शिवसेना के शिंदे गुट ने संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की विरासत के साथ-साथ पार्टी के ‘धनुष और तीर’ चुनाव चिह्न पर दावा किया था. साथ ही मांग की थी कि उद्धव ठाकरे समूह को इसका उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. इसके बाद आयोग ने इस प्रतीक पर रोक लगा दी थी.
नई दिल्ली/मुंबई: निर्वाचन आयोग ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को ‘मशाल’ चुनाव चिह्न आवंटित किया है. आयोग ने धार्मिक अर्थों का हवाला देते हुए चुनाव चिह्न के रूप में ‘त्रिशूल’ की मांग करने के उद्धव गुट के दावे को खारिज कर दिया है.
शिवसेना के प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच विवाद को लेकर निर्वाचन आयोग ने सोमवार को एक आदेश जारी कर उद्धव ठाकरे नीत गुट के लिए पार्टी के नाम के रूप में ‘शिवसेना – उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ नाम आवंटित किया, जबकि एकनाथ शिंदे के गुट को ‘बालासाहेबंची शिवसेना’ (बालासाहेब की शिवसेना) नाम आवंटित किया है.
उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना के प्रतिद्वंद्वी गुटों ने निर्वाचन आयोग द्वारा उन्हें ‘बालासाहेब’ का उल्लेख करने वाले नए नाम आवंटित किए जाने पर संतोष व्यक्त किया है.
आयोग ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को ‘मशाल’ चुनाव चिह्न आवंटित किया है. आयोग ने शिंदे गुट से मंगलवार सुबह 10 बजे तक तीन चुनाव चिह्नों की सूची दाखिल करने को कहा था.
निर्वाचन आयोग ने मंगलवार एक बयान में कहा है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना धड़े को अंधेरी (पूर्व) में आगामी उपचुनाव के लिए प्रतीक के रूप में ‘दो तलवारें और ढाल’ मिली है.
निर्वाचन आयोग ने यह भी बताया कि दोनों धड़ों द्वारा मांगा गया ‘उगता सूरज’ चुनाव चिह्न तमिलनाडु और पुडुचेरी में द्रविड़ मुनेत्र कझगम (द्रमुक) के लिए आरक्षित था.
ठाकरे के करीबी और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री भास्कर जाधव ने कहा, ‘हमें खुशी है कि तीन नाम जो हमारे लिए सर्वाधिक मायने रखते हैं- उद्धव जी, बालासाहेब और ठाकरे – उन्हें नए नाम में रखा गया है.’
शिंदे समूह के मुख्य सचेतक भरत गोगावाले ने कहा कि वे हमेशा से ही पार्टी में बालासाहेब का नाम चाहते थे और इसे पाकर खुश हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमारे गुट को अब शिंदे खेमा नहीं बल्कि ‘बालासाहेबंची शिवसेना’ कहा जाएगा.’
इससे पहले आयोग ने धार्मिक अर्थों का हवाला देते हुए शिवसेना के प्रतिद्वंद्वी गुटों को ‘त्रिशूल’ और ‘गदा’ को चुनाव चिह्न के रूप में आवंटित करने के सुझाव को खारिज कर दिया था.
निर्वाचन आयोग ने शनिवार (15 अक्टूबर) को शिवसेना के दोनों खेमों को तीन नवंबर को अंधेरी (पूर्व) विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करने से प्रतिबंधित कर दिया था. आयोग ने उनसे सोमवार दोपहर तक तीन अलग-अलग नाम और इतनी ही संख्या में चिह्न बताने को कहा था.
समझा जाता है कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने राजनीतिक दलों को धार्मिक अर्थ रखने वाले चुनाव चिह्न आवंटित करने के मामले में कड़ा रुख अपना रखा है.
शिवसेना के प्रतिद्वंद्वी गुटों में से दोनों ने ‘त्रिशूल’ और ‘उगता सूर्य’ को चुनाव चिह्न के रूप में आवंटित करने की मांग की थी.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, शिंदे गुट ने संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की विरासत के साथ-साथ पार्टी के ‘धनुष और तीर’ चुनाव चिह्न पर दावा किया था. यह गुट आगामी उपचुनावों में भाग नहीं ले रहा है. उपचुनाव में इस सत्तारूढ़ गठबंधन का प्रतिनिधित्व करने वाला भाजपा का उम्मीदवार होगा.
हालांकि शिंदे गुट ने मांग की है कि उद्धव ठाकरे समूह को ‘धनुष और तीर’ के प्रतीक का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
इसके बाद आयोग ने ‘धनुष और तीर’ प्रतीक पर रोक लगा दी थी और फिर अस्थायी उपाय के रूप में नए नाम और प्रतीकों को आवंटित करने का निर्णय लिया.
उद्धव ठाकरे गुट ने दिल्ली हाईकोर्ट में ‘धनुष और तीर’ के चिह्न पर रोक को चुनौती दी है. गुट ने यह तर्क दिया है कि आयोग बिना सुनवाई के ऐसा निर्णय नहीं ले सकता है.
शिवसेना बनाम शिवसेना की लड़ाई बीते जून महीने में एकनाथ शिंदे द्वारा पार्टी बगावत के बाद शुरू हुई थी. शिंदे ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ बगावत करते हुए दावा किया था कि उनके पास शिवसेना के 55 में 40 विधायकों और 18 लोकसभा सदस्यों में से 12 का समर्थन प्राप्त है.
इसके बाद उद्धव के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई और शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर एक नई सरकार बना ली थी. उद्धव के इस्तीफे के बाद शिंदे ने भाजपा की मदद से सरकार बनाने हुए मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)