यूपी: कथित धर्मांतरण को लेकर कृषि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति समेत अन्य अधिकारियों को नोटिस

बीते अप्रैल माह में बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद की शिकायतों पर इलाहाबाद पुलिस ने 50 से अधिक लोगों के ख़िलाफ़ जबरन धर्मांतरण कराने के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी. इसी मामले में, पुलिस ने इलाहाबाद के सैम हिगिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी एंड साइंस के कुलाधिपति, कुलपति और प्रशासनिक अधिकारी को नोटिस जारी कर तलब किया है. उन पर धर्मांतरण में इस्तेमाल विदेशी फंडिंग प्राप्त करने का आरोप है.

//
(फोटो साभार: ट्विटर/यूपी पुलिस)

बीते अप्रैल माह में बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद की शिकायतों पर इलाहाबाद पुलिस ने 50 से अधिक लोगों के ख़िलाफ़ जबरन धर्मांतरण कराने के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी. इसी मामले में, पुलिस ने इलाहाबाद के सैम हिगिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी एंड साइंस के कुलाधिपति, कुलपति और प्रशासनिक अधिकारी को नोटिस जारी कर तलब किया है. उन पर धर्मांतरण में इस्तेमाल विदेशी फंडिंग प्राप्त करने का आरोप है.

(फोटो साभार: ट्विटर/यूपी पुलिस)

फतेहपुर: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में चर्चित सामूहिक धर्मांतरण मामले में पुलिस ने इलाहाबाद के नैनी स्थित कृषि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और कुलपति सहित चार लोगों के खिलाफ नोटिस जारी कर अपने बयान दर्ज कराने के लिए तलब किया है.

घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए मामले के जांच अधिकारी अमित मिश्रा ने कहा, इलाहाबाद के नैनी स्थित सैम हिगिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी एंड साइंस (शुआट्स) के कुलाधिपति डॉक्टर जेटी ओलिवर, कुलपति बिशप राजेंद्र बी. लाल और प्रशासनिक अधिकारी विनोद बी. लाल का बयान दर्ज करने के लिए इन्हें नोटिस जारी किया गया है.

उन्होंने बताया कि इलाहाबाद निवासी बिशप पाल को भी नोटिस जारी किया गया है. शुआट्स उत्तर प्रदेश में एक अग्रणी कृषि विश्वविद्यालय है जिसकी स्थापना एक शताब्दी पहले की गई थी.

मिश्रा ने बताया कि ये नोटिस सोमवार को जारी किए गए और इन चारों को अपना बयान दर्ज करने के लिए 29 दिसंबर को कोतवाली पुलिस थाने में हाजिर होने को कहा गया है.

बता दें कि कथित धर्मांतरण का मामला इस साल 14 अप्रैल का है. बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के कार्यकर्ताओं की शिकायतों के आधार पर फतेहपुर के कोतवाली पुलिस थाने में एक नाबालिग लड़की समेत 50 से अधिक लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. जिसमें आरोप लगाया था कि फतेहपुर के इवेंजेलिकल चर्च में आयोजित एक कार्यक्रम में कुछ लोगों ने वंचित वर्गों के हिंदुओं को ईसाई धर्म अपनाने के लिए धन का लालच दिया था. आरोपियों में से 22 लोग चर्च के पास स्थित ब्रॉडवैल क्रिश्चियन हॉस्पिटल के कर्मचारी हैं.

कोतवाली थाने के प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) अमित मिश्रा ने बुधवार को बताया कि शहर के हरिहरगंज स्थित इवेंजेलिकल चर्च में गरीबों को धन प्रलोभन देकर सामूहिक धर्मांतरण कराए जाने के मामले में 15 अप्रैल, 2022 को शहर कोतवाली में 36 नामजद और 20 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई थी.

उन्होंने बताया, ‘इनमें से 53 आरोपियों को अदालत से जमानत मिल चुकी है, लेकिन तीन नामजद आरोपी अब भी फरार हैं. अब तक की जांच में सामने आया कि चर्च के लिए विदेशों की संस्थाओं से धन आता रहा है और यह धन नैनी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के माध्यम से इवेंजेलिकल चर्च को हस्तांतरित होता रहा है.’

कोतवाल/विवेचक अमित मिश्रा ने बताया, ‘धर्मांतरण के लिए आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को प्रलोभन दिया गया. इस काम में बड़ा नेटवर्क सक्रिय है. चर्च संबंधी बैंक खातों और अन्य जांच की गई. चर्च की संस्था में फंडिंग की बात सामने आई है.’

जांच अधिकारी ने कहा, ‘जांच के दौरान पाया गया कि अवैध धर्मांतरण के लिए विदेश से धन प्राप्त किया गया. इसमें से कुछ पैसा ब्रिटेन से विनोद बी. लाल के खाते में आया, जिसे इस मामले के आरोपियों में बांटा गया.’

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस मामले में चर्च के पादरी विजय मसीह (36) सहित 26 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था और बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया. पुलिस ने एफआईआर में नामित 16 वर्षीय लड़की के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलने के कारण आरोप हटा दिए.

पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 153-ए (दो समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 506 (आपराधिक धमकी), 420 (धोखाधड़ी), 467 (मूल्यवान प्रतिभूति, वसीयत आदि की जालसाजी) और 468 (जालसाजी) के तहत मामला दर्ज किया था. पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ उत्तर प्रदेश गैर-क़ानूनी धर्मांतरण निषेध अधिनियम भी लगाया था.

एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘चूंकि धोखाधड़ी और जालसाजी को शुरू में स्थापित नहीं किया जा सका, इसलिए अदालत ने आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467 और 468 को हटा दिया. आरोपियों को दो से तीन दिनों के भीतर जमानत दे दी गई.’

लेकिन लगभग चार महीने बाद, पुलिस ने कहा कि किशन (45) और सत्य पाल (42) के रूप में पहचाने जाने वाले दो स्थानीय दलित किसानों ने उनसे संपर्क किया और दावा किया कि उनका धर्मांतरण अप्रैल में चर्च में हुआ था.

जांच में शामिल एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘उनका दावा था कि आरोपियों द्वारा उनको नौकरी, शिक्षा और घर देने का वादा करने के बाद उन्होंने ईसाई धर्म अपनाया. इस बीच, तीन अन्य स्थानीय निवासी- जिनकी पहचान प्रमोद कुमार दीक्षित, संजय सिंह और राजेश कुमार त्रिवेदी के रूप में हुई है- भी सामने आए और हलफनामा दायर किया कि आरोपियों ने उन्हें ईसाई धर्म अपनाने के लिए मनाने की कोशिश की. सभी पांचों ने पुलिस को बताया कि वे 14 अप्रैल को चर्च में थे, लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले ही भाग गए.’

पुलिस ने कहा कि उन्होंने पाया कि किशन और सत्यपाल का नाम क्रमशः किशन जोसेफ और सत्यपाल सैमसन रखा गया था. पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘हमें फर्जी दस्तावेजों पर तैयार किए गए किशन जोसेफ और सत्यपाल सैमसन के नाम से आधार कार्ड भी मिले. दोनों किसानों ने दावा किया कि उनके नए आधार कार्ड आरोपियों ने बनाए हैं.’

नए आरोपों के साथ मामले में आईपीसी की धारा 420, 467 और 468 जोड़ी गई. चर्च के पादरी मसीह और कुछ अन्य लोगों को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया.

एसएचओ मिश्रा ने कहा, ‘इस बात के सबूत हैं कि आरोपी धर्मांतरण में शामिल थे. हमने मामले में अब तक 54 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. इनमें से 15 जेल में हैं, 36 ने अग्रिम जमानत हासिल कर ली है और तीन फरार हैं.’

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि जांच अभी भी जारी है और पुलिस को चार्जशीट दाखिल करना बाकी है.

फतेहपुर पुलिस ने इवेंजेलिकल चर्च सहित दो स्थानीय चर्चों के कार्यवाहकों को भी नोटिस जारी कर उनकी आय के स्रोत, दानदाताओं के नाम, उनसे प्राप्त राशि और अब तक धर्मांतरित किए गए लोगों के नाम समेत अन्य विवरण मांगा है.

इस बीच, पादरी विजय मसीह की पत्नी प्रीति मसीह ने कहा, ‘हम पिछले 10 सालों से चर्च के केयरटेकर हैं और कभी ऐसा कोई आरोप नहीं लगा. कुछ लोगों ने धर्मांतरण की कहानी गढ़ी है और निर्दोष लोगों पर मामला दर्ज किया गया है. वे लोगों में आतंक पैदा करने के लिए झूठे आरोप लगा रहे हैं.’

ब्रॉडवेल क्रिश्चियन हॉस्पिटल के एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कहा, ‘पुलिस कभी भी हमारे अस्पताल पर छापा मार देती है. इस वजह से कुछ लोगों ने हमारे पास इलाज के लिए आना बंद कर दिया है. हालांकि, हम अभी भी पूरी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं.’

मामले में आरोपी बनाए गए अस्पताल के अधिकांश कर्मचारी उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, झारखंड और छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों के हैं.

मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में कथित धर्मांतरण को लेकर लगातार सख्ती बरती जा रही है.

हाल ही में, बीते 25 दिसंबर को उत्तर प्रदेश में रामपुर जिले के एक गांव में क्रिसमस के मौके पर दलित समाज के लोगों को एकत्र कर धर्म परिवर्तन का उपदेश देने के आरोप में एक पादरी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था.

इसके अलावा, प्रदेश के बलिया में भी दलित वर्ग के लोगों को ईसाई धर्म में धर्मांतरित कराने के कथित प्रयास में पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था.

इससे पहले, रामपुर जिले की एक अन्य घटना में बरगला कर धर्म परिवर्तन कराने के उद्देश्य से 30-40 लोगों को बस से दिल्ली ले जाने की कोशिश करने के आरोप में एक व्यक्ति के खिलाफ पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर ली थी.

बीते 24 दिसंबर की रात हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने धर्मांतरण का आरोप लगाते हुए एक बस रोककर हंगामा किया था. पुलिस ने विश्व हिंदू परिषद के नगर अध्यक्ष की शिकायत पर एक व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज करके गिरफ्तार कर लिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq