युवाओं को आईएसआईएस भर्ती के लिए प्रेरित करने के आरोप में छह साल से जेल में बंद शख़्स बरी

2016 में इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक के संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के एक कर्मचारी को एनआईए ने आईएसआईएस में युवाओं को भर्ती के लिए प्रेरित करने के आरोप में गिरफ़्तार किया था. एनआईए कोर्ट ने उन्हें बरी करते हुए कहा कि केवल दावा सबूत का स्थान नहीं ले सकता.

/
(इलस्ट्रेशन: द वायर)

2016 में इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक के संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के एक कर्मचारी को एनआईए ने आईएसआईएस में युवाओं को भर्ती के लिए प्रेरित करने के आरोप में गिरफ़्तार किया था. एनआईए कोर्ट ने उन्हें बरी करते हुए कहा कि केवल दावा सबूत का स्थान नहीं ले सकता.

(इलस्ट्रेशन: द वायर)

मुंबई: राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की विशेष अदालत ने वर्ष 2016 में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) में युवाओं को भर्ती के लिए प्रेरित करने के आरोप में इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक के संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) के गिरफ्तार किए गए एक कर्मी को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष का बयान आकर्षक हो सकता है, लेकिन यह ‘सबूतों द्वारा’ भी साबित होनी चाहिए.

आईआरएफ को नवंबर 2016 में केंद्र सरकार द्वारा एक गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया था.

विशेष एनआईए अदालत के न्यायाधीश एएम पाटिल ने आईआरएफ के लिए काम करने वाले अर्शी कुरैशी को सबूतों के अभाव में शुक्रवार को सभी आरोपों से बरी कर दिया.

कुरैशी को वर्ष 2016 में आईएसआईएस के कथित सदस्य अशफाक मजीद के पिता की शिकायत पर गिरफ्तार किया गया था. शिकायत में पिता ने कहा कि उनका बेटा लापता है और उसने अपनी बहन को सूचित किया है कि वह आतंकवादी संगठन में शामिल हो गया है.

एनआईए ने कुरैशी पर कथित गैर कानूनी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए उसे गैर कानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम (यूएपीए) की धाराओं के तहत आरोपी बनाया था. एजेंसी ने कुरैशी पर भारत के खिलाफ नफरत फैलाने और प्रतिबंधित संगठन आईएसआईएस की गतिविधियों को बढ़ाने में मदद करने का आरोप लगाया था.

विशेष लोक अभियोजक सुनील गोंसाल्विज ने कहा कि केरल के कुछ कट्टरपंथी युवाओं और आईआरएफ सदस्यों द्वारा अशफाक मजीद और उसके सहयोगियों को कट्टरपंथी ‘जिहादी विचारधारा’ में शामिल करने का यह मामला है, जिन्होंने अशफाक और उसके सहयोगियों को आईएसआईएस में शामिल होने के लिए प्रेरित किया.

उन्होंने कहा कि अन्य आरोपी अब्दुल राशिद अब्दुल्ला लापता युवकों के समूह के लिए अशफाक के घर पर कक्षाएं चलाता था. विशेष लोक अभियोजक ने अदालत को बताया कि वे (युवक)चर्चा करते थे कि भारत वह जमीन नहीं है जहां पर शरिया कानून लागू है, वे चर्चा करते थे कि अच्छे मुस्लिम और धर्म के बेतहरीन अनुयायी होने के नाते , उन्हें ऐसी जमीन पर रहना चाहिए जहां पर शरिया कानून लागू है.

अभियोजन पक्ष का दावा था कि अब्दुल्ला आईएसआईएस से जुड़े लोगों के संपर्क में था और उनसे संवाद के लिए ‘डार्क नेट ब्राउजर’ का इस्तेमाल करता था.

हालांकि, कुरैशी के वकील टी. डब्ल्यू पठान और आईए खान का कहना था कि एनआईए की प्राथमिकी मनगढ़ंत थी और देर से दर्ज की गई है’ और इस मामले की जांच पहले ही दो थाने (केरल की) कर रही थी.

अभियोजन पक्ष ने मामले में 57 गवाहों से पूछताछ की जिनमें लापता युवक के परिवार के सदस्य भी शामिल हैं. हालांकि, गवाहों और अशफाक के पिता ने अभियोजन के दावे का समर्थन नहीं किया.

मजीद के पिता ने बताया कि उसने बेटे के लापता की शिकायत केरल के पुलिस थाने में दर्ज कराई थी. हालांकि, मुंबई स्थित नागपाड़ा पुलिस थाने में पुलिस ने शिकायत दर्ज की और उनसे हस्ताक्षर करने को कहा.

एनआईए ने नागपाड़ा पुलिस थाने में दर्ज मामले के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की.

रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने कहा कि वर्तमान मामले में तथ्यों, परिस्थितियों और सबूतों के साथ कानून के प्रावधानों को देखने पर यह पता चला कि अभियोजन पक्ष के लिए प्रमुख साक्ष्य के माध्यम से धारा के अनुसार उसके आरोपों को साबित करना था.

अदालत ने मामले पर फैसला देते हुए कहा, ‘केवल दावा ही सबूत का स्थान नहीं ले सकता. अभियोजन का तर्क और कहानी आकर्षक हो सकती है, लेकिन इसे सबूतों के आधार पर साबित होना चाहिए. सबूतों के अभाव में यह नहीं कहा जा सकता कि अभियोजन पक्ष मामले को साबित करने में सफल रहे है.’

अदालत ने कहा कि सबसे अहम है कि अशफाक के पिता, मां और भाई गवाही में गैरकानूनी गतिविधि और कुरैशी को आतंकवादी संगठन से समर्थन को लेकर चुप हैं.

अदालत ने कहा कि अशफाक द्वारा भाई (जो इस मामले में गवाह है) को आईएसआईएस में रहने से संबंधित दी गई जानकारी इस मामले के गवाह की गवाही पर गंभीर आशंका पैदा करते हैं क्योंकि उसके मोबाइल फोन को एनआईए द्वारा जब्त नहीं किया गया.

अदालत ने इस बात पर भी गौर किया कि कुरैशी द्वारा दो गवाहों के इस्लाम में धर्मांतरण का दावा भी इन गवाहों की क्रॉस-एग्जामिनेशन में दी गई गवाही के कारण संदेह के घेरे में आ गया था.

अदालत ने कहा कि उन्होंने जिरह में स्पष्ट रूप से बयान दिया कि कुरैशी ने उन्हें कोई आपत्तिजनक बात या बयान नहीं दिया और उन्हें आरोपी के खिलाफ कोई शिकायत नहीं है. अदालत ने आगे कहा कि अन्य गवाहों के सबूत भी आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं.

अदालत ने कहा, ‘इन परिस्थितियों में यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि अभियोजन कुरैशी के खिलाफ आरोपों को साबित करने में विफल रहा है और इसलिए वह बरी होने का हकदार है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq