बिहार: अपने विभाग में भ्रष्टाचार की बात स्वीकारने वाले कृषि मंत्री का इस्तीफ़ा

महागठबंधन सरकार में राजद के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने उनके विभाग के भ्रष्टाचार को लेकर कहा था कि 'विभाग में कोई ऐसा हिस्सा नहीं है, जो चोरी नहीं करता है.' उनका यह भी कहना था कि वे 2006 में ख़त्म कर दिए गए एपीएमसी अधिनियम और मंडी प्रणाली को बहाल किए जाने तक चैन से नहीं बैठेंगे.

सुधाकर सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक)

महागठबंधन सरकार में राजद के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने उनके विभाग के भ्रष्टाचार को लेकर कहा था कि ‘विभाग में कोई ऐसा हिस्सा नहीं है, जो चोरी नहीं करता है.’ उनका यह भी कहना था कि वे 2006 में ख़त्म कर दिए गए एपीएमसी अधिनियम और मंडी प्रणाली को बहाल किए जाने तक चैन से नहीं बैठेंगे.

सुधाकर सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक)

पटना: बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया है. उनके पिता एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की बिहार इकाई के अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने रविवार को इसकी जानकारी दी.

सुधाकर सिंह द्वारा हाल ही में अपने विभाग में भ्रष्टाचार की बात स्वीकार करने से प्रदेश की नवगठित महागठबंधन सरकार को काफी फजीहत झेलनी पड़ी थी.

हालांकि इस कठोर कदम के बाद मंत्री अपनी टिप्पणियों के लिए उपलब्ध नहीं हो सके हैं, पर उनके पिता ने कहा कि सुधाकर सिंह ने किसानों की चिंताओं को अपनी आवाज दी थी, लेकिन कभी-कभी केवल प्रश्न उठाने से बात नहीं बनती, त्याग भी करना होता है. इसलिए कृषि मंत्री ने अपना इस्तीफा सरकार को भेज दिया है.

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाने वाले तेजस्वी यादव से निकटता के कारण लगातार दूसरी बार पार्टी की प्रदेश इकाई के प्रमुख बनाए गए जगदानंद सिंह ने कहा कि हम नहीं चाहते हैं कि कोई लड़ाई आगे बढ़े.

उन्होंने महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को याद करते हुए कहा कि उनका बेटा किसानों के साथ सहानुभूति रखते हुए उनके नक्शेकदम पर चल रहा है.

रामगढ़ के राजद विधायक सुधाकर सिंह ने कई मौकों पर अपने विभाग में भ्रष्टाचार और नौकरशाही की मनमानी के बारे में खुलकर बात करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को नाराज कर दिया था.

कुमार के एनडीए से बाहर होने से प्रदेश में हुए राजनीतिक उथल-पुथल में सत्ता गंवाने वाली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा, ‘सुधाकर सिंह नौकरशाही की मनमानी के खिलाफ आवाज उठा रहे थे. यह कुछ ऐसा है जिसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बर्दाश्त नहीं कर सकते. इसलिए उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा गया है.’

उल्लेखनीय है कि सुधाकर ने हाल ही में अपने विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार का जिक्र करते हुए कहा था, ‘हमें नहीं लगता कि बिहार राज्य बीज निगम से मिले बीज किसान अपने खेतों में लगाते हैं. 150-200 करोड़ रुपये इधर ही खा जाते हैं बीज निगम वाले. हमारे विभाग में कोई ऐसा हिस्सा नहीं है, जो चोरी नहीं करता है. इस तरह हम चोरों के सरदार हुए. हम सरदार ही कहलाएंगे न. जब चोरी हो रही है तो हम उसके सरदार हुए न.’

द हिंदू के मुताबिक, सिंह ने सरकार पर निशाना साधते हुए आगे कहा था, ‘बिहार सरकार द्वारा पिछले 17 सालों में तैयार किए गए तीन कृषि रोडमैप पर करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद भी राज्य में अनाज का कुल उत्पादन 2021-22 में 1.76 लाख टन था, जबकि 2011-12 में यह 1.77 लाख टन था. मेरे विभाग में हर चीज को ठीक करने की जरूरत है.’

वहीं, शनिवार (1 अक्टूबर) को कृषि मंत्री ने कहा था कि वह तब तक आराम से नहीं बैठेंगे, जब तक कि 2006 में खत्म कर दिए गए कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) अधिनियम और मंडी प्रणाली को बहाल नहीं किया जाता है.

उन्होंने कहा, ‘उन्हें खत्म करने का फैसला किसान विरोधी था. मैं राज्य में महागठबंधन सरकार के गठन के साथ अपने विभाग में भाजपा के एजेंडा को जारी नहीं रहने दूंगा.’

वहीं, कुछ दिनों पहले अपने निर्वाचन क्षेत्र में एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने लोगों से कहा था कि ‘अगर उनके विभाग के अधिकारी रिश्वत मांगते हैं तो उन्हें जूतों से पीटें.’

दिलचस्प बात यह है कि भाजपा ने सुधाकर सिंह को नवगठित महागठबंधन सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने पर उनके स्वामित्व वाली चावल मिल द्वारा भुगतान में चूक से संबंधित एक मामले को लेकर हंगामा किया था.

इसके अलावा सुधाकर सिंह ने एक भाजपा नेता के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था और 2010 में पार्टी के टिकट पर रामगढ़ से चुनाव लड़ा था, जब उनकी जमानत जब्त हो गई थी.

राष्ट्रीय जनता दल, मुख्यमंत्री की पार्टी जदयू, कांग्रेस और वामपंथी दलों समेत सात दलों की महागठबंधन सरकार के मंत्री के अचानक इस कदम पर भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है.

कांग्रेस प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने कहा, ‘हमें नहीं पता कि इस्तीफा किसे सौंपा गया है. जब तक कुछ आधिकारिक नहीं होता, हम टिप्पणी नहीं कर सकते.’

राजद सूत्रों ने कहा कि समझा जाता है कि सुधाकर सिंह ने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को नहीं, बल्कि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को सौंपा है और अब गेंद उनके पाले में छोड़ दिया है.

जदयू संसदीय बोर्ड के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि मंत्री का यह कदम सरकार की स्थिरता को प्रभावित नहीं करने वाला है.

सुधाकर सिंह का त्यागपत्र यदि स्वीकार कर लिया जाता है तो महागठबंधन कैबिनेट से बाहर निकलने वाले वे दूसरे मंत्री होंगे. पिछले महीने राजद से बिहार विधान परिषद सदस्य कार्तिक कुमार ने इस्तीफा दे दिया था, जो अपहरण के एक मामले में आरोपी हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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