जम्मू: आतंकियों द्वारा कश्मीरी पंडित कर्मचारियों की ‘हिटलिस्ट’ जारी करने के ख़िलाफ़ प्रदर्शन

बीते दिनों आतंकी समूह द रेजिस्टेंस फ्रंट द्वारा प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत घाटी में काम कर रहे 56 कश्मीरी पंडितों के विवरण वाली एक सूची जारी करते हुए धमकी दी गई है. इसे लेकर प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने जानकारियां लीक होने के मामले की उच्च-स्तरीय जांच की मांग की है.

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जम्मू में प्रदर्शन कर रहे कश्मीरी पंडित कर्मचारी. (स्क्रीनग्रैब साभार: viewstodayindia)

बीते दिनों आतंकी समूह द रेजिस्टेंस फ्रंट द्वारा प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत घाटी में काम कर रहे 56 कश्मीरी पंडितों के विवरण वाली एक सूची जारी करते हुए धमकी दी गई है. इसे लेकर प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने जानकारियां लीक होने के मामले की उच्च-स्तरीय जांच की मांग की है.

जम्मू में प्रदर्शन कर रहे कश्मीरी पंडित कर्मचारी. (स्क्रीनग्रैब साभार: viewstodayindia)

जम्मू: हाल ही में प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत कश्मीर घाटी में काम कर रहे 56 कश्मीरी पंडितों के नाम लेते हुए आतंकी समूह द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) द्वारा जारी की गई एक ‘हिटलिस्ट’ से भयभीत समुदाय ने सोमवार को विरोध प्रदर्शन किया और कर्मचारियों के लीक हुए विवरणों की उच्च-स्तरीय जांच की मांग की.

कश्मीर घाटी में काम कर रहे कश्मीरी पंडित समुदाय के लोग 56 कर्मचारियों की सूची जारी किए जाने के बाद से दहशत में हैं.

लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन ‘द रजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) के एक ब्लॉग में हाल ही में पीएमआरपी के तहत कार्यरत 56 कश्मीरी पंडित कर्मियों की एक सूची प्रकाशित करते हुए उन पर हमले की धमकी दी गई है.

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘यह चिंता का विषय है कि लोगों की जानकारी के आधिकारिक दस्तावेज एक आतंकी संगठन के पास कैसे पहुंचे, जिसने कर्मचारियों को चेतावनी भरा पत्र जारी किया है.’

प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों में शामिल रंजन जुत्शी ने सोमवार को समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, ‘आतंकवादी समूहों ने पहले हमें धमकी भरे खत भेजे, लेकिन इस बार कर्मचारियों की सूची के साथ चेतावनी जारी की गई है. इससे न केवल प्रदर्शनकारी कर्मचारियों में, बल्कि पूरे समुदाय में डर पैदा हो गया है.’

उन्होंने कहा कि ताजा चेतावनी को दुष्प्रचार कहकर खारिज नहीं किया जा सकता क्योंकि ‘उनके (आतंकवादियों के) पास कर्मचारियों की सारी संबंधित जानकारी है.’

आतंकवादियों को लोगों के नाम लीक होने के मामले में जांच की मांग करते हुए जुत्शी ने कहा कि यह दिखाता है कि आतंकवादियों के तंत्र की जड़ें बहुत गहराई तक हैं और उनके जमीन पर मौजूद समर्थकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करके उन्हें नेस्तनाबूद किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘सरकार को पता लगाना चाहिए कि किसने आतंकवादियों को अहम जानकारी दी. पुलिस को इस तरह की चीजों को गंभीरता से लेना चाहिए और घाटी में अब भी काम कर रहे कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चत करनी चाहिए.’

ज्ञात हो कि आतंकवादियों द्वारा लक्षित हत्याओं के बाद से घाटी में प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज (पीएमआरपी) के तहत काम कर रहे अनेक कश्मीरी पंडित जम्मू जा चुके हैं और 200 से अधिक दिन से स्थान परिवर्तन की मांग के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं. वे यहां पुनर्वास आयुक्त कार्यालय के बाहर डेरा डाले हैं.

एक अन्य कर्मचारी राकेश कुमार ने कहा कि पिछले 208 दिन से उनकी मांग पर कोई जवाब नहीं मिला है.

उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों ने घाटी में अपनी ड्यूटी पर दोबारा नहीं लौटने का फैसला कर लिया है क्योंकि इसका सीधा लेनादेना उनकी ‘जिंदगी और मौत’ से है.

कुमार ने कहा, ‘हम जिंदा रहेंगे, तभी काम कर पाएंगे. सरकार को हमें तत्काल दूसरी जगह भेजना चाहिए ताकि मानसिक और आर्थिक रूप से पीड़ा झेल रहे हमारे परिवारों को बचाया जा सके.’

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, इस बीच, मंगलवार को केंद्रीय  गृह सचिव अजय भल्ला ने जम्मू कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। बैठक में मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों, अर्धसैनिक बलों और जम्मू-कश्मीर प्रशासन तथा पुलिस के अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

एक अधिकारी ने बताया कि बैठक में जम्मू कश्मीर के मौजूदा सुरक्षा हालात का जायजा लिया गया। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि यह सामान्य मासिक बैठक है और जम्मू कश्मीर प्रशासन के कुछ प्रतिनिधियों ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिये इसमें हिस्सा लिया।

विपक्षी दलों ने कश्मीरी पंडित कर्मचारियों पर आतंकी खतरे को लेकर चिंता जाहिर की

इस बीच आम आदमी पार्टी (आप) और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने कश्मीरी पंडित कर्मचारियों पर नए आतंकवादी खतरे को लेकर सोमवार को चिंता व्यक्त की और घाटी में तैनात इस समुदाय के कर्मचारियों के नाम लीक होने की जांच की मांग की.

आप के प्रवक्ता प्रताप जामवाल ने राज्य में कर्मचारियों पर आतंकवादी हमले के खतरे पर जम्मू कश्मीर प्रशासन और केंद्र सरकार की चुप्पी की आलोचना की.

उन्होंने कहा, ‘कश्मीर में काम कर रहे आरक्षित श्रेणी के कर्मचारियों के साथ ही कश्मीरी पंडित कर्मचारी चुन-चुनकर की जा रही हत्याओं के बाद प्रदर्शन कर रहे हैं और महीनों से सड़क पर हैं, लेकिन भारत सरकार के साथ ही जम्मू कश्मीर सरकार मूक दर्शक है.’

जामवाल ने कश्मीरी पंडित कर्मचारियों की स्थानांतरण की मांग को जायज ठहराते हुए कहा कि सरकार का अड़ियल रवैया इन कर्मचारियों को बेबस बना रहा है.

उधर, शिवसेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी इसे लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है.

प्रियंका ने आतंकियों की धमकी से संबंधित एक खबर की क्लिपिंग साझा करते हुए एक ट्वीट में लिखा, ‘इसके लिए कोई नहीं लड़ेगा, इस पर आक्रोश नहीं दिखेगा, बहस नहीं होगी क्योंकि इसका मतलब होगा मौजूदा सरकार से सवाल करना. किसी फिल्म के खिलाफ टिप्पणियों पर बहस करना आसान है लेकिन कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा के संबंध में सरकार को जवाबदेह ठहराना मुश्किल है.’

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार इससे पहले रविवार को भाजपा ने प्रशासन से लीक हुई सूची को लेकर जांच के आदेश देने और कश्मीरी पंडित कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की थी.

भाजपा प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने कहा था कि नई सूची के लीक होने और टीआरएफ के ब्लॉग तक पहुंचना आश्चर्यजनक है. उन्होंने कहा, ‘यह सुरक्षा में सेंध है क्योंकि आतंकवादियों को स्पष्ट तौर पर पता है कि कौन कहां तैनात है.”

ठाकुर ने कहा कि सरकार को इस पर संज्ञान लेना चाहिए और यह पता लगाना चाहिए कि ऐसे समय में जब घाटी में लक्षित हत्याएं हो रही हैं, किसने यह सूची लीक की है.

उल्लेखनीय है कि पुलिस ने अभी तक इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है.

गौरतलब है कि मई में कश्मीर में राहुल भट की हत्या के बाद से पिछले छह महीनों में प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत कार्यरत कश्मीरी पंडित जम्मू में राहत आयुक्त कार्यालय में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

बता दें कि अगस्त माह की 16 तारीख को शोपियां जिले में ही एक सेब के बगीचे में आतंकवादियों ने एक अन्य कश्मीरी पंडित की गोली मारकर हत्या कर दी थी. फायरिंग में उनका भाई भी घायल हो गया था.

उक्त हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन अल बद्र की एक शाखा ‘कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स’ ने ली थी.

वहीं, इस घटना से 24 घंटे पहले एक और कश्मीरी पंडित पर हमला हुआ था. स्वतंत्रता दिवस वाले दिन बडगाम में एक घर पर ग्रेनेड फेंक दिया गया था, जिसमें करन कुमार सिंह नामक एक व्यक्ति घायल हो गया था.

उसी दिन, एक अलग हमले में श्रीनगर के बटमालू इलाके में पुलिस कंट्रोल रूम पर ग्रेनेड फेंक दिया गया था.

उससे पहले 11 अगस्त को बांदीपुरा जिले में आतंकवादियों ने बिहार के एक प्रवासी मजदूर मोहम्मद अमरेज की गोली मारकर हत्या की थी.

जनवरी में एक पुलिसकर्मी की अनंतनाग में लक्षित हत्या की गई थी. फरवरी में ऐसी कोई घटना नहीं हुई. वहीं, मार्च में सबसे अधिक सात ऐसी हत्याएं हुई जिनमें पांच आम लोग और एक सीआरपीएफ का जवान शामिल है जो छुट्टी पर शोपियां आया था जबकि विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) की बडगाम में हत्या कर दी गई थी. इस हमले में एसपीओ के भाई की भी मौत हो गई थी.

अप्रैल महीने में एक सरपंच सहित दो गैर-सैनिकों की हत्या की गई थी. वहीं, मई महीने में आतंकवादियों ने पांच लोगों की लक्षित हत्या की जिनमें दो पुलिसकर्मी और तीन आम नागरिक थे.

मई में आतंकवादियों द्वारा गए मारे गए आम नागरिकों में कश्मीरी पंडितों के लिए प्रधानमंत्री के विशेष पैकेज के तहत भर्ती सरकारी कर्मचारी राहुल भट, टीवी एंकर अमरीन भट और शिक्षिका रजनी बाला शामिल थीं.

जून महीने में एक प्रवासी बैंक प्रबंधक और एक प्रवासी मजदूर की आतंकवादियों ने हत्या कर दी, जबकि एक पुलिस उपनिरीक्षक भी आतंकवादियों के हमले में मारे गए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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