करीब 40 किसान यूनियन शामिल हैं.

यादव ने पत्र में कहा है कि वह अब एसकेएम की समन्वय समिति में नहीं रहेंगे.

यादव ने एसकेएम को लिखे अपने पत्र में कहा, ‘मैं अब एसकेएम की समन्वय समिति का सदस्य होने की जिम्मेदारी नहीं उठा पाऊंगा… पिछले कुछ समय से मुझे महसूस हो रहा है कि इस किसान (और देश) विरोधी मोदी सरकार का मुकाबला करने के लिए यह जरूरी है कि जमीन पर चल रहे सभी जन आंदोलनों और इसकी नीतियों के खिलाफ खड़े विपक्षी राजनीतिक दलों की ऊर्जा को जोड़ा जाए. इसलिए मैं किसान आंदोलन के साथ-साथ अन्य आंदोलनों के भी संपर्क में हूं. अपनी पार्टी स्वराज इंडिया के साथ-साथ अन्य राजनीतिक दलों के साथ समन्वय की कोशिश में लगा हुआ हूं. उम्मीद है कि इससे किसान आंदोलनों को भी मजबूती मिलेगी.’

उन्होंने आगे लिखा, ‘मेरी इस प्राथमिकता को देखते हुए एसकेएम समन्वय समिति की जिम्मेदारी निभाना मेरे लिए संभव नहीं होगा.’

उन्होंने किसान संगठन से अपील की कि उन्हें उनकी जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए. उन्होंने कहा कि ‘जय किसान आंदोलन’ के एक सदस्य होने के नाते, वह हमेशा एसकेएम के एक सिपाही बने रहेंगे.

उन्होंने कहा, ‘मेरी जगह ‘जय किसान आंदोलन’ के अध्यक्ष अविक साहा इस जिम्मेदारी के लिए उपलब्ध रहेंगे.’

एसकेएम की एक राष्ट्रीय आम सभा की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया गया था जिसमें किसान नेताओं दर्शन पाल, राकेश टिकैत सहित अन्य मौजूद थे.

एसकेएम ने एक बयान में कहा कि एसकेएम ने 26 नवंबर को प्रत्येक राज्य में रैलियां आयोजित करने और उन राज्यों के राज्यपालों को ज्ञापन सौंपने का भी फैसला किया.

बयान के अनुसार 2021 में उसी दिन हुई लखीमपुर खीरी घटना के विरोध में एसकेएम तीन अक्टूबर को ‘काला दिवस’ मनाएगा.

बयान में कहा गया है, ‘देश में हर जगह इसे काला दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए और केंद्र सरकार का पुतला जलाया जाएगा.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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