केस सूचीबद्ध करने की नई प्रणाली पर जजों की नाराज़गी संबंधी मीडिया रिपोर्ट सही नहीं: सीजेआई

नई प्रणाली के तहत शीर्ष अदालत के जज दो अलग-अलग पालियों में काम कर रहे हैं. प्रत्येक सोमवार और शुक्रवार को कुल 30 जज मुक़दमों की सुनवाई करते हैं और दो-दो न्यायाधीशों की पीठ का ही गठन किया जाता है. प्रत्येक पीठ औसतन 60 से अधिक मामलों की सुनवाई करती है, जिनमें नई जनहित याचिकाएं शामिल हैं.

सीजेआई यूयू ललित. (फोटो: पीटीआई)

नई प्रणाली के तहत शीर्ष अदालत के जज दो अलग-अलग पालियों में काम कर रहे हैं. प्रत्येक सोमवार और शुक्रवार को कुल 30 जज मुक़दमों की सुनवाई करते हैं और दो-दो न्यायाधीशों की पीठ का ही गठन किया जाता है. प्रत्येक पीठ औसतन 60 से अधिक मामलों की सुनवाई करती है, जिनमें नई जनहित याचिकाएं शामिल हैं.

सीजेआई यूयू ललित. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) उदय उमेश ललित ने गुरुवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय की एक पीठ के मामलों को सूचीबद्ध करने की नई प्रणाली की आलोचना करने से जुड़ी मीडिया में आई खबरें सही नहीं हैं और शीर्ष अदालत के सभी न्यायाधीश इस पर एक राय रखते हैं.

भारत के 49वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर 27 अगस्त को पदभार ग्रहण करने वाले जस्टिस ललित ने कहा कि शीर्ष अदालत ने मामलों को सूचीबद्ध करने की एक नई प्रणाली अपनाई है और शुरुआत में कुछ समस्याएं होना तय है.

जस्टिस ललित ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा सीजेआई बनने पर उन्हें सम्मानित करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘लिस्टिंग और अन्य चीजों सहित हर चीज के बारे में बहुत सी बातें कही गई हैं. मैं स्पष्ट कर दूं कि यह सच है कि हमने यह नई शैली, सूचीबद्ध करने का एक नया तरीका अपनाया है. स्वाभाविक रूप से कुछ समस्याएं हैं. जो कुछ भी रिपोर्ट किया गया है वह सही स्थिति नहीं है. हम सभी न्यायाधीश पूरी तरह से इसे लेकर एक राय रखते हैं.’

जस्टिस ललित स्पष्ट रूप से मीडिया में आई उन खबरों का हवाला देते हुए दावा कर रहे थे कि शीर्ष अदालत की एक पीठ ने वर्षों से लंबित मामलों के त्वरित निपटान के लिए नए सीजेआई द्वारा शुरू की गई मामलों को सूचीबद्ध करने की एक नई प्रणाली पर अपने न्यायिक आदेश में नाराजगी व्यक्त की है.

जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने एक आपराधिक मामले में जारी आदेश में कहा है, ‘मामलों को सूचीबद्ध करने की नई प्रणाली मौजूदा मामले की तरह के मुकदमों की सुनवाई के लिए पर्याप्त समय नहीं दे पा रही है, क्योंकि ‘भोजनावकाश के बाद के सत्र’ में कई मामले सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हैं.’

जस्टिस कौल वरीयता क्रम में उच्चतम न्यायालय के तीसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं.

नई प्रणाली के तहत शीर्ष अदालत के न्यायाधीश दो अलग-अलग पालियों में कार्य कर रहे हैं. नई प्रणाली के तहत प्रत्येक सोमवार और शुक्रवार को कुल 30 न्यायाधीश मुकदमों की सुनवाई करते हैं और दो-दो न्यायाधीशों की पीठ का ही गठन किया जाता है. प्रत्येक पीठ औसतन 60 से अधिक मामलों की सुनवाई करती है, जिनमें नई जनहित याचिकाएं शामिल हैं.

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ’29 अगस्त को जबसे मामलों को सूचीबद्ध करने की नई प्रणाली शुरू हुई तबसे 14 सितंबर तक शीर्ष अदालत ने 1,135 नई याचिकाओं के मुकाबले 5,200 मामलों का फैसला किया.’

जस्टिस ललित ने कहा कि यह उच्चतम न्यायालय के अन्य साथी न्यायाधीशों और वकीलों द्वारा किए गए प्रयासों के कारण संभव हुआ है.

जस्टिस ललित ने कहा, ‘वास्तव में, वेणुगोपाल (अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल) ने हमें बताया कि 29 अगस्त को हमने शुरुआत की थी और बुधवार  तक हम 5,000 हजार मामलों या ज्यादा सटीक तौर पर कहूं तो 5,200 मामलों को निस्तारित कर सके जबकि इस दौरान नए मामले 1,135 दायर हुए. ऐसे में नए मामले 1,135 हैं और निस्तारित मामले 5,200. यह मेरे सभी साथी न्यायाधीशों और बार के सदस्यों के प्रयासों से संभव हो सका.’

उन्होंने कहा, ‘यह सच है कि इस बदलाव के कारण, कुछ अवसर और कुछ उदाहरण ऐसे रहे हैं जहां मामलों को कम से कम संभावित नोटिस के साथ अंतिम समय में सूचीबद्ध किया गया था. इसने न्यायाधीशों और अधिवक्ताओं के लिए एक जबरदस्त काम का बोझ पैदा कर दिया और मैं वास्तव में अपने सभी साथी न्यायाधीशों को मुस्कुराते हुए चेहरे के साथ सब कुछ निर्वहन करने के लिए ऋणी हूं और यही कारण है कि हम 1,135 नए मामलों के मुकाबले 5,200 मामलों का निस्तारण करने में सक्षम हुए. इसका मतलब है कि हम 4,000 बकाया मामलों को कम करने में सक्षम रहे जो एक अच्छी शुरुआत है.’

उन्होंने कहा कि कई मामले काफी समय से लंबित थे और निरर्थक हो गए थे और उनका निपटारा किया जाना था, इसलिए उन्हें सूचीबद्ध किया गया और परिणाम सभी के सामने हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, एक वकील के रूप में एक मामले पर बहस करने के अपने अलग तरीके पर जस्टिस ललित ने कहा कि इसके पीछे अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल हैं जो हमेशा उनके लिए एक आदर्श रहे हैं.

उन्होंने कहा कि वेणुगोपाल जिस तरह से बहस करते हैं और मामले और उसके तथ्यों को इतनी शांति से रखते हैं कि अदालत को भी आराम मिलता है. वह खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि वे एससीबीए और कानूनी पेशे के सदस्य थे और इस बार एसोसिएशन ने उन्हें सब कुछ सिखाया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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