सुप्रीम कोर्ट को छोटे-छोटे मामलों की सुनवाई में उलझाए रखना बंद किया जाना चाहिए: अटॉर्नी जनरल

एक कार्यक्रम के दौरान देश अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने सुप्रीम कोर्ट में मामलों की बढ़ती संख्या को कम करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया. उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि सरकार उच्च न्यायालयों से मामलों के भारी प्रवाह के साथ-साथ अंतहीन वैधानिक अपीलों के साथ बोझ बढ़ाना बंद करे.

(फोटो: रॉयटर्स)

एक कार्यक्रम के दौरान देश अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने सुप्रीम कोर्ट में मामलों की बढ़ती संख्या को कम करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया. उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि सरकार उच्च न्यायालयों से मामलों के भारी प्रवाह के साथ-साथ अंतहीन वैधानिक अपीलों के साथ बोझ बढ़ाना बंद करे.

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नई दिल्ली: देश के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने सुप्रीम कोर्ट में मामलों की बढ़ती संख्या को कम करने की आवश्यकता पर शनिवार को जोर दिया. उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि सरकार उच्च न्यायालयों से मामलों के भारी प्रवाह के साथ-साथ अंतहीन वैधानिक अपीलों के साथ सर्वोच्च न्यायालय पर बोझ बढ़ाना बंद करे.

वेंकटरमणि ने सुप्रीम कोर्ट में संविधान दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार के लिए एक मुकदमेबाजी नीति की आवश्यकता है, ताकि हर मामला मुकदमेबाजी का विषय न बने.

संविधान सभा द्वारा वर्ष 1949 में संविधान को अपनाने के उपलक्ष्य में साल 2015 से 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है. इससे पहले इस दिन को कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था.

उन्होंने कहा, ‘यह महत्वपूर्ण है कि सरकार उच्च न्यायालयों से मामलों के भारी प्रवाह के साथ-साथ अंतहीन वैधानिक अपीलों के साथ बोझ बढ़ाना बंद करे.’ उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट को छोटे-छोटे मामलों की सुनवाई में उलझाए रखना बंद किया जाना चाहिए.’

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को एक छोटे अदालत में बदलना बंद होना चाहिए और उच्च न्यायालयों को भी भीड़भाड़ (बढ़ते मामले) से मुक्त किया जाना चाहिए.

वेंकटरमणि ने कहा कि तथ्य आधारित मुद्दों को हल करने के लिए प्रत्येक विभाग के पास सक्षम और स्वतंत्र कानूनी तंत्र के साथ एक समाधान इकाई होनी चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘केवल कानूनी मुद्दों वाले जटिल मामले जिन्हें हल नहीं किया जा सकता है, उन्हें संस्थागत समाधान के लिए लाया जाना चाहिए.’

उन्होंने कहा कि परिवार अदालतों को और अधिक सुविधाजनक बनाने की जरूरत है और जब संपत्ति कानून और अन्य की बात आती है तो निपटान आयोग की आवश्यकता होती है.

उन्होंने कहा, ‘कानून का शासन एक अहिंसक क्रांति है. कानून के शासन से हिंसा की आशंका कम हो जाती है. मैं एक ऐसे दिन का इंतजार कर रहा हूं, जब पश्चिम न्याय के मानकों पर हमसे सीख ले.’

इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कानून मंत्री किरेन रिजिजू और भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल हुए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)