कश्मीर पंडितों को मिल रहीं धमकियां सामान्य स्थिति के सरकार के दावों को झुठलाती हैं: कांग्रेस

जम्मू कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की प्रवक्ता दीपिका सिंह राजावत ने कहा कि उपराज्यपाल दिल्ली में अपने आकाओं के सामने सामान्य हालात की कहानी बताने के लिए एक मिनट भी नहीं गंवाते हैं, लेकिन उनके झूठ का बुलबुला तब फूटता है, जब आतंकी संगठनों द्वारा कश्मीरी पंडितों पर हमला करने को लेकर सूची जारी की जाती है.

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अनंतनाग जिले में पीएम पैकेज के तहत कार्यरत कश्मीरी पंडित कर्मचारियों का प्रदर्शन. (फोटो: पीटीआई)

जम्मू कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की प्रवक्ता दीपिका सिंह राजावत ने कहा कि उपराज्यपाल दिल्ली में अपने आकाओं के सामने सामान्य हालात की कहानी बताने के लिए एक मिनट भी नहीं गंवाते हैं, लेकिन उनके झूठ का बुलबुला तब फूटता है, जब आतंकी संगठनों द्वारा कश्मीरी पंडितों पर हमला करने को लेकर सूची जारी की जाती है.

अनंतनाग जिले में पीएम पैकेज के तहत कार्यरत कश्मीरी पंडित कर्मचारियों का प्रदर्शन. (फाइल फोटो: पीटीआई)

जम्मू: जम्मू-कश्मीर कांग्रेस ने रविवार को कहा कि घाटी में कश्मीरी पंडितों के कर्मचारियों को हाल ही में मिली आतंकी धमकियां प्रदेश में सामान्य स्थिति के सरकार के दावों को झुठलाती हैं.

आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से संबद्ध समूह द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) से जुड़े एक ब्लॉग द्वारा उन कश्मीरी पंडित कर्मचारियों की एक अलग सूची जारी की गई है, जिनकी भर्ती प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज (पीएमआरपी) के तहत हुई थी. उन्हें धमकी दी गई है कि उनकी कॉलोनियों को कब्रिस्तान में बदल दिया जाएगा.

सरकार ने हाल ही में संसद को सूचित किया था कि जम्मू-कश्मीर में अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद से और इस साल जुलाई के मध्य तक पांच कश्मीरी पंडित और 16 अन्य हिंदुओं तथा सिखों सहित 118 नागरिक मारे गए थे.

सैकड़ों कश्मीरी पंडितों और अन्य आरक्षित श्रेणी के कर्मचारियों को मई में आतंकवादियों के डर से जम्मू जाना पड़ा. वे वर्तमान में कश्मीरी हिंदू कर्मचारियों को घाटी से बाहर स्थानांतरित करने की मांग को लेकर 200 से अधिक दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (जेकेपीसीसी) की प्रवक्ता दीपिका सिंह राजावत ने जम्मू में संवाददाताओं से कहा, ‘हाल ही में टीआरएफ द्वारा ‘हिट लिस्ट’ जारी की गई, हम उपराज्यपाल से यह बताने के लिए कह रहे हैं कि ये कर्मचारी ऐसी परिस्थितियों में अपने काम पर वापस कैसे जा सकते हैं?’

उन्होंने कहा, ‘हालांकि वह दिल्ली में अपने आकाओं के सामने सामान्य हालात की कहानी बताने के लिए एक मिनट भी नहीं गंवाते हैं, लेकिन उनके झूठ का बुलबुला तब फूटता है, जब ये सूचियां हर दूसरे दिन सामने आती हैं.’

राजावत ने कहा कि उनकी पार्टी पूरी तरह से आश्वस्त है कि भाजपा और उपराज्यपाल प्रशासन ने इसे ‘अहंकार का विषय’ बना लिया है, क्योंकि उन्हें डर है कि अगर वे कर्मचारियों के दबाव के आगे झुक गए, तो उनकी ‘सामान्य स्थिति का दिखावा’ सबके समाने आ जाएगा.

राजावत जो कि खुद भी एक कश्मीरी पंडित हैं, ने कहा, ‘मैं उन्हें याद दिलाना चाहती हूं कि यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि जीवन और मृत्यु का मामला है. हम पूरे देश में अपने राजनीतिकरण से तंग आ चुके हैं.’

कांग्रेस नेता ने कहा कि ऐसे कई कर्मचारी हैं, जिन्हें किराये के आवास में रखा गया है और जिन पर आतंकवादियों के हमले का खतरा अधिक है.

उन्होंने विरोध करने वाले कर्मचारियों का वेतन तत्काल जारी करने की मांग की और पहले से ही आतंकवादियों की धमकियों का सामना कर रहे इन कर्मचारियों को परेशान किए जाने की आलोचना की.

उन्होंने कहा, ‘उनके खिलाफ इस तरह के दबाव की रणनीति का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इन कार्रवाइयों ने पहले से ही एक मानवीय प्रकृति के मुद्दे से निपटने में केंद्र शासित प्रशासन के असंवेदनशील और उदासीन रवैये को उजागर कर दिया है.’

मालूम हो कि बीते 5 दिसंबर को प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत कश्मीर घाटी में काम कर रहे 56 कश्मीरी पंडितों के नाम लेते हुए लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी समूह द रेजिस्टेंस फ्रंट द्वारा जारी की गई एक ‘हिटलिस्ट’ से भयभीत समुदाय ने विरोध प्रदर्शन कर कर्मचारियों के लीक हुए विवरणों की उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी.

प्रकाशित सूची में कश्मीरी पंडितों पर हमले की धमकी दी गई थी.

ज्ञात हो कि आतंकवादियों द्वारा निशाना बनाकर की जा रहीं हत्याओं (Targeted Killings) के बाद से घाटी में प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत काम कर रहे अनेक कश्मीरी पंडित जम्मू जा चुके हैं और 200 से अधिक दिन से स्थान परिवर्तन की मांग के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं. वे जम्मू स्थित पुनर्वास आयुक्त कार्यालय के बाहर डेरा डाले हैं.

मई 2022 में कश्मीर में राहुल भट की हत्या के बाद से छह महीनों से अधिक समय से ये कश्मीरी पंडित कर्मचारी जम्मू में राहत आयुक्त कार्यालय में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)