अडाणी समूह को एयरपोर्ट सौंपने के ख़िलाफ़ केरल सरकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट में ख़ारिज

एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे का प्रबंधन अडाणी समूह को लीज़ पर दिए जाने के बाद अक्टूबर 2020 में उसने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया था. केरल सरकार ने इसके ख़िलाफ़ हाईकोर्ट का रुख़ किया था, जहां उसकी याचिका ख़ारिज कर दी गई थी. उसके बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी.

(फोटो: रॉयटर्स)

एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे का प्रबंधन अडाणी समूह को लीज़ पर दिए जाने के बाद अक्टूबर 2020 में उसने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया था. केरल सरकार ने इसके ख़िलाफ़ हाईकोर्ट का रुख़ किया था, जहां उसकी याचिका ख़ारिज कर दी गई थी. उसके बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी.

(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का प्रबंधन अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) को सौंपने को चुनौती दी थी.

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) यूयू ललित और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ केरल सरकार और हवाई अड्डे के कुछ कर्मचारी संगठनों द्वारा दायर स्पेशल लीव पिटीशन को खारिज कर दिया. हाईकोर्ट ने हवाई अड्डे की लीज को अडानी समूह को दिया जाना बरकरार रखा था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अडाणी एंटरप्राइजेज ने अक्टूबर 2020 में हवाई अड्डे को अपने नियंत्रण में ले लिया था, जब एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) द्वारा इसका प्रबंधन कंपनी को लीज पर दे दिया गया था.

नवंबर 2020 में केरल सरकार ने केरल हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसने अहमदाबाद की इस कंपनी को तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे के संचालन, प्रबंधन और उसे विकसित करने की अनुमति दी थी.

बता दें कि 19 अक्टूबर 2020 को हाईकोर्ट की जस्टिस के. विनोद चंद्रन और सीएस डायस की एक खंडपीठ ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा अडानी समूह को दिए टेंडर को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था.

लाइव लॉ के मुताबिक, अदालत ने कहा था कि वह हवाई अड्डे के निजीकरण के संबंध में कार्यपालिका के नीतिगत फैसले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है.

बता दें कि केरल विधानसभा ने सर्वसम्मति से तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड को देने के केंद्र सरकार के फैसले का विरोध करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था. सरकार ने मांग की थी कि हवाई अड्डे के प्रबंधन को राज्य सरकार के एक विशेष उद्देश्य वाहन (एसपीवी) को सौंप दिया जाना चाहिए.

इससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 19 अगस्त 2020 को जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डों को पट्टे पर अडाणी समूह को देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी.

वहीं, सरकार ने नवंबर, 2018 में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा परिचालित किए जाने वाले छह हवाईअड्डों को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत चलाने की अनुमति दी थी. इसके लिए मंगाई गईं बोलियां बीते 25 फरवरी , 2019 को खोली गई थीं.

सभी छह- अहमदाबाद, तिरुवनंतपुरम, लखनऊ, मेंगलुरु, जयपुर और गुवाहाटी हवाईअड्डों के परिचालन के लिए अडाणी समूह ने सबसे ऊंची बोली लगाई थी और संचालन के अधिकार हासिल किए थे.

2019 में केंद्रीय कैबिनेट ने अहमदाबाद, लखनऊ और मंगलुरु हवाईअड्डों को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत 50 सालों के लिए अडाणी समूह को देने के नागरिक विमानन मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी.

इसके विरोध में दायर केरल सरकार की याचिका केरल हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी और कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत यह विचारयोग्य नहीं है.

उसके बाद राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील दायर की थी. शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया और मेरिट के आधार पर फैसले के लिए मामले को फिर से उसके पास भेज दिया था.

सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार विस्तृत सुनवाई के लिए मामले को स्थगित करते हुए 25 अगस्त 2020 को केरल हाईकोर्ट ने एक बार फिर लीज की कार्यवाही को रोकने से इनकार कर दिया था.

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