मृत कश्मीरी पंडित को दी गई अंतिम विदाई, हत्या के ख़िलाफ़ जम्मू कश्मीर में जगह-जगह प्रदर्शन

बीते 15 अक्टूबर को दक्षिण कश्मीर के शोपियां ज़िले में पूरण कृष्ण भट्ट की उनके पैतृक आवास के बाहर आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस हत्या के विरोध में हुए प्रदर्शनों में लोगों ने कहा कि जम्मू कश्मीर में सुरक्षा हालात गंभीर हैं, लेकिन सरकार इससे बेपरवाह है और केवल एक ही काम कर रही है जो है ‘सामान्य हालात’ का झूठ बोलना. 

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कश्मीरी पंडित पूरन कृष्ण भट की दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में चौधरी गुंड इलाके के उनके पैतृक आवास के बाहर 15 अक्टूबर)को आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. (फोटो: पीटीआई)

बीते 15 अक्टूबर को दक्षिण कश्मीर के शोपियां ज़िले में पूरण कृष्ण भट्ट की उनके पैतृक आवास के बाहर आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस हत्या के विरोध में हुए प्रदर्शनों में लोगों ने कहा कि जम्मू कश्मीर में सुरक्षा हालात गंभीर हैं, लेकिन सरकार इससे बेपरवाह है और केवल एक ही काम कर रही है जो है ‘सामान्य हालात’ का झूठ बोलना.

कश्मीरी पंडित पूरन कृष्ण भट्ट की हत्या के विरोध में शोपियां जिले में 15 अक्टूबर, 2022 को विरोध प्रदर्शन. (फोटो: पीटीआई)

जम्मू/श्रीनगर: दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में आतंकवादियों द्वारा एक कश्मीरी पंडित पूरन कृष्ण भट्ट की हत्या के विरोध में रविवार को बड़ी संख्या में कश्मीरी अपना विरोध दर्ज कराने के लिए सामने आए. उत्तर, दक्षिण और मध्य कश्मीर में लोगों ने इस हत्या के विरोध में कैंडल लाइट विरोध मार्च निकाला. जम्मू में भी ऐसे ही विरोध प्रदर्शन देखने को मिले.

ग्रेटर कश्मीर की रिपोर्ट के अनुसार, शोपियां, बांदीपोरा, बारामूला, गांदरबल, कुपवाड़ा, कुलगाम, अनंतनाग और श्रीनगर सहित कश्मीर में विभिन्न स्थानों से कई शांतिपूर्ण विरोध और कैंडललाइट मार्च निकाले गए.

शोपियां जिले में विभिन्न सरकारी विभागों के कर्मचारियों ने निर्दोष नागरिकों की हत्या की निंदा करते हुए शाम करीब छह बजे जिलाधिकारी कार्यालय से विरोध रैली निकाली.

हाथों में तख्तियां लिए प्रदर्शनकारियों ने लाउडस्पीकरों पर ‘मासूमों का कत्ल-ए-आम बंद करो और पूरन कृष्ण अमर रहे’ के नारे लगाए.

बारामूला में व्यापारियों, गैर सरकारी संगठनों और राजनीतिक नेताओं सहित लोगों ने भी हत्या के विरोध में कैंडल मार्च निकाला. जम्मू और कश्मीर छात्र कल्याण मंच (जेकेएसडब्ल्यूएफ) ने भी हत्या के खिलाफ मागम में विरोध प्रदर्शन किया.

जम्मू में जगह-जगह हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान आम आदमी पार्टी (आप) के अनेक कार्यकर्ताओं को रविवार को हिरासत में लिया गया. विरोध प्रदर्शन में राजनीतिक दल, सामाजिक समूह भी शामिल हुए.

आप के जिला विकास परिषद सदस्य टीएस टोनी, महाराज कृष्ण योगी और अमृत वट्टाल समेत वरिष्ठ नेताओं के नेतृत्व में आप के कार्यकर्ताओं ने जम्मू स्थित प्रेस क्लब के बाहर प्रदर्शन किया. इस दौरान उन पर लाठीचार्ज हुआ और पुलिस ने कार्यकर्ताओं को कुछ देर के लिए हिरासत में भी लिया.

आप के प्रवक्ता ने दावा किया कि पुलिस कार्रवाई में अनेक कार्यकर्ता घायल हुए हैं. उन्होंने बताया, ‘हम निर्दोषों की हत्या के विरोध में प्रदर्शन करने और घाटी में सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने में भाजपा नीत सरकार की विफलता को सामने लाने के लिए एकत्रित हुए थे.’

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में सुरक्षा हालात गंभीर हैं, लेकिन सरकार इससे बेपरवाह है और केवल एक ही काम कर रही है, जो है ‘सामान्य हालात’ का झूठ बोलना.

डेली एक्सेलसियर की रिपोर्ट के अनुसार, आप नेता महाराज कृष्ण योगी ने इस विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर गंभीर सुरक्षा स्थिति का सामना कर रहा है जिसमें निर्दोष नागरिक आसान लक्ष्य बन रहे हैं और कश्मीरी पंडित समुदाय सबसे ज्यादा पीड़ित है.

जिला विकास परिषद के सदस्य और आप नेता टीएस टोनी ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर के अपने हालिया दौरे के दौरान यहां सामान्य स्थिति का दावा करने के लिए कुछ आंकड़े दिए.

उन्होंने कहा कि गृह मंत्री ने भाजपा शासन के दौरान हुईं हत्याओं की संख्या की तुलना अन्य सरकारों के शासन में हुईं हत्याओं की संख्या से की. संख्या का यह खेल स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि सरकार द्वारा निशाना बनाकर की जा रहीं हत्याएं को एक संख्या के रूप में देखा जा रहा है.

इसके अलावा बड़ी संख्या में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने भी प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रमन भल्ला के नेतृत्व में प्रदर्शन किया.

कश्मीरी पंडित पूर्ण कृष्ण भट्ट की हत्या की निंदा करते हुए कांग्रेस सेवा दल के अध्यक्ष विजय शर्मा बब्बी ने कहा कि सरकार ने केवल कश्मीर में स्थिति को सामान्य करने के लिए झूठ बोलने पर ध्यान केंद्रित किया हुआ है, लेकिन नी स्थिति सरकार के लंबे दावों से अलग है.

कश्मीरी पंडित यूनाइटेड फ्रंट (केपीयूएफ) ने एक आपातकालीन बैठक की और समुदाय के सदस्य पूरन कृष्ण भट्ट की क्रूर हत्या की कड़ी निंदा की.

जम्मू में लोगों ने कश्मीरी पंडित पूरन कृष्ण भट्ट को दी अश्रुपूर्ण अंतिम विदाई

कश्मीरी पंडित पूरन कृष्ण भट्ट का रविवार को जम्मू में जब अंतिम संस्कार किया गया, तो भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा. शोक संतप्त समुदाय ने घाटी में आतंकवादियों द्वारा लोगों की चुनकर हत्या को रोकने में सरकार की कथित नाकामी के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया.

कश्मीरी पंडित पूरन कृष्ण भट्ट की दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में चौधरी गुंड इलाके के उनके पैतृक आवास के बाहर 15 अक्टूबर)को आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. (फोटो: पीटीआई)

भट्ट की दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में चौधरी गुंड इलाके के उनके पैतृक आवास के बाहर शनिवार (15 अक्टूबर) को आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.

जम्मू में शनिवार देर रात को भट्ट के मुथी आवास पर उनके गमगीन परिजनों को उनका शव सौंपा गया.

पाकिस्तान के खिलाफ जोरदार नारे लगाते हुए हजारों लोग भट्ट के दो बच्चों श्रिया (बेटी) और शानू (बेटा) तथा अन्य परिजनों के साथ रविवार बन तालाब श्मशान घाट पर उन्हें अश्रुपूर्ण विदाई देने उमड़ पड़े.

उन्होंने परिवार को उचित मुआवजा देने की भी मांग की, जिसमें 50 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और मृतक की पत्नी को सरकारी नौकरी देने के अलावा सुरक्षा स्थिति सामान्य होने तक हिंदू कर्मचारियों को फौरन घाटी के बाहर स्थानांतरित करने की मांग शामिल है.

भट्ट का शव जब श्मशान घाट पहुंचा, तो भट्ट के कई रिश्तेदार फूट-फूटकर रो पड़े. श्रिया को अपने पिता के शव को चूमते हुए देखा गया, जबकि पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाला उसका भाई अपने पिता को निहार रहा था.

शोकाकुल लोगों ने मंडल आयुक्त रमेश कुमार के साथ अन्य वरिष्ठ पुलिस और सिविल अधिकारियों के श्मशान घाट पर पहुंचने के तुरंत बाद घाटी में निशाना बनाकर की जा रहीं हत्याओं (Targeted Killlings) को रोकने में कथित नाकामी के लिए प्रशासन के खिलाफ नारे भी लगाए.

भट्ट के एक रिश्तेदार सतीश कुमार ने कहा, ‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक और कश्मीरी पंडित आतंकवादियों की गोलियों का निशाना बन गया, जिससे सुरक्षा स्थिति में सुधार होने के सरकार के झूठे दावों की पोल खुल गई है. वह पिछले दो साल में मारे गए अल्पसंख्यक समुदाय के 18वें व्यक्ति हैं.’

उन्होंने कहा कि जहां भट्ट की हत्या की गई, उसके नजदीक पुलिस की एक चौकी और सेना का एक शिविर है, जो यह दिखाता है कि घाटी में सुरक्षा स्थिति 90 के दशक की जैसी हो गई है.

भट्ट के एक अन्य रिश्तेदार ने कहा कि उन्हें लगता है कि आतंकवाद के पनपने के बाद घाटी न छोड़ना उनकी सबसे बड़ी भूल थी.

कश्मीरी पंडित स्वयंसेवकों के एक सदस्य विक्रम कौल ने कहा कि सरकार को मृतक के परिवार को 50 लाख रुपये के मुआवजे और एक नौकरी की फौरन घोषणा करनी चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘हम सरकार से सभी हिंदुओं को घाटी के बाहर तत्काल स्थानांतरित करने का भी अनुरोध करते हैं, क्योंकि वह उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने में नाकाम रही है.’

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक मूड भांपते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता भट्ट के दाह संस्कार में शामिल होने से दूर रहे.

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (जम्मू) मुकेश सिंह, संभागीय आयुक्त (जम्मू) रमेश कुमार और कई अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भट्ट के परिवार घर का दौरा किया और उन्हें सहायता का आश्वासन दिया.

भट्ट उन कुछ कश्मीरी पंडितों में से थे, जो चरम उग्रवाद की अवधि के दौरान भी घाटी में रहे. शोपियां में सेब के बाग के मालिक भट्ट 15-20 दिन पहले ही जम्मू में अपने परिवार के साथ करीब एक महीना बिताने के बाद लौटे थे. सेब का बाग उनके परिवार की आजीविका का एकमात्र स्रोत है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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