महाकाल मंदिर ट्रस्ट ने पूर्व राष्ट्रपति के स्वागत में दान में मिले 89 लाख रुपये ख़र्च किए थे

कांग्रेस विधायक महेश परमार द्वारा मध्य प्रदेश विधानसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में पता चला है कि मई महीने में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर आने पर मंदिर ट्रस्ट ने 89 लाख रुपये अपने कोष से ख़र्च किए थे. कांग्रेस विधायक ने कहा कि यह राशि मंदिर ट्रस्ट को भक्तों से दान में मिलती है, इसे सिर्फ़ भक्तों की सुविधाओं पर ख़र्च किया जाना चाहिए, लेकिन इसे वीवीआईपी के आगमन पर ख़र्च कर दिया गया.

महाकालेश्वर मंदिर में विराजमान महाकाल की मूर्ति और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद. (फोटो: पीटीआई/फेसबुक)

कांग्रेस विधायक महेश परमार द्वारा मध्य प्रदेश विधानसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में पता चला है कि मई महीने में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर आने पर मंदिर ट्रस्ट ने 89 लाख रुपये अपने कोष से ख़र्च किए थे. कांग्रेस विधायक ने कहा कि यह राशि मंदिर ट्रस्ट को भक्तों से दान में मिलती है, इसे सिर्फ़ भक्तों की सुविधाओं पर ख़र्च किया जाना चाहिए, लेकिन इसे वीवीआईपी के आगमन पर ख़र्च कर दिया गया.

महाकालेश्वर मंदिर में विराजमान महाकाल की मूर्ति और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद. (फोटो: पीटीआई/फेसबुक)

भोपाल: मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में 29 मई 2022 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दर्शन के लिए पहुंचे थे. उनके आगमन पर मंदिर परिसर में सारी व्यवस्थाएं चाक-चौबंद कर दी गई थीं.

अब विधानसभा की कार्रवाई में सामने आया है कि उनके आगमन पर महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति (महाकाल ट्रस्ट) ने अपने खजाने से 89 लाख रुपये खर्च किए थे.

यह जानकारी मध्य प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में निकलकर सामने आई है.

सदन की 20 दिसंबर की कार्यवाही में उज्जैन जिले की तराना विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक महेश परमार द्वारा किए गए एक सवाल के जवाब में धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग से प्राप्त दस्तावेजों से संबंधित जानकारी का पता लगा है.

शर्मा ने अपने सवाल में विभाग से श्री महाकालेश्वर समिति द्वारा विगत पांच वर्षों में की गईं बैठकों, उनकी कार्यवाही का विवरण और एजेंडा उपलब्ध कराने के लिए कहा था.

जिस पर उन्हें धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग की प्रमुख राज्य की पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने बताया कि विगत पांच वर्षों में समिति द्वारा 20 बैठकें आयोजित की गई हैं. इन बैठकों के कार्यवाही विवरण का ब्योरा भी उन्हें उपलब्ध कराया गया.

प्राप्त ब्योरे में उल्लेख है कि राष्ट्रपति के आगमन से पहले हुई ऐसी ही एक बैठक में आगमन पर होने वाले व्ययों को लेकर तीन प्रस्तावों को मंजूरी दी गई थी, जिनमें कुल 89 लाख रुपये के व्यय दर्शाए गए थे.

पहले प्रस्ताव में राष्ट्रपति के अल्पप्रवास के लिए तात्कालिक रूप से प्रेसिडेंसियल सुइट तैयार कराने की बात कही गई थी, जिसमें सुइट समेत ग्रीन वॉल, वॉल पेंटिंग, डेकोरेटिव लाइट इत्यादि में 25 लाख रुपये के व्यय को मंजूरी दी गई थी.

एक अन्य प्रस्ताव में चार मदों में खर्चे दर्शाए गए थे.

1. नंदी हॉल स्थित पीतल के पिलर, दानपेटियों की पॉलिश एवं पीतल के सुसज्जित बेरिकेट्स के लिए 5 लाख रुपये मंजूर किए गए थे.

2. राष्ट्रपति के आगमन हेतु जूट का मेट बिछाने के लिए 6,50,000 लाख रुपये मंजूर हुए थे.

3. नंदी हॉल से लेकर निर्गम द्वारा तक चटाई, सीलिंग, बंबूवॉल वर्क, एल्युमिनियम शीट एवं इलेक्ट्रिक वर्क पर 40 लाख रुपये की भारी-भरकम राशि स्वीकृत की गई थी.

4. नंदी हॉल और अभिषेक स्थल के चारों ओर फेब्रिकेशन कार्य के लिए 10 लाख रुपये का व्यय किया गया.

इसी तरह, तीसरे प्रस्ताव में मंदिर को फूलों से सजाने के लिए 2.50 लाख रुपये मंजूर किए गए.

विधानसभा में पूछे गए प्रश्न के जवाब में कांग्रेस विधायक महेश परमार को प्राप्त हुए बैठकों के ब्यौरे संबंधी एक दस्तावेज की प्रति.

विधायक महेश परमार द्वारा द वायर को उपलब्ध कराए गए दस्तावेज दिखाते हैं कि इस तरह कुल 89 लाख रुपये की राशि राष्ट्रपति के महाकाल मंदिर में आगमन के दौरान महाकाल ट्रस्ट ने अपने कोष से खर्च की थी.

विधायक परमार का कहना है कि यह राशि मंदिर ट्रस्ट को भक्तों से दान में मिलती है, कायदे से इसे सिर्फ भक्तों की सुविधाओं पर खर्च किया जाना चाहिए, लेकिन ट्रस्ट ने इसे वीवीआईपी के आगमन पर खर्च कर दिया.

बता दें कि महाकाल मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष उज्जैन कलेक्टर होते हैं. इसके अलावा इसमें उज्जैन के महापौर, निगम आयुक्त, उज्जैन विकास प्राधिकरण के सीईओ, संस्कृत महाविद्यालय उज्जैन के प्राध्यापक और मंदिर प्रशासक समेत कुल 10 सदस्य होते हैं.

विधायक परमार का कहना है, ‘मंदिर में तो राजा और रंक बराबर होते हैं, फिर चाहे कोई आम श्रद्धालु आए या मैं आऊं या प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति आएं तो मंंदिर के लिए सब समान हैं. वहां अगर किसी वीवीआईपी को सरकार को दर्शन कराना है तो सरकार और ज़िला प्रशासन पैसा खर्च करे. महामहिम तो मध्य प्रदेश शासन के अतिथि थे.’

वे कहते हैं, ‘दानदाता आस्था के साथ चढ़ावा इसलिए नहीं चढ़ाता है कि किसी वीवीआईपी के लिए रेड कार्पेट बिछाने में आप लाखों खर्च कर दो. ये गलत है.’

परमार आरोप लगाते हैं कि सरकार मंदिर ट्रस्ट के पैसे, जो उसे श्रद्धालुओं से दान में मिलते हैं, का इस्तेमाल सरकारी कामों में करती रही है. इसका एक उदाहरण देते हुए वे कहते हैं कि स्मार्ट सिटी योजना के विकास कार्यों के तहत जब मंदिर परिसर से जुड़ी कुछ दुकानें योजना के दायरे में आ रही थीं, तब भी उन्हें हटाने के लिए 10 करोड़ रुपये की राशि मंदिर के कोष से दी गई थी.

वे कहते हैं, ‘वे कहते हैं कि स्मार्ट सिटी बनाना केंद्र सरकार की योजना है, तो केंद्र सरकार या भारत सरकार पैसा दे न उसमें. अगर स्मार्ट सिटी के दायरे में आ रहीं महाकाल मंदिर ट्रस्ट की दुकानों का मामला है और मुआवजा मंदिर ट्रस्ट को देना है तो स्मार्ट सिटी हटाओ फिर. पूरे देश में ढिंढोरा पीट रहें कि हमने स्मार्ट सिटी बना दीं, लेकिन मुआवजा महाकाल मंदिर को देना है तो ये स्मार्ट सिटी क्यों है, महाकाल मंदिर का लिखो न उसमें, स्मार्ट सिटी का प्रोजेक्ट क्यों बताया गया.’

वहीं, सदन में पूछे अपने सवाल में परमार ने यह भी आरोप लगाया कि महाकाल दर्शन के बाद भक्तों को जिस डिब्बे में प्रसाद का वितरण होता है, उसके कवर पर महाकाल महाराज के चित्रों को छपवाकर धार्मिक भावनाओं को आहत किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि इन मिष्ठान के कागजों को भक्त कूड़ेदान में फेंक देते हैं या ये सड़क पर पड़े रहते हैं और लोगों के पैरों के नीचे आते हैं, जिससे हमारी आस्था पर कुठाराघात होता है. इसके लिए उन्होंने दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की थी.

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