लखीमपुर की घटना के साल भर बाद भी अजय मिश्रा का मंत्री बने रहना अपमानजनक: कांग्रेस

पिछले साल तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया गांव में किसानों के प्रदर्शन के दौरान एक वाहन से कुचले जाने और हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोग मारे गए थे. इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा मुख्य आरोपी हैं.

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लखीमपुर खीरी के तिकोनिया इलाके में 3 अक्टूबर 2021 को हुई हिंसा में क्षतिग्रस्त हुआ एक वाहन. (फाइल फोटो: पीटीआई)

पिछले साल तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया गांव में किसानों के प्रदर्शन के दौरान एक वाहन से कुचले जाने और हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोग मारे गए थे. इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा मुख्य आरोपी हैं.

लखीमपुर खीरी के तिकोनिया इलाके में 3 अक्टूबर 2021 को हुई हिंसा में क्षतिग्रस्त हुआ एक वाहन. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली/लखीमपुर खीरी/फगवाड़ा: कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी में पिछले साल हुई हिंसा में आठ लोगों की मौत की घटना के एक साल पूरा होने के मौके पर सोमवार को कहा कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा का अब तक अपने पद पर बने रहना अपमानजनक है.

पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘एक साल बीत गया, लेकिन लखीमपुर खीरी के शहीद किसानों को इंसाफ नहीं मिला. कारण वही- हमेशा की तरह भाजपा अपराधियों को बचा रही है. जब हमने भारत जोड़ो यात्रा करने का फैसला लिया, तब हमारे लिए किसान आंदोलन एक बड़ी प्रेरणा थी. अन्नदाताओं को न्याय दिलाए बिना ये संघर्ष ख़त्म नहीं होगा.’

पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि लखीमपुर किसान नरसंहार ने भाजपा सरकार का किसान विरोधी चेहरा सामने ला दिया है. एक साल बाद भी मंत्री सत्ता के संरक्षण के चलते पद पर बरकरार हैं.

उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘लखीमपुर किसान नरसंहार ने भाजपा सरकार का किसान विरोधी चेहरा सामने ला दिया है. एक साल बाद भी मंत्री सत्ता के संरक्षण के चलते पद पर बरकरार हैं. सुनवाई सुस्त पड़ी है और पीड़ित परिवार निराश हैं. किसानों के संघर्ष के बावजूद न तो उन्हें एमएसपी का कानून मिला, न शहीद किसानों के लिए न्याय.’

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने संवाददाताओं से कहा, ‘लखीमपुर खीरी हत्याकांड को आज एक साल हो गया. एक साल पहले कई किसानों को मार दिया गया था. मोदी सरकार के एक मंत्री इस षड्यंत्र में शामिल थे. आज भी वह मंत्रिपरिषद के सदस्य हैं. इससे अपमानजनक बात कुछ नहीं हो सकती कि ‘काले कानूनों’ के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को मारा गया और इसके दोषी मंत्री अपने पद पर बने हुए हैं.’

उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी समेत संयुक्त किसान मोर्चा की सभी मांगों का एक बार फिर से समर्थन करती है.

रमेश ने दावा किया, ‘भारत जोड़ो यात्रा का एक मकसद किसानों के लिए आर्थिक न्याय की मांग उठाना है. मोदी सरकार किसानों को आर्थिक न्याय देने में विफल रही है…मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में निजी कंपनियों की भूमिका बढ़ा रही है. यह बहुत चिंताजनक बात है.’

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे के खिलाफ किसान तीन अक्टूबर, 2021 को लखीमपुर-खीरी के तिकुनिया इलाके में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और इसी दौरान एक वाहन से कुचले जाने से चार लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद हुई हिंसा में दो भाजपा कार्यकर्ताओं और एक पत्रकार सहित चार अन्य लोग मारे गए थे.

हिंसा में मारे गए प्रदर्शनकारी केंद्र के उन तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे, जिन्हें बाद में सरकार ने वापस ले लिया था. अजय कुमार मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा हिंसा के इस मामले में आरोपी हैं.

लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के परिवारों को अभी तक न्याय नहीं मिला: टिकैत

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के परिवारों को अभी तक न्याय नहीं मिला है.

टिकैत हिंसा की पहली बरसी पर सोमवार को तिकुनिया क्षेत्र के कौड़ियाला घाट गुरुद्वारा में आयोजित धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेने पहुंचे थे.

उन्होंने रविवार शाम को संवाददाताओं से कहा, ‘पीड़ितों के परिवारों को अभी तक न्याय नहीं मिला है.’

हिंसा का जिक्र करते हुए राकेश टिकैत ने कहा, ‘यह (गांधी जयंती) ‘शांति’ का सप्ताह था. लेकिन पिछले साल इस दौरान हिंसा हुई में आठ लोगों की जान चली गई जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण था.’

उन्होंने कहा, ‘देश भर के किसान इस घटना को कभी नहीं भूलेंगे.’

न्याय मिलने में देरी के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए भाकियू नेता ने कहा, ‘सत्तारूढ़ प्रतिष्ठान न तो कानूनी व्यवस्था में विश्वास करता है और न ही संविधान में और अपनी शक्ति का दुरुपयोग करता है.’

आगे की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर टिकैत ने कहा कि लोग केवल (अन्याय के खिलाफ) आवाज उठा सकते हैं और बाकी सब सरकार के हाथ में है.

अगस्त में लखीमपुर में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के तीन दिवसीय विरोध-प्रदर्शन का हवाला देते हुए टिकैत ने कहा, ‘50,000 से अधिक किसान यहां इकट्ठे हुए और अपनी मांगों को रखा. उन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री या कुछ अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के साथ बातचीत का आश्वासन दिया गया था, हालांकि, इस दिशा में कुछ भी नहीं हुआ.’

किसानों ने पंजाब के फगवाड़ा में किया विरोध प्रदर्शन

लखीमपुर खीरी हिंसा के एक साल पूरे होने पर भारती किसान यूनियन (दोआबा) के सदस्यों ने केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने और कृषि कानूनों (अब निरस्त किए जा चुके) के विरोध में हुए आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज ‘मनगढ़ंत’ मामलों को वापस लेने की मांग करते हुए सोमवार को विरोध प्रदर्शन किया.

प्रदर्शनकारियों ने कृषि कानूनों के विरोध के समय किसानों को गाड़ी से कुचलने में उनके बेटे की कथित संलिप्तता का हवाला देते हुए मंत्री के रूप में अजय मिश्रा ‘टेनी’ का कार्यकाल जारी रखने को लेकर केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार पर हमला बोला.

भाकियू (डी) के उपाध्यक्ष कृपाल सिंह मूसापुर और महासचिव सतनाम सिंह साहनी के नेतृत्व में किसानों ने यहां राष्ट्रीय राजमार्ग पर चीनी मिल चौराहे पर प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार और मिश्रा के खिलाफ नारेबाजी की.

प्रदर्शनकारी किसानों ने फगवाड़ा अनुमंडलीय अतिरिक्त उपायुक्त (एडीसी) डॉ नयन जस्सल को एक ज्ञापन भी सौंपा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित ज्ञापन में मिश्रा को कैबिनेट से बर्खास्त करने की मांग की गई है.

साहनी ने यह भी कहा कि ज्ञापन के जरिये किसानों ने उनके खिलाफ दर्ज ‘मनगढ़ंत मामलों को वापस लेने और जेल में बंद किसानों की तत्काल रिहाई की मांग की है.’

उन्होंने कहा कि ज्ञापन में किसानों ने सरकार के वादे के अनुसार शहीद किसानों, पत्रकार के परिवार के पात्र सदस्यों को सरकारी नौकरी और घायल किसानों को मुआवजा दिलाने की भी मांग की है.

मूसापुर ने आरोप लगाया कि घटना के एक साल बीत जाने के बाद भी किसान न्याय का इंतजार कर रहे हैं.

गौरतलब है कि पिछले साल तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया गांव में किसानों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोग मारे गए थे. इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्रा को नौ अक्टूबर 2021 को मुख्य अभियुक्त के तौर पर गिरफ्तार किया गया था.

तीन अक्टूबर 2021 को यानी घटना के दिन लखीमपुर खीरी के सांसद अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के विरोध में वहां के आंदोलित किसानों ने उनके (टेनी) पैतृक गांव बनबीरपुर में आयोजित एक समारोह में उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के जाने का विरोध किया था.

आरोप है कि इस दौरान अजय मिश्रा से संबंधित महिंद्रा थार सहित तीन एसयूवी के एक काफिले ने तिकुनिया क्रॉसिंग पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को रौंद दिया था, जिसमें चार किसानों और एक पत्रकार की मौत हो गई थी और लगभग आधा दर्जन लोग घायल हुए थे.

मामले में अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा और उसके दर्जन भर साथियों के खिलाफ चार किसानों को थार जीप से कुचलकर मारने और उन पर फायरिंग करने जैसे कई गंभीर आरोप हैं.

महिंद्रा थार वाहन के मालिक आशीष मिश्रा के पिता केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ थे. उत्तर प्रदेश पुलिस की प्राथमिकी के अनुसार, एक वाहन जिसमें आशीष मिश्रा बैठे थे, उसने चार किसानों को कुचल दिया था.

गाड़ी से कुचल जाने से मृत किसानों में गुरविंदर सिंह (22 वर्ष), दलजीत सिंह (35 वर्ष), नक्षत्र सिंह और लवप्रीत सिंह के अलावा पत्रकार रमन कश्यप शामिल थे.

प्रदर्शनकारी किसानों के एक समूह को एसयूवी ​के काफिले से कुचले जाने के बाद भीड़ द्वारा दो भाजपा कार्यकर्ताओं समेत तीन लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी.

इनकी पहचान भाजपा कार्यकर्ताओं- शुभम मिश्रा (26 वर्ष) और श्याम सुंदर (40 वर्ष) और केंद्रीय राज्य मंत्री की एसयूवी के चालक हरिओम मिश्रा (35 वर्ष) के रूप में हुई थी.

इस संबंध में पहली प्राथमिकी एक किसान द्वारा दर्ज कराई गई थी, जिसमें आशीष मिश्रा और 15-20 अन्य पर चार किसानों और एक पत्रकार को कुचलने का आरोप लगाया गया था.

हिंसा की जांच के लिए गठित एसआईटी ने आशीष मिश्रा, सुमित जायसवाल, अंकित दास और 11 अन्य के खिलाफ आईपीसी, शस्त्र कानून की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी संख्या-219 के संबंध में तीन जनवरी को आरोप-पत्र दाखिल किया था.

दूसरी प्राथमिकी दो भाजपा कार्यकर्ताओं और एक ड्राइवर की हत्या के मामले में सुमित जायसवाल ने दर्ज कराई थी. प्राथमिकी संख्या-220 के संबंध में जांच करते हुए एसआईटी ने सात लोगों की पहचान की थी और उन्हें गिरफ्तार किया था. हालांकि, बीते जनवरी माह में ही आरोप-पत्र दाखिल करते समय केवल चार किसानों को ही आरोपी बनाया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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