जम्मू कश्मीर: पांच सरकारी कर्मचारियों को ‘सुरक्षा के लिए ख़तरा’ बताकर नौकरी से बर्ख़ास्त किया

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बारामूला सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के एक प्रबंधक, ग्रामीण विकास विभाग में ग्रामीण स्तर के कार्यकर्ता सैयद इफ़्तिख़ार अंद्राबी, पुलिस की सहायक शाखा के एक आरक्षक तनवीर सलीम डार, जल शक्ति विभाग के एक अर्दली इरशाद अहमद ख़ान और बिजली विकास विभाग में सहायक लाइनमैन एबी मोमिन पीर को बर्ख़ास्त करने के आदेश जारी किए हैं.

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा. (फोटो: पीटीआई)

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बारामूला सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के एक प्रबंधक, ग्रामीण विकास विभाग में ग्रामीण स्तर के कार्यकर्ता सैयद इफ़्तिख़ार अंद्राबी, पुलिस की सहायक शाखा के एक आरक्षक तनवीर सलीम डार, जल शक्ति विभाग के एक अर्दली इरशाद अहमद ख़ान और बिजली विकास विभाग में सहायक लाइनमैन एबी मोमिन पीर को बर्ख़ास्त करने के आदेश जारी किए हैं.

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा. (फोटो: पीटीआई)

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कथित तौर पर ‘राज्य की सुरक्षा के लिए खतरा’ बताकर पांच कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बर्खास्त कर्मचारियों में एक पुलिसकर्मी और एक बैंक मैनेजर शामिल हैं.

यह फैसला कश्मीर विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर और एक वैज्ञानिक, कश्मीर प्रशासनिक सेवा (केएएस) के एक अधिकारी और जम्मू-कश्मीर के उद्यमिता विकास संस्थान (जेकेईडीआई) के एक प्रबंधक की बर्खास्तगी के दो महीने बाद आया है.

शनिवार को, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बारामूला सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के प्रबंधक अफाक अहमद वानी, ग्रामीण विकास विभाग में ग्रामीण स्तर के कार्यकर्ता सैयद इफ्तिखार अंद्राबी, पुलिस की सहायक शाखा के एक कांस्टेबल तनवीर सलीम डार, जल शक्ति विभाग के एक अर्दली इरशाद अहमद खान और बिजली विकास विभाग में एक सहायक लाइनमैन एबी मोमिन पीर को बर्खास्त करने के आदेश जारी किए हैं.

सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) द्वारा शनिवार को जारी आदेश में कहा गया है, ‘उपराज्यपाल मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के बाद और उपलब्ध जानकारी के आधार पर संतुष्ट हैं कि वानी की गतिविधियां ऐसी हैं कि उन्हें सेवा से बर्खास्त किया जाए.’

आदेश में आगे कहा गया है, ‘उपराज्यपाल भारत के संविधान के अनुच्छेद 311 के खंड(2) प्रावधान के उपखंड (सी) के तहत संतुष्ट हैं कि राज्य की सुरक्षा के हित में वानी के मामले में जांच करना आवश्यक नहीं है. इसी के मुताबिक, उपराज्यपाल वानी को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करते हैं.’

अनुच्छेद 311(2)(C) सरकार को अधिकार देता है कि वह अपने कर्मचारी से स्पष्टीकरण मांगे बिना या उनके आचरण की जांच के आदेश के बिना बर्खास्त कर सके.

अखबार के मुताबिक, अब तक इस विवादित अनुच्छेद के तहत लगभग 34 कर्मचारियों को बर्खास्त किया जा चुका है, सरकार ने उनके या मीडिया के साथ उनकी बर्खास्तगी के कारण को साझा नहीं किया है.

ऐसे ही समान शब्दों वाले आदेश में सरकार ने अन्य चार कर्मचारियों को भी बर्खास्त करने का निर्देश दिया है. बर्खास्त किए गए पांच कर्मचारियों में से चार उत्तरी कश्मीर के हैं, तीन हंदवारा और एक सोपोर से. जबकि एक कर्मचारी, तनवीर सलीम डार, श्रीनगर का है.

पिछले एक साल में, जम्मू कश्मीर प्रशासन 40 से अधिक कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर चुका है. इनमें पांच जम्मू क्षेत्र के हैं और बाकी कश्मीर घाटी से हैं.

हिजबुल मुजाहिदीन के शीर्ष कमांडर सैयद नवीद के साथ गिरफ्तार किए गए पुलिस उपाधीक्षक देविंदर सिंह को छोड़कर बर्खास्त किए गए सभी कर्मचारी मुस्लिम हैं.

राइजिंग कश्मीर के मुताबिक, अधिकारियों ने कहा कि तनवीर सलीम डार हमेशा अलगाववादी और कट्टरपंथी विचारधारा के समर्थक रहे हैं. वह कई आतंकी गतिविधियों में संलिप्त पाए गए हैं और आतंकवादी संगठनों के एक सक्रिय सदस्य हैं. इस संबंध में अधिकारियों ने डार के खिलाफ दर्ज मामलों की भी जानकारी दी.

जम्मू कश्मीर सरकार के प्रवक्ता ने कहा, सैयद इफ्तिखार अंद्राबी ने लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन के लिए ओजीडब्ल्यू के रूप में काम किया है. उन्होंने पीओके स्थित आतंकवादियों के साथ घनिष्ठ संबंध विकसित कर लिए थे और नार्को आतंकी वित्तपोषण में शामिल हो गए थे. उन्हें डबल एजेंट कहा जा सकता है क्योंकि उन्होंने भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ भी बहुत करीबी संबंध बनाए रखे. उनके खिलाफ हंदवाड़ा में मामला दर्ज है जो एनआईए को स्थानांतरित किया जा चुका है.

इरशाद अहमद खान के बारे में बताया गया है कि उन्हें आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने में आतंकियों की मदद करने में शामिल पाया गया. उन्हें आतंकवादियों को भारत से बाहर निकलने में मदद करने में भी शामिल पाया गया.

वहीं, वानी के बारे में कहा गया है कि उनके पास से भारी मात्रा में नकदी और हेरोइन बरामद हुई है. वह मादक पदार्थ हेरोइन की बिक्री, खरीद, परिवहन, भंडारण और अपने पास रखने में शामिल थे.

वहीं, नार्को टेरर फाइनेंसिंग में शामिल अब्दुल मोमिन पीर वितरण नेटवर्क का हिस्सा रहे हैं. आतंकवाद-अलगाववादी अभियानों के व्यापक उद्देश्यों की समझ विकसित करने के उद्देश्य से उन्होंने 2016 और 2017 में पाकिस्तान का दौरा किया है. उनके पास से भारी मात्रा में हेरोइन बरामद हुई है. उन पर भी पहले से एक एफआईआर दर्ज है.

सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि इन पांच बर्खास्तगियों से पहले 39 सरकारी कर्मचारियों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 के प्रावधानों के तहत बर्खास्त किया गया है. भविष्य में भी सरकार इन राष्ट्रविरोधी तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने से नहीं हिचकेगी.