गांधीजी से प्रेरित होकर इलाबेन भट्ट ने ट्रेड यूनियन ‘सेवा’ की स्थापना की थी, जिसने 1974 में महिलाओं को छोटे ऋण प्रदान करने के लिए एक सहकारी बैंक की स्थापना की. उन्होंने महिला विश्व बैंकिंग (डब्ल्यूडब्ल्यूबी) की सह-स्थापना भी की, जो माइक्रो-फाइनेंस संगठनों का एक वैश्विक नेटवर्क है, जिसमें वह 1984-1988 तक अध्यक्ष रही थीं.
अहमदाबाद: प्रख्यात महिला अधिकार कार्यकर्ता और सेल्फ एम्प्लॉयड वुमेन्स एसोसिएशन (सेवा) की संस्थापक इलाबेन भट्ट का आयु संबंधी बीमारियों के चलते बुधवार को गुजरात के अहमदाबाद स्थित एक अस्पताल में निधन हो गया. उनके सहयोगी ने यह जानकारी दी.
गांधीवादी इलाबेन 89 वर्ष की थीं.
सेवा भारत ने ट्वीट किया, ‘अत्यंत दुख के साथ सूचित किया जा रहा है कि महिला कामगारों के अधिकारों के लिए हमेशा आवाज उठाने वालीं हमारी प्रिय एवं सम्मानित संस्थापक इलाबेन भट्ट का निधन हो गया है. हम उनकी विरासत को आगे ले जाने का प्रयास करेंगे.’
It is with profound grief that we announce the passing away of our beloved and respected founder, Smt. #ElabenBhatt
A pioneer in advocating for women workers' rights, we strive to carry her legacy forward.#ElaBhatt #RIP pic.twitter.com/HaLHowwniF
— SEWA Bharat (@SEWABharat) November 2, 2022
उन्हें को गुजरात में गरीब महिलाओं को सशक्त बनाने के उनके काम के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था, जिसमें सामुदायिक नेतृत्व के लिए रेमन मैगसेसे पुरस्कार (1977), राइट लाइवलीहुड अवॉर्ड (1984) और पद्मभूषण (1986) शामिल हैं.
इलाबेन ने ‘सेवा’ की स्थापना की थी, जो 1972 में पंजीकृत सबसे बड़ी महिला सहकारी समितियों और राष्ट्रीय ट्रेड यूनियनों में से एक थी. इसकी शुरुआत एक कपड़ा ट्रेड यूनियन से हुई थी. यह संगठन अहमदाबाद स्थित एक ट्रेड यूनियन है, जो कम आय वाली, स्वतंत्र रूप से नियोजित महिला श्रमिकों के अधिकारों को बढ़ावा देती है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, ‘सेवा’ की 21 लाख से गरीब और स्व-नियोजित महिला श्रमिक सदस्य हैं, जो 18 राज्यों और विदेशों में इकाइयों के अनौपचारिक क्षेत्रों से हैं.
एक योग्य वकील होने के साथ ही इलाबेन ने साबरमती आश्रम संरक्षण और स्मारक ट्रस्ट (एसएपीएमटी) के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया था.
1933 में गुजरात के सूरत शहर में जन्मी इलाबेन ने यहीं के सार्वजनिक गर्ल्स हाई स्कूल में पढ़ाई की और एमटीबी आर्ट्स कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी.
कानून की डिग्री प्राप्त करने के एक साल बाद इलाबेन साल 1955 में टेक्सटाइल लेबर एसोसिएशन (टीएलए) नामक कपड़ा श्रमिकों के सबसे पुराने संघ के कानूनी विभाग से जुड़ गई थीं. इसका गठन 1920 में महात्मा गांधी के नेतृत्व में कपड़ा श्रमिकों की हड़ताल के मद्देनजर किया गया था.
रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद गांधीजी से प्रेरित होकर उन्होंने ‘सेवा’ की स्थापना की, जिसने 1974 में महिलाओं को छोटे ऋण प्रदान करने के लिए एक सहकारी बैंक की स्थापना की. उन्होंने महिला विश्व बैंकिंग (डब्ल्यूडब्ल्यूबी) की सह-स्थापना भी की, जो माइक्रो-फाइनेंस संगठनों का एक वैश्विक नेटवर्क है, जिसमें वह 1984-1988 तक अध्यक्ष रही थीं.
वह 1989 तक राज्यसभा सांसद रहने के अलावा विश्व बैंक जैसे संगठनों की सलाहकार भी थीं. साल 2007 में वह मानव अधिकारों और शांति को बढ़ावा देने के लिए नेल्सन मंडेला द्वारा स्थापित विश्व नेताओं के एक समूह एल्डर्स (Elders) में शामिल हो गई थीं.
हाल ही में उन्होंने महात्मा गांधी द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय गुजरात विद्यापीठ के कुलपति के पद से इस्तीफा दे दिया था. इलाबेन के परिवार में उनके बेटे मिहिर, बेटी अमिमयी, बहू रीमा नानावती और पोते-पोतियां हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके निधन पर शोक जताया है.
मोदी ने ट्वीट किया, ‘इलाबेन भट्ट के निधन के बारे में जानकर दुख हुआ. उन्हें युवाओं के बीच महिला सशक्तिकरण, समाज सेवा और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए लंबे समय तक याद किया जाएगा. उनके परिवार के सदस्यों और प्रशंसकों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)