राजीव गांधी हत्या: नलिनी की याचिका पर अदालत ने केंद्र और तमिलनाडु सरकार को नोटिस भेजा

राजीव गांधी हत्याकांड मामले में उम्रक़ैद की सज़ा काट रहीं नलिनी श्रीहरन ने मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें उनके समय-पूर्व रिहाई के अनुरोध को ख़ारिज कर दिया गया था.

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(फोटो: पीटीआई)

राजीव गांधी हत्याकांड मामले में उम्रक़ैद की सज़ा काट रहीं नलिनी श्रीहरन ने मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें उनके समय-पूर्व रिहाई के अनुरोध को ख़ारिज कर दिया गया था.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने राजीव गांधी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रही नलिनी श्रीहरन की समय से पहले रिहाई की मांग से जुड़ी याचिका पर सोमवार को केंद्र और तमिलनाडु सरकार से जवाब मांगा.

जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने केंद्र और तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी करते हुए याचिका पर उनका जवाब मांगा.

शीर्ष अदालत ने मामले में दोषी ठहराए गए आरपी रविचंद्रन की याचिका पर भी नोटिस जारी किए.

नलिनी ने मद्रास उच्च न्यायालय के 17 जून के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें समय पूर्व रिहाई के उनके अनुरोध को खारिज कर दिया गया था और दोषी ठहराए गए एजी पेरारीवलन की रिहाई को लेकर उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लेख किया था.

उच्च न्यायालय ने 17 जून को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी श्रीहरन और रविचंद्रन की याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें राज्य के राज्यपाल की सहमति के बिना उनकी रिहाई का आदेश दिया गया था.

उच्च न्यायालय ने उनकी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा था कि उच्च न्यायालयों के पास संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत ऐसा करने की शक्ति नहीं है. उच्चतम न्यायालय के पास अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्ति है.

संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्ति का इस्तेमाल करते हुए शीर्ष अदालत ने 18 मई को पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था. पेरारिवलन जेल में 30 साल से ज्यादा की सजा काट चुके थे.

अदालत ने कहा था कि तमिलनाडु कैबिनेट ने सितंबर 2018 में प्रासंगिक विचारों को ध्यान में रखते हुए राज्यपाल को उनकी रिहाई की सिफारिश की थी.

संविधान का अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को विशेषाधिकार देता है, जिसके तहत संबंधित मामले में कोई अन्य कानून लागू न होने तक उसका फैसला सर्वोपरि माना जाता है.

इसमें यह भी कहा गया था कि राज्यपाल की ओर से अनुच्छेद 161 के तहत क्षमादान, सजा में छूट आदि के लिए शक्तियों के प्रयोग पर निर्णय लेने में कोई देरी न्यायिक समीक्षा के अधीन है.

उससे पहले अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राजीव गांधी हत्याकांड में 36 साल की सजा काट चुके एजी पेरारिवलन को रिहा क्यों नहीं कर सकता.

तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान 21 मई, 1991 की रात को एक महिला आत्मघाती हमलावर के हमले में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी. आत्मघाती हमलावर की पहचान धनु के रूप में हुई थी.

धनु सहित 14 अन्य लोगों की मौत हो गई थी. गांधी की हत्या देश में संभवत: पहली ऐसी घटना थी जिसमें किसी शीर्षस्थ नेता की हत्या के लिए आत्मघाती बम का इस्तेमाल किया गया था.

राजीवी गांधी हत्याकांड के सात दोषी नलिनी श्रीहरन, मुरुगन, संथान, एजी पेरारिवलन, जयकुमार, रॉबर्ट पायस और पी. रविचंद्रन हैं.

न्यायालय ने मई 1999 के अपने आदेश में चारों दोषियों पेरारिवलन, मुरुगन, संथन और नलिनी को मौत की सजा बरकरार रखी थी.

इस पूरी साजिश में नलिनी की को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी जिसे 2001 में यह देखते हुए उम्रकैद में बदल दिया गया था कि उनकी एक बेटी भी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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