यूपी: यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण ने रिकॉर्ड में अनुपलब्ध भूखंड के लिए भुगतान किया- रिपोर्ट

कैग की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार के यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने 2015 में गौतम बुद्ध नगर में एक भूखंड खरीदा था, लेकिन भूमि रिकॉर्ड का सत्यापन न करने के चलते उसे 2.71 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

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यमुना एक्सप्रेसवे. (फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स)

कैग की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार के यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने 2015 में गौतम बुद्ध नगर में एक भूखंड खरीदा था, लेकिन भूमि रिकॉर्ड का सत्यापन न करने के चलते उसे 2.71 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

यमुना एक्सप्रेसवे. (फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स)

नोएडा: उत्तर प्रदेश सरकार के यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) ने 2015 में गौतम बुद्ध नगर में एक भूखंड खरीदा था, लेकिन भूमि रिकॉर्ड का सत्यापन नहीं करने के चलते उसे 2.71 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है.

साथ ही, कैग के मार्च 2020 को समाप्त हुए वित्त वर्ष के लिए ऑडिट रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि प्राधिकरण ने रिकॉर्ड में अनुपलब्ध भूखंड की खरीद पर ‘स्टांप’ शुल्क के रूप में 10 लाख रुपये खर्च किए थे.

हाल में उत्तर प्रदेश विधानसभा के पटल पर रखी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश पावर ट्रासंमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड ने (जून 2012 को) प्राधिकरण से 765 केवी की क्षमता वाले सब-स्टेशन के निर्माण के लिए यमुना एक्सप्रेसवे के नजदीक गौतम बुद्ध नगर के जहांगीरपुर गांव में 75 एकड़ जमीन आवंटित करने का अनुरोध किया था.

सब-स्टेशन के लिए जमीन खरीदने की प्रक्रिया प्राधिकरण के अधिकारियों ने शुरू की और इस सिलसिले में एक प्रस्ताव को उसी महीने तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ने मंजूरी प्रदान की.

प्राधिकरण ने (दिसंबर 2012 से दिसंबर 2015 तक) 150 खसरा में विस्तारित 54.365 हेक्टेयर जमीन के लिए बैनामा किया.

कैग की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है, ‘ऑडिट में पाया गया कि राजस्व रिकॉर्ड के 150 खसरा में 17 खसरा 6.3990 हेक्टेयर था. हालांकि, प्राधिकरण ने भूमि रिकॉर्ड में वास्तविक रूप से उपलब्ध क्षेत्र को नजरअंदाज किया, या जिला पदाधिकारी द्वारा सौंपी गई सत्यापन रिपोर्ट की अनदेखी की और इस 17 खसरा से जुड़े बैनामा के जरिये 7.98935 हेक्टेयर जमीन खरीदी.’

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘नतीजतन, 1.59035 हेक्टेयर जमीन के लिए भुगतान किया गया, जो संबद्ध खसरा या सत्यापन रिपोर्ट में असल में उपब्लध नहीं थी.’

रिपोर्ट के अनुसार, ‘प्राधिकरण ने 7.98935 हेक्टेयर जमीन की खरीद के लिए मुआवजे के तौर पर 13.60 करोड़ रुपये का भुगतान किया. इसके परिणामस्वरूप, प्राधिकरण को 2.71 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.’

इसमें कहा गया है, ‘प्राधिकरण ने रिकॉर्ड में अनुपलब्ध भूमि के लिए 10 लाख रुपये स्टांप शुल्क पर भी खर्च किया.’

कैग ने इस बात का उल्लेख किया है कि प्राधिकरण ने (जुलाई 2021 को) स्वीकार किया कि 17 बैनामा और राजस्व रिकॉर्ड में जिक्र किए गए क्षेत्र में 1.5935 हेक्टेयर का अंतर है.’

रिपोर्ट के अनुसार, इसके अलावा, यह कहा गया कि भूमि की खरीद जिला प्राधिकरण द्वारा उपलब्ध कराए गए भूमि रिकॉर्ड के आधार पर की गई थी.

हालांकि, कैग ने कहा कि  ‘यह जवाब’ कि ये खरीद जिला प्राधिकरण द्वारा उपलब्ध कराए गए भूमि रिकॉर्ड के आधार पर की गई थी, ‘स्वीकार्य नहीं है’ क्योंकि जिला प्राधिकरण की सत्यापन रिपोर्ट में उल्लिखित भूमि उस क्षेत्र से कम थी जिसके लिए भुगतान किया गया था.

लेखा परीक्षक ने कहा, ‘इसलिए, यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण भूमि विभाग के इसके अधिकारियों के उचित ध्यान न बरतने के कारण अनुपलब्ध भूमि खरीदने के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है.’

कैग ने कहा, ‘प्राधिकरण अनुपलब्ध भूमि को खरीदने के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है.’ इसने कहा कि विषय की जानकारी सरकार को मार्च 2021 को दी गई, लेकिन जवाब (नवंबर 2021 तक) नहीं मिल सका था.

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने 165 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे की शुरुआत 2009 में की थी और उनके बाद सत्ता संभालने वाले पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 2012 में इसका उद्घाटन किया था.

मालूम हो कि साल 2019 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 126 करोड़ के यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण भूमि घोटाला मामले की जांच का जिम्मा संभाल लिया था. सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता और 20 अन्य को नामजद किया था.

प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि यीडा ने ग्रेटर नोएडा को आगरा से जोड़ने वाले 165 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे के आसपास विकास गतिविधियों के लिए मथुरा के सात गांवों में 57.15 हेक्टेयर भूमि के लिए 85.49 करोड़ रुपये का भुगतान किया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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