कांग्रेस, शिअद और अन्य ने सिख सैनिकों के लिए हेलमेट के कथित क़दम का विरोध किया

भारतीय सेना में सिख सैनिकों के लिए पगड़ी की जगह हेलमेट शामिल करने के कथित प्रस्ताव की व्यापक आलोचना हो रही है. सिख संगठनों ने कहा है कि हमारी पहचान के प्रतीक के ऊपर हेलमेट लगाने की किसी भी कोशिश को हमारी पहचान ख़त्म करने की कोशिश के तौर पर देखा जाएगा. सरकार को तुरंत अपना फैसला वापस लेना चाहिए और प्रधानमंत्री को माफ़ी मांगनी चाहिए.

/
गणतंत्र दिवस परेड के दौरान सिख सैनिक. (फोटो: विकिमीडिया कॉमन्स CC BY 3.0)

भारतीय सेना में सिख सैनिकों के लिए पगड़ी की जगह हेलमेट शामिल करने के कथित प्रस्ताव की व्यापक आलोचना हो रही है. सिख संगठनों ने कहा है कि हमारी पहचान के प्रतीक के ऊपर हेलमेट लगाने की किसी भी कोशिश को हमारी पहचान ख़त्म करने की कोशिश के तौर पर देखा जाएगा. सरकार को तुरंत अपना फैसला वापस लेना चाहिए और प्रधानमंत्री को माफ़ी मांगनी चाहिए.

गणतंत्र दिवस परेड के दौरान सिख सैनिक. (फोटो: विकिमीडिया कॉमन्स CC BY 3.0)

चंडीगढ़: पंजाब में विपक्षी कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और अन्य संगठनों ने सेना में सिख सैनिकों के लिए हेलमेट शामिल करने के कथित कदम का शुक्रवार को कड़ा विरोध किया.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि सिखों ने 1962, 1965, 1971 की जंग और कारगिल की लड़ाई बहादुरी से लड़ी, लेकिन तब हेलमेट का कोई मुद्दा नहीं उठा.

रंधावा ने चंडीगढ़ में संवाददाताओं से कहा, ‘हम सिख सैनिकों के लिए हेलमेट शामिल करने के कदम की कड़ी निंदा करते हैं. एक सिख, हेलमेट के लिए अपनी पगड़ी कभी भी नहीं हटाएगा. सरकार को तुरंत अपना फैसला वापस लेना चाहिए और प्रधानमंत्री को माफी मांगनी चाहिए.’

शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने देश के सशस्त्र बलों में सिखों के लिए हेलमेट अनिवार्य करने के कथित कदम के कार्यान्वयन के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करने की अपील की.

बादल ने इस कदम को ‘भड़काने वाला और असंवेदनशील’ बताते हुए एक बयान में कहा कि यह न केवल इतिहास में अभूतपूर्व है, बल्कि सभी तर्कों को भी खारिज करता है, क्योंकि सिख सैनिक पूर्व में देश की रक्षा में हमेशा सबसे आगे रहे हैं और उन्हें ऐसे हेलमेट की कभी जरूरत महसूस नहीं हुई.

उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा, ‘यदि समाचार पत्रों की खबर सहित विभिन्न स्रोतों से सामने आने वाली जानकारी वास्तव में सच है, तो हमें आश्चर्य है कि सरकार ने इस तरह की महत्वपूर्ण भावनात्मक और धार्मिक संवेदनशीलता के मामले पर सिख सिद्धांतों, मानदंडों और प्रथाओं की इस तरह की उपेक्षा की.’

उन्होंने हालांकि, उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री इस मामले को देखेंगे और आदेश देंगे कि इस संबंध में किसी भी प्रस्ताव को रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जाए.

बादल ने कहा, ‘यहां तक कि अंग्रेजों ने भी सिख सैनिकों पर इस तरह के फैसले को नहीं थोपा था. सिख कट्टर देशभक्त लोग हैं और उन्होंने 1948, 1962, 1965 और 1971 के युद्धों के साथ-साथ कारगिल सहित अन्य सभी सैन्य अभियानों में भी आगे रहे हैं.’

बादल ने सवाल किया, ‘अचानक यह घटनाक्रम क्यों हुआ, जब किसी सिख को कभी भी इस तरह की सुरक्षा की आवश्यकता महसूस नहीं हुई?’ उन्होंने कहा कि उन्हें अभी भी उम्मीद है कि इस संबंध में खबरें सच नहीं हैं.

प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में बादल ने इस संबंध में रक्षा मंत्रालय के कथित कदम पर अकाल तख्त के जत्थेदार हरप्रीत सिंह द्वारा व्यक्त की गई गंभीर चिंता की ओर भी उनका ध्यान आकर्षित किया.

शिरोमणि अकाली दल के एक बयान के अनुसार, बादल मीडिया के एक वर्ग में आईं उन खबरों का जिक्र कर रहे थे, जिनमें कहा गया था कि रक्षा मंत्रालय ने सिख सैनिकों के लिए इन तथाकथित ‘विशेष रूप से डिजाइन किए गए हेलमेट’ की थोक खरीद के लिए पहले ही ऑर्डर दे दिया है.

अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने भी कथित कदम की आलोचना करते हुए कहा था कि यह सिखों की पहचान पर हमला है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय ने 5 जनवरी को विशेष रूप से सिख सैनिकों के लिए तकरीबन 12,730 बैलिस्टिक हेलमेट के प्रस्ताव के लिए एक निविदा या अनुरोध जारी किया था. ये बुलेटप्रूफ ‘पटका’ के विपरीत हैं, जो अब सिख सैनिक पहनते हैं. इन हेलमेट का उद्देश्य पूरे सिर को ढंकना है.

प्रस्ताव में कहा गया है कि 8,911 स्वदेशी हेलमेट ‘बड़े’ होने चाहिए, बाकी 3,819 ‘अतिरिक्त-बड़े’ आकार के होने चाहिए. हेलमेट केंद्रीय बल्ज डिजाइन के और उन्नत लड़ाकू डिजाइन के अनुसार सिख सैनिकों के सिर के आकार के अनुरूप होने चाहिए, जो धार्मिक आवश्यकताओं के अनुसार अपने सिर पर बाल नहीं रखते हैं.

इसकी जानकारी भारतीय सेना की वेबसाइट पर सार्वजनिक तौर पर मौजूद है.

रिपोर्ट के मुताबिक, सेना में सिख सैनिकों के लिए विशेष रूप से हेलमेट का यह पहला ऑर्डर हो सकता है. परंपरागत रूप से सिख सैनिकों ने लड़ाई में हेलमेट नहीं पहना है, लेकिन हाल ही में आतंकवाद विरोधी क्षेत्रों और नियंत्रण रेखा पर उन्हें हेलमेट के साथ-साथ बुलेट-प्रूफ ‘पटका’ पहने देखा गया है.

धार्मिक मानदंडों के अनुसार, सिख सैनिक पगड़ी पहनते हैं. उन्होंने आधुनिक युग की लड़ाइयों में ऐसा करना जारी रखा है, जो प्रथम विश्व युद्ध के समय से चली आ रही है. हालांकि, युद्ध की बदलती प्रकृति और व्यक्तिगत सुरक्षा के साथ-साथ बैलिस्टिक गोला-बारूद में होने वाली प्रगति की वजह से युद्ध में सैनिकों की सुरक्षा पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है.

सिख रेजिमेंट और सिख लाइट इन्फैंट्री जैसी शुद्ध सिख रेजिमेंट के अलावा सिखों की एक बड़ी संख्या पंजाब रेजिमेंट और कुछ अन्य पैदल सेना इकाइयों में भी काम करती है. वे अन्य हथियारों और सेवाओं में भी बड़ी संख्या में सेवा करते हैं.

सिख सैनिकों के लिए हेलमेट के लिए अन्य सुरक्षा मानदंड नियमित हेलमेट के समान ही हैं. निविदा प्रस्ताव जमा करने की अंतिम तिथि 27 जनवरी, 2023 है.

सिख धर्म में अपने पुरुष अनुयायियों को पगड़ी और दाढ़ी रखने और अपने बाल बिना कटे रखने की आवश्यकता होती है. अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने एक वीडियो संदेश में सिखों को हेलमेट पहनने से मना करते हुए कहा कि ये सिख नियमों के खिलाफ है.

उन्होंने कहा, ‘पगड़ी सिर्फ पांच या सात मीटर का कपड़ा नहीं है, यह एक ताज है जो गुरु साहिब द्वारा सिखों के सिर पर रखा गया है और यह हमारी पहचान का प्रतीक है. हमारी पहचान के प्रतीक के ऊपर हेलमेट लगाने की किसी भी कोशिश को हमारी पहचान खत्म करने की कोशिश के तौर पर देखा जाएगा.’

जत्थेदार ने कहा कि ब्रिटिश शासकों ने द्वितीय विश्व युद्ध में सिख सैनिकों के लिए हेलमेट पेश करने की भी कोशिश की थी, लेकिन इस कदम को सिख सैनिकों ने खारिज कर दिया था. उन्होंने भारत सरकार और सेना से सिख भावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस कदम पर पुनर्विचार करने को कहा है.

जत्थेदार ने कहा कि उन्हें सिख सैनिकों के लिए हेलमेट खरीदने के सेना के कदम के बारे में समाचार रिपोर्टों से पता चला है और कहा कि सिख पंथ और सिख संगठन इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे क्योंकि सिखों को उनके धर्म के सिद्धांतों द्वारा टोपी या हेलमेट पहनने की मनाही है.

द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि सिख सैनिकों के लिए हेलमेट पेश करने का यह कदम क्यों उठाया गया है. सिख सैनिकों ने युद्ध में कभी हेलमेट नहीं पहना, चाहे वह प्रथम विश्व युद्ध हो, द्वितीय विश्व युद्ध हो या कारगिल युद्ध. हमने हमेशा पगड़ी पहनी है. यहां तक कि मैंने सिख रेजीमेंट में अपनी सेवा के दौरान कभी भी हेलमेट नहीं पहना था.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)