महाराष्ट्र के सरकारी कॉलेजों के रेज़िडेंट डॉक्टरों की मांगों में छात्रावासों की गुणवत्ता में सुधार करना, 7वें वेतन आयोग के अनुसार डीए, कोविड सेवा बकाया का भुगतान और सहायक तथा एसोसिएट प्रोफेसर के रिक्त पदों को भरना शामिल है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान न देकर इमरजेंसी सेवाओं को बंद करने पर विचार करने के लिए उन्हें मजबूर कर रही है.
मुंबई: महाराष्ट्र के सरकारी कॉलेजों के सात हजार से ज्यादा रेजिडेंट डॉक्टर अपनी मांगों को लेकर सोमवार को हड़ताल पर चले गए. उनकी मांगों में छात्रावासों की गुणवत्ता में सुधार करना और सहायक तथा एसोसिएट प्रोफेसर के रिक्त पदों को भरना शामिल है.
उनकी अन्य मांगों में 7वें वेतन आयोग के अनुसार डीए और कोविड सेवा बकाया का भुगतान शामिल है.
महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (एमएआरडी) ने आरोप लगाया कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान न देकर आपातकालीन सेवाओं को बंद करने पर विचार करने के लिए उन्हें मजबूर कर रही है, जब कोरोना वायरस के स्वरूप ‘ओमीक्रॉन’ के नए उप-स्वरूप को लेकर आशंकाएं हैं.
एमएआरडी ने हड़ताल का आह्वान किया है. उसका दावा है कि सरकारी कॉलेजों के विद्यार्थी छात्रावासों की खराब गुणवत्ता के कारण परेशानी का सामना कर रहे हैं.
द मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, एमएआरडी के बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) खंड के अनुसार, हालांकि रेजिडेंट डॉक्टर आपातकालीन सेवाओं का हिस्सा बने रहेंगे.
सरकारी और नगर निकाय के अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टरों की अहम भूमिका रहती है.
बहरहाल बीएमसी अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल से गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती हैं, जो चिकित्सा शिक्षा पूरी करने के दौरान व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करते हैं. बीएमसी अस्पताल में हजारों की संख्या में रेजिडेंट डॉक्टर कार्यरत हैं.
मुंबई के सरकारी अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों द्वारा 2 जनवरी से काम छोड़ने की धमकी के बाद राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में उनके साथियों ने घोषणा की कि वे 2 जनवरी से काम से अनुपस्थित रहेंगे.
अधिकारियों को लिखे पत्र में बीएमसी एमएआरडी ने 1 जुलाई, 2018 से महंगाई भत्ते के बकाया की निकासी के साथ-साथ बीएमसी अस्पतालों में महंगाई भत्ते पर एक सरकारी संकल्प को लागू करने की मांग की.
पत्र ने कहा गया है, ‘नायर अस्पताल (नायर एमएआरडी) के रेजिडेंट डॉक्टरों के आठ महीने के कोविड बकाया और केईएम और कूपर अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों के दो महीने के बकाया का भुगतान लंबित है. बीएमसी को सभी बीएमसी और जीएमसी अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए पर्याप्त छात्रावास की सुविधा प्रदान करनी चाहिए.’
रेजिडेंट डॉक्टर पूरे राज्य में अपने वेतन को बराबर करने, 1,432 सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों की भर्ती और शिक्षण कर्मचारियों की कमी को दूर करने के लिए एसोसिएट तथा सहायक प्रोफेसर के खाली पदों को भरने की मांग के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
एमएआरडी ने कहा कि अगर उनकी मांगें मान ली जाती हैं तो इससे राज्य के स्वास्थ्य ढांचे को काफी फायदा होगा.
वेतन में किसी भी तरह की असमानता को खत्म करने के लिए एसोसिएशन ने महाराष्ट्र के सभी वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए समान पारिश्रमिक की भी मांग की है. बीएमसी एमएआरडी ने दावा किया कि उसने बार-बार अपनी मांगों को बीएमसी और राज्य सरकार के सामने रखा था, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया गया.
इस बीच पत्रकारों से बात करते हुए राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री गिरीश महाजन ने कहा कि उन्होंने रेजिडेंट डॉक्टरों से बातचीत करने को कहा है और उनसे मामले को नहीं खींचने का आग्रह किया है.
मंत्री ने कहा कि हड़ताली डॉक्टरों की आधी मांगों को तुरंत मंजूर किया जा रहा है. महाजन ने कहा, ‘हम हर चीज को लेकर सकारात्मक हैं. उन्हें (डॉक्टरों को) हड़ताल पर जाने से पहले हमसे बात करनी चाहिए थी.’
एमएआरडी के अध्यक्ष अविनाश दहिफले ने कहा कि एसोसिएशन को बातचीत के लिए राज्य सरकार से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)