ग्रामीण क्षेत्रों में दिसंबर में शहरी क्षेत्रों के मुक़ाबले अधिक खुदरा महंगाई दर्ज की गई: डेटा

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़े बताते हैं कि दिसंबर 2022 में शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक खुदरा महंगाई दर्ज की गई. देश में मिज़ोरम में खुदरा महंगाई की उच्चतम दर 13.94 फीसदी दर्ज की गई, जबकि त्रिपुरा में अधिकतम शहरी महंगाई की दर (10.43 फीसदी) देखी गई.

Prayagraj: Members of NGO sort vegetables to cook food for needy people during a nationwide lockdown imposed as a preventive measure against the spread of coronavirus, in Prayagraj, Tuesday, April 21, 2020. (PTI Photo)(PTI21-04-2020_000061B)

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़े बताते हैं कि दिसंबर 2022 में शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक खुदरा महंगाई दर्ज की गई. देश में मिज़ोरम में खुदरा महंगाई की उच्चतम दर 13.94 फीसदी दर्ज की गई, जबकि त्रिपुरा में अधिकतम शहरी महंगाई की दर (10.43 फीसदी) देखी गई.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: बीते दिसंबर माह में शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक खुदरा मुद्रास्फीति दर्ज की गई.

द हिंदू बिजनेसलाइन ने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर आंकड़ों का हवाला देते हुए इस संबंध में अपनी एक रिपोर्ट में बताया है.

रिपोर्ट के अनुसार, खुदरा महंगाई दो पूर्वोत्तर राज्यों मिजोरम और त्रिपुरा में सबसे अधिक थी. मिजोरम में खुदरा मुद्रास्फीति की उच्चतम दर 13.94 फीसदी दर्ज की गई, जबकि त्रिपुरा में अधिकतम शहरी मुद्रास्फीति की दर 10.43 फीसदी देखी गई.

सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने दिसंबर में उच्चतम ग्रामीण मुद्रास्फीति दर्ज की. रिपोर्ट में कहा गया है कि तेलंगाना, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब सहित बड़े राज्यों, जो प्रमुख रूप से कृषि क्षेत्र पर निर्भर हैं, में उच्च ग्रामीण मुद्रास्फीति देखी गई.

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति खाद्य और पेय, कपड़े और जूते, आवास, ईंधन और बिजली, पेन, तंबाकू एवं विषाक्त पदार्थों और विविध सामग्री की कीमतों में उतार-चढ़ाव को मापता है.

खाद्य और पेय श्रेणी में अनाज, मांस-मछली, अंडे, दुग्ध उत्पाद, फल, सब्जियां, मसाले और अन्य खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं.

ग्रामीण खुदरा मुद्रास्फीति अधिक होने का प्राथमिक कारण ग्रामीणों द्वारा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के विभिन्न घटकों में से ‘खाद्य एवं पेय’ का अधिक उपयोग करना है.

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर मनीषा मल्होत्रा ने अखबार को बताया कि ग्रामीण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में खाद्य एवं पेय घटकों का हिस्सा 54.18 फीसदी है, जबकि शहरी मुद्रास्फीति में केवल 36.29 फीसदी है.

ग्रामीण मुद्रास्फीति चिंता का कारण इसलिए है,क्योंकि भारत की 64 फीसदी से अधिक आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में ही रहती है. यह वह वर्ग है, जो उच्च खाद्य मुद्रास्फीति के कारण सबसे अधिक प्रभावित हुआ है.

गौरतलब है कि जनवरी 2022 से देश में ग्रामीण खुदरा मुद्रास्फीति शहरी मुद्रास्फीति से अधिक बनी हुई है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के प्रमुख महेश व्यास ने क्वार्ट्ज़ को बताया था कि असमान वर्षा ने बुवाई गतिविधियों को प्रभावित किया, जिससे ग्रामीण बेरोजगारी में और भी अधिक वृद्धि हुई.

इसके अलावा आवश्यक वस्तुओं जैसे दूध और बिस्कुट, कपड़े, जूते और पर्सनल केयर उत्पादों की कीमतों में वृद्धि से ग्रामीण क्रय शक्ति प्रभावित होती है.

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