कहा जा रहा है कि केरल में तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर के हाल के मालाबार दौरे ने राज्य में कांग्रेस के एक बड़े तबके को परेशान कर दिया है. उन्हें लगता है कि अपने कार्यक्रमों के माध्यम से वह ख़ुद को 2026 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के आदर्श उम्मीदवार के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं.
तिरुवनंतपुरम/कोच्चि: केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) की अनुशासनात्मक समिति ने शनिवार को अपने नेताओं को सख्त निर्देश जारी किया कि वे कार्यक्रमों में भाग लेने के दौरान संबंधित पार्टी मंचों की अनदेखी न करें और वे इस तरह के कार्यक्रमों के बारे में पहले से सूचना दें.
पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक तिरुवंचूर राधाकृष्णन ने कहा कि किसी को भी किसी भी स्थान पर जाने और पार्टी अभियान चलाने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन यह केवल जिला कांग्रेस समितियों (डीसीसी) सहित पार्टी मंचों की जानकारी में होना चाहिए.
यह नोटिस पार्टी नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर के हाल के मालाबार दौरे से उत्पन्न विवाद के मद्देनजर आया है.
केपीसीसी की अनुशासनात्मक समिति के प्रमुख राधाकृष्णन ने स्पष्ट किया कि अनुशासनात्मक समिति को थरूर के हालिया दौरे के संबंध में कोई विशेष शिकायत नहीं मिली है और इसलिए उन्हें इस संबंध में कोई व्यक्तिगत निर्देश देने की कोई आवश्यकता नहीं है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, हमें थरूर के संबंध में कोई शिकायत नहीं मिली है, लेकिन आम तौर पर पार्टी के पास इस संबंध में एक निर्णय होता है. नेताओं के कार्यक्रमों में शामिल होने के बारे में संबंधित पार्टी मंचों को पहले से सूचित करना एक संस्थागत मिसाल है.
राधाकृष्णन ने कहा कि यह विचार कि ऐसे मंचों को (नेताओं द्वारा) दरकिनार कर दिया गया था, पार्टी की ताकत कम हो जाएगी और इसलिए नेताओं को उन्हें विश्वास में लेना चाहिए और कार्यक्रमों में भाग लेने से पहले उन्हें सूचित करना चाहिए.
वरिष्ठ नेता ने कहा कि अनुशासनात्मक पैनल के प्रमुख के रूप में, वह सिर्फ पार्टी के सभी सदस्यों को इसकी जानकारी दे रहे हैं.
राधाकृष्णन ने कहा, ‘चूंकि थरूर के खिलाफ कोई शिकायत नहीं है, इसलिए उन्हें व्यक्तिगत रूप से बुलाना और उन्हें इस निर्देश के बारे में सूचित करना अपमान होगा. यह एक सामान्य निर्णय है और इसका पालन करने के लिए हर कोई समान रूप से जिम्मेदार है.’
केरल के प्रभारी एआईसीसी महासचिव तारिक अनवर, जो एक समारोह में भाग लेने के लिए कोझिकोड में हैं, ने यह भी कहा कि कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है जो कुछ मानदंडों का पालन करती है और नेतृत्व चाहता है कि हर नेता इसका पालन करे.
अनवर ने कहा कि कोई भी नेता या कोई सांसद किसी भी स्थान पर जा सकता है और वह आने-जाने के लिए स्वतंत्र है.
उन्होंने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि पार्टी के मानदंडों को बरकरार रखा जाना चाहिए और जो कोई भी कहीं किसी जिले या किसी ब्लॉक में जाना चाहता है, उसे जिला समिति, ब्लॉक समिति या प्रदेश कांग्रेस कमेटी को विश्वास में लेना चाहिए.’
ऐसा लगता है कि थरूर के हाल के मालाबार दौरे ने राज्य में कांग्रेस के एक बड़े तबके को परेशान कर दिया है, जिनमें से कुछ को उनके इस कदम के पीछे एक ‘एजेंडा’ लग रहा है.
पार्टी में थरूर के विरोधी महसूस करते हैं कि अपने कार्यक्रमों के माध्यम से वह खुद को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के शासन को खत्म करने के लिए 2026 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) के मुख्यमंत्री पद के आदर्श उम्मीदवार के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं. केरल में एलडीएफ 2016 से सत्तारूढ़ है.
पार्टी में किसी से परेशान या नाराज नहीं हूं: थरूर
इस बीच कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने रविवार को कहा कि वह पार्टी की केरल इकाई में किसी से परेशान या नाराज नहीं हैं तथा उन्हें किसी से बातचीत करने में कोई परेशानी नहीं है क्योंकि ‘हम बाल विहार में नहीं, जहां एक दूसरे से बातचीत करने की मनाही हो.’
ऑल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस के प्रदेश स्तर सम्मेलन में हिस्सा लेने कोच्चि आए तिरुवनंतपुरम के सांसद थरूर ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने पार्टी में किसी के विरुद्ध कुछ नहीं बोला है, न ही उसके (पार्टी के) निर्देश के विरुद्ध कुछ किया, ऐसे में उन्हें समझ नहीं आ रहा कि क्यों ऐसा विवाद खड़ा किया गया है.
उन्होंने कार्यक्रम से पहले संवाददाताओं से कहा, ‘मैं किसी से परेशान या नाराज नहीं हूं. मैंने किसी को दोषी नहीं ठहराया है या किसी पर आरोप नहीं लगाया है. मेरी तरफ से कोई शिकायत या मुद्दा नहीं है. मुझे सभी को एक जैसा देखने में कोई दिक्कत नहीं है और मुझे किसी से बातचीत करने में कोई परेशानी नहीं है.’
जब उनसे पूछा गया कि क्या वह विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीशन और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के. सुधाकरण से बातचीत करेंगे, तब उन्होंने कहा कि वह (सुधाकरण) स्वस्थ नहीं हैं और वह वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से भाग लेंगे.
सतीशन के बारे में उन्होंने कहा, ‘यदि हमारी कार्यक्रम स्थल पर भेंट होती है तो हम मिलेंगे.’
उन्होंने सवाल किया, ‘यदि वे मुझसे बात करेंगे तो मैं क्यों नहीं बात करूंगा? हम बाल विहार में थोड़े ही हैं कि एक-दूसरे से बातचीत नहीं करें, लेकिन यदि एक वक्त पर एक ही जगह पर हम नहीं हैं तो हम कैसे एक-दूसरे से बातचीत करेंगे.’
उनके हाल के दौरे पर बढ़ते विवाद के बीच प्रदेश कांग्रेस की अनुशासन समिति ने शनिवार को अपने नेताओं को हर स्थान पर कार्यक्रमों में भाग लेने के दौरान संबंधी पार्टी मंचों की अनदेखी नहीं करने का कड़ा निर्देश दिया. समिति ने पार्टी नेताओं को ऐसे कार्यक्रमों में जाने की पहले से सूचना भी देने का निर्देश दिया.
जब रविवार को संवाददाताओं ने थरूर के सामने यह विषय उठाया तो उन्होंने कहा कि जब भी वह किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में जाते हैं तो जिला कांग्रेस अध्यक्षों को सदैव सूचना दी जाती है.
उन्होंने कहा कि चूंकि यह निजी कार्यक्रम था तो उसके बारे में जिला कांग्रेस अध्यक्ष को सूचना देने की जरूरत नहीं थी.
इससे पहले बीते 23 नवंबर को शशि थरूर ने सवाल किया था कि केरल में उनका एवं सांसद एमके राघवन का कुछ प्रतिष्ठित हस्तियों से मुलाकात करना और समारोहों में शामिल होना गुटबाजी कैसे कहा जा सकता है.
दरअसल थरूर के मालाबार दौरे से नाखुश दिख रहे केरल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वीडी सतीशन ने उनका नाम लिए बिना 22 नवंबर को कहा था कि पार्टी में किसी भी तरह की गुटबाजी या समानांतर गतिविधियों की अनुमति नहीं दी जाएगी और इस तरह के कदमों से गंभीरता से निपटा जाएगा.
सतीशन के इस बयान के एक दिन बाद थरूर ने सवाल किया था कि दो कांग्रेस सांसदों की गतिविधियों को गुटबाजी कैसे कहा जा सकता है.
थरूर ने तालचेरी के आर्कबिशप मार जोसेफ पम्पलानी से मुलाकात करने के बाद कन्नूर में संवाददाताओं से कहा था कि उन्हें मीडिया से यह जानकर दुख हुआ कि कुछ लोगों का कहना है कि वह एवं राघवन गुटबाजी की गतिविधियों में शामिल हैं.
उन्होंने कहा था कि राघवन ने सुझाव दिया था कि इस बार ‘मालाबार के इस क्षेत्र में कुछ कार्यक्रम आयोजित करते हैं क्योंकि हम यहां काफी समय ने नहीं आए हैं और मैं सहमत हो गया.’
उन्होंने कहा था, ‘हालांकि, मुझे समझ में नहीं आता कि अगर कांग्रेस के दो सांसद पार्टी से संबंधित और अन्य कार्यक्रमों में बोल रहे हैं, लेकिन उन्होंने पार्टी या उसके विचारों के खिलाफ कुछ नहीं बोला, तो किसको और क्यों परेशानी हो रही है.’
उन्होंने कहा था कि उनका किसी से कोई मतभेद नहीं है और अपने 14 साल लंबे राजनीतिक करियर में उन्होंने कभी किसी के खिलाफ कुछ बुरा नहीं कहा.
मालूम हो कि बीते 20 नवंबर को अपने मालाबार दौरे की शुरुआत करते हुए थरूर ने मलयालम साहित्यकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित एमटी वासुदेवन नायर से कोझिकोड में मुलाकात की थी. 21 नवंबर को वह प्रसिद्ध मलयालम लेखक टी. पद्मनाभन को सम्मानित करने के लिए कन्नूर जिले में एक समारोह में शामिल हुए थे.
हालांकि, राज्य में कांग्रेस का एक शक्तिशाली धड़ा, खासकर युवाओं और छात्रों के बीच थरूर की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए उनके ‘मालाबार दौरे’ से नाराज है.
पहचान जाहिर नहीं करने का अनुरोध करते हुए एक वरिष्ठ नेता ने कहा था, ‘इस कदम के पीछे एक एजेंडा है.’ उन्होंने दावा किया कि अपने मतभेदों को भुलाकर राज्य के सभी वरिष्ठ नेता थरूर के प्रदेश कांग्रेस में खुद को स्थापित करने के प्रयास के खिलाफ हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)