केरल: राज्यपाल के नौ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से इस्तीफ़ा मांगने के आदेश पर हाईकोर्ट की रोक

केरल के राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान द्वारा रविवार को नौ कुलपतियों को सोमवार तक इस्तीफ़ा देने के निर्देश के ख़िलाफ़ आठ कुलपति हाईकोर्ट पहुंचे थे, जिसे कोर्ट ने अनुचित बताया है. वहीं, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन का कहना है कि राज्यपाल राज्य के विश्वविद्यालयों को नष्ट करने की मंशा से काम कर रहे हैं.

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New Delhi: Former union minister Arif Mohammad Khan during the launch of a book entitled 'Imam e Hind Ram', in New Delhi, Sunday, Sept. 1, 2019. Khan has been appointed the new Governor of Kerala. (PTI Photo/Atul Yadav)(PTI9_1_2019_000079B)
New Delhi: Former union minister Arif Mohammad Khan during the launch of a book entitled 'Imam e Hind Ram', in New Delhi, Sunday, Sept. 1, 2019. Khan has been appointed the new Governor of Kerala. (PTI Photo/Atul Yadav)(PTI9_1_2019_000079B)

केरल के राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान द्वारा रविवार को नौ कुलपतियों को सोमवार तक इस्तीफ़ा देने के निर्देश के ख़िलाफ़ आठ कुलपति हाईकोर्ट पहुंचे थे, जिसे कोर्ट ने अनुचित बताया है. वहीं, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन का कहना है कि राज्यपाल राज्य के विश्वविद्यालयों को नष्ट करने की मंशा से काम कर रहे हैं.

New Delhi: Former union minister Arif Mohammad Khan during the launch of a book entitled 'Imam e Hind Ram', in New Delhi, Sunday, Sept. 1, 2019. Khan has been appointed the new Governor of Kerala. (PTI Photo/Atul Yadav)(PTI9_1_2019_000079B)
आरिफ़ मोहम्मद ख़ान. (फाइल फोटो: पीटीआई)

कोच्चि: केरल उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य के आठ विश्वविद्यालयों के कुलपति से कहा कि वे अपने-अपने पद पर रहकर काम जारी रखें और उन्हें केवल तय प्रक्रिया का पालन करके ही हटाया जा सकता है.

जस्टिस देवन रामचंद्रन ने आठ कुलपतियों की ओर से दायर आपात याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि राज्यपाल की ओर से कुलपतियों को दिया गया निर्देश उचित नहीं था.

गौरतलब है कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने केरल के विश्वविद्यालयों के कुल नौ कुलपतियों को सोमवार तक इस्तीफा देने को कहा था. इनमें से एक एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति भी थे, जिनकी नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट ने अवैध माना था.

एपीजे विश्वविद्यालय के अलावा राज्यपाल द्वारा केरल विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, कोच्चि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, केरल यूनिवर्सिटी ऑफ फिशरीज एंड ओसियन स्टडीज, कन्नूर विश्वविद्यालय, श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, कालीकट विश्वविद्यालय और थुंचथ एजुथाचन मलयालम विश्वविद्यालय के कुलपतियों को इस्तीफा देने के लिए कहा गया था. इन सभी ने हाईकोर्ट का रुख किया था.

अदालत ने विशेष सुनवाई के दौरान कहा, ‘वे (आठ कुलपति) अपने पद पर बने रहने के पात्र हैं.’

अदालत ने पाया कि कुलाधिपति (जो खुद राज्यपाल हैं) ने कुलपतियों को कारण बताओ नोटिस जारी करके तीन नवंबर तक यह बताने के लिए कहा गया था कि क्यों न उन्हें पद से हटा दिया जाए.

इस आधार पर अदालत ने कहा कि कुलपतियों को इस्तीफा देने का निर्देश देने का कोई महत्व नहीं है. अदालत ने कहा कि कुलपतियों के खिलाफ केवल तय प्रक्रिया का पालन करके कार्रवाई की जा सकती है.

कुलपतियों ने अदालत से कहा कि 24 घंटों के अंदर इस्तीफा देने का राज्यपाल का निर्देश पूरी तरह अवैध था.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, रविवार (23 अक्टूबर) को राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कुलपतियों को सोमवार सुबह तक इस्तीफा देने का कहा था, जिसके संबंध में उन्होंने कहा था कि उनकी नियुक्ति या तो एक नाम वाले पैनल से की गई थी या ऐसी खोज/चयन समिति की अनुशंसा पर की गई थी जिसमें गैर-शिक्षाविद सदस्य थे.

सोमवार को, उन्होंने सभी नौ कुलपतियों को पद पर बने रहने के उनके कानूनी अधिकार का कारण बताने के लिए नोटिस दिया. कुलपतियों को 3 नवंबर तक जवाब देने के लिए कहा गया था.

इस बीच, कुलपतियों ने हाईकोर्ट का रुख किया, जिसने सोमवार शाम एक विशेष सुनवाई की. याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि राज्यपाल ने निर्णय लेते समय प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत को खारिज कर दिया क्योंकि इस्तीफा देने के लिए कहे जाने से पहले उनकी बात नहीं सुनी गई.

मुख्यमंत्री ने राज्यपाल पर संविधान, लोकतंत्र के विरुद्ध काम करने का आरोप लगाया

इससे पहले, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने इस फैसले के लिए सोमवार को ही राज्यपाल खान पर जमकर निशाना साधा. विजयन ने कहा कि राज्यपाल के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने राज्यपाल पर संविधान तथा लोकतंत्र के विरुद्ध काम करने का आरोप लगाया.

मुख्यमंत्री ने संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि राज्यपाल का कदम लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार और अकादमिक रूप से स्वतंत्र माने जाने वाले विश्वविद्यालयों की शक्तियों का अतिक्रमण है.

विजयन ने कहा कि यह एक ‘असामान्य’ कदम है. मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि राज्यपाल राज्य के ‘विश्वविद्यालयों को नष्ट’ करने की मंशा से काम कर रहे हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘राज्यपाल ने ही इन नौ विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति की थी और अगर ये नियुक्तियां गैरकानूनी थीं, तो पहली जिम्मेदारी खुद राज्यपाल की है.’

उन्होंने कहा कि कुलाधिपति को कुलपतियों का इस्तीफा मांगने का कोई अधिकार नहीं है.

राज्यपाल खान ने यह निर्देश, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमों के विपरीत, एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति को रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद दिया है.

विजयन ने कहा कि राज्यपाल कानून एवं न्याय के मूल सिद्धांतों को भूल रहे हैं और अस्वाभाविक रूप से जल्दबाजी दिखा रहे हैं तथा कुलाधिपति के पद का दुरुपयोग कर रहे हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि केटीयू कुलपति पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश प्रक्रियागत मुद्दे पर आधारित है और उसमें उनकी अकादमिक योग्यता पर कुछ नहीं कहा गया है.

उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि उस मामले में अभी भी पुनर्विचार याचिका दायर करने का मौका है. हालांकि, कुलाधिपति राज्य में पूरे विश्वविद्यालय प्रशासन को अस्थिर करने के लिए इस फैसले का इस्तेमाल कर रहे हैं.’

विजयन ने कहा, ‘उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में इस तरह का हस्तक्षेप नैसर्गिक न्याय का उल्लंघन है. कुलपतियों का पक्ष सुने बिना कुलाधिपति का यह एकतरफा कदम है.’

विजयन ने कहा कि कुलाधिपति के तौर पर राज्यपाल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का इस्तीफा नहीं मांग सकते, क्योंकि उस मामले में आदेश केवल उन्हीं कुलपति पर लागू होता है.

विजयन ने कहा, ‘कानून की सामान्य जानकारी रखने वाले व्यक्ति को भी यह बात स्पष्ट है…ऐसा मत सोचिए कि जो शक्तियां आपके पास नहीं है, आप उनका भी इस्तेमाल कर सकते हैं.’

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो किसी कुलाधिपति को कुलपति को बर्खास्त करने का अधिकार देता है. उन्होंने कहा कि किसी कुलपति को हटाते वक्त प्रक्रियाओं का पालन किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘विश्वविद्यालय के किसी भी फंड के दुरुपयोग के मामले में या नैतिक भ्रष्टाचार के आधार पर एक कुलपति को हटाया जा सकता है. फिर भी, इस तरह के आरोपों की जांच हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज द्वारा की जानी चाहिए और आरोप साबित होने पर उन्हें हटाया जा सकता है.’

विजयन ने कहा कि एक लोकतांत्रिक रूप से अधिकार प्राप्त कैबनिटे मौजूद है और कहा कि ‘यह भी याद रखा जाना चाहिए कि मनोनीत पद उससे ऊपर नहीं होते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘कुलाधिपति का पद एक लोकतांत्रिक प्रणाली द्वारा राज्यपाल को दिया जाता है और यह हमेशा पलटने योग्य होता है. लोकतंत्र और स्वायत्ता पर लगातार अतिक्रमण के बाद भी उस पद को उदारता के कारण बदला नहीं गया है. ‘

राज्यपाल बोले- मैंने उन्हें सम्मानजनक तरीके से पद छोड़ने का मौका दिया था

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस बीच, खान अपने रुख पर अड़े रहे. उन्होंने मीडिया से कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला बहुत स्पष्ट है और किसी को भी इसके दायरे से छूट नहीं दी जाएगी.

उन्होंने कहा कि चूंकि कुलपतियों ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था, इसलिए उन्होंने नोटिस दिया था.

उन्होंने कहा, ‘मैंने उन्हें सम्मानजनक तरीके से पद छोड़ने का मौका दिया था. वे कुलाधिपति की नहीं सुनते. वे एलडीएफ की बात सुन रहे हैं. उन्हें समीक्षा याचिका के साथ सुप्रीम कोर्ट जाने दीजिए. अयोग्य व्यक्तियों को केवल इसलिए नियुक्त किया गया क्योंकि वे पार्टी कैडर संबंध रखते हैं.’

इस बीच, सत्तारूढ़ माकपा ने खान पर राज्य के विश्वविद्यालयों में ‘संघ परिवार का एजेंडा’ लागू करने के लिए कदम उठाने का आरोप लगाया.

गौरतलब है कि राज्यपाल के कार्यालय द्वारा किए गए एक ट्वीट में कुलपतियों का इस्तीफा मांगने संबंधी खान के फैसले की घोषणा करते हुए कहा गया था कि उनका फैसला सुप्रीम कोर्ट के 21 अक्टूबर के आदेश पर आधारित था.

बता दें कि शीर्ष अदालत ने एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति राजश्री एमएस की नियुक्ति को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि नियुक्ति विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमों के खिलाफ की गई थी.

शीर्ष अदालत ने कहा था कि कुलपति की नियुक्ति के लिए राज्य द्वारा गठित सर्च कमेटी को इंजीनियरिंग विज्ञान के क्षेत्र में प्रतिष्ठित लोगों के बीच में से कम से कम तीन उपयुक्त व्यक्तियों के पैनल की सिफारिश कुलाधिपति से करनी चाहिए थी, जबकि इसने केवल एक नाम भेजा.

स्थानीय पोर्टल मनोरमा की खबर के मुताबिक, कन्नूर, थुंचथ और फिशरीज एंव ओसियन विश्वविद्यालयों के मामलों में कुलपतियों की नियुक्ति को खान ने ही मंजूरी दी थी.

राज्यपाल के कार्यालय के सूत्रों ने समाचार आउटलेट को बताया कि कम से कम पांच विश्वविद्यालयों के मामलों में सर्च कमेटी ने 3 या पांच नामों के पैनल के स्थान पर कुलाधिपति को केवल एक नाम भेजा था,

माकपा के राज्य सचिव एमवी गोविंदन और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कनम राजेंद्रन ने कहा कि तिरुवनंतपुरम में आयोजित एलडीएफ नेताओं की एक बैठक में विश्वविद्यासयों के कुलाधिपति के रूप में अपनी शक्तियों का ‘दुरुपयोग’ करने के लिए राज्यपाल के खिलाफ राज्यव्यापी विरोधी प्रदर्शन करने का फैसला किया गया है.

15 नवंबर को राजभवन के सामने और जिला केंद्रों में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)