कर्नाटक: काद्री मेले में मुस्लिम व्यापारियों को काम नहीं करने देने के बैनर लगे, पुलिस ने हटाए

कर्नाटक के मंगलुरु स्थित काद्री श्री मंजूनाथ मंदिर मेले में दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा लगाए गए बैनर में पिछले साल हुए कुकर विस्फोट का उल्लेख करते हुए लिखा था कि ऐसी मानसिकता वाले और मूर्ति पूजा का विरोध करने वाले लोग पूजा स्थल के पास मेले के दौरान व्यवसाय नहीं कर सकते. केवल हिंदू धर्म में विश्वास रखने वाले व्यापारियों को ही व्यवसाय जारी रखने की अनुमति दी जाएगी.

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(प्रतीकात्मक फोटो साभारः ट्विटर/@compolmlr)

कर्नाटक के मंगलुरु स्थित काद्री श्री मंजूनाथ मंदिर मेले में दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा लगाए गए बैनर में पिछले साल हुए कुकर विस्फोट का उल्लेख करते हुए लिखा था कि ऐसी मानसिकता वाले और मूर्ति पूजा का विरोध करने वाले लोग पूजा स्थल के पास मेले के दौरान व्यवसाय नहीं कर सकते. केवल हिंदू धर्म में विश्वास रखने वाले व्यापारियों को ही व्यवसाय जारी रखने की अनुमति दी जाएगी.

(प्रतीकात्मक फोटो साभारः ट्विटर/@compolmlr)

मंगलुरु: कर्नाटक के मंगलुरु स्थित काद्री श्री मंजूनाथ मंदिर मेले में लगे उन बैनर को पुलिस ने हटा दिया है, जिनमें कथित तौर पर मंदिर के पास मुस्लिम व्यापारियों के काम करने पर रोक लगाने की बात कही गई थी.

पुलिस सूत्रों ने कहा कि विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल द्वारा लगाए गए बैनर बृहस्पतिवार (19 जनवरी) को हटा दिए गए.

मेला 15 जनवरी को शुरू हुआ था और 21 जनवरी को समाप्त होगा. दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा लगाए गए बैनर बृहस्पतिवार को देखे गए, जिनमें कुकर के जरिये किए गए विस्फोट का उल्लेख किया गया और आरोप लगाया गया कि मामले के आरोपियों का निशाना काद्री मंजूनाथ मंदिर था.

बैनर पर यह भी लिखा था कि ऐसी मानसिकता वाले और मूर्ति पूजा का विरोध करने वाले लोग पूजा स्थल के पास मेले के दौरान व्यवसाय नहीं कर सकते और केवल हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों एवं अनुष्ठानों में विश्वास रखने वाले व्यापारियों को ही व्यवसाय जारी रखने की अनुमति दी जाएगी.

धार्मिक बंदोबस्ती विभाग के अंतर्गत आने वाले मंदिर प्रशासन ने मंदिर मेले के आसपास लगाए गए बैनर पर लिखी बातों को खारिज किया है.

पुलिस ने कहा कि शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए बैनर हटा दिए गए और इस संबंध में अभी तक कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि चूंकि मंदिर प्रशासन धार्मिक बंदोबस्त विभाग के अधीन आता है और उन्होंने पुलिस को सूचित किया, इसलिए बैनर हटा दिए गए.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमने किसी भी कानून व्यवस्था के मुद्दे से बचने के लिए बैनर हटा दिए हैं, लेकिन चूंकि कोई पुलिस शिकायत नहीं है, इसलिए हमने इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की है.’

रिपोर्ट के मुताबिक, 19 नवंबर, 2022 को कर्नाटक में एक ऑटोरिक्शा में एक आईईडी विस्फोट के बाद से राज्य पुलिस ने काद्री मंदिर में सुरक्षा बढ़ा दी थी. अफवाह थी कि इसी मंदिर को निशाना बनाया गया था.

मंगलुरु में एक ऑटो-रिक्शा में हुए विस्फोट में चालक पुरुषोत्तम पुजारी और यात्री मोहम्मद शरीक (24) घायल हो गए थे, जो इस मामले के मुख्य आरोपी भी थे.

मंदिर के अधिकारियों के पुलिस से संपर्क करने के बाद मंदिर में अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान की गई. काद्री मंदिर की कार्यकारी अधिकारी पी. जयम्मा ने कहा कि पुलिस सुरक्षा का अनुरोध तब किया गया था जब सोशल मीडिया पोस्ट काद्री मंदिर को निशाना बनाने का संकेत दे रहे थे.

मालूम हो कि कर्नाटक के दक्षिणपंथी समूहों द्वारा लगातार हिजाब, हलाल मीट और मस्जिदों में अजान जैसे मुद्दों पर मुस्लिमों को निशाना बनाया है. कुछ दक्षिणपंथी सदस्य फल बेचने वाले मुस्लिम विक्रेताओं पर भी निशाना साध रहे हैं और हिंदुओं से मुस्लिम विक्रेताओं से फल नहीं खरीदने को कह रहे हैं.

जून 2022 में मंगलुरु शहर के बाहर कुडुपू स्थित अनंत पद्मनाभ मंदिर में एक मुस्लिम व्यापारी को केले की आपूर्ति का ठेका देने पर विवाद खड़ा हो गया था. मंदिर में केले की आपूर्ति कर रहे मुस्लिम व्यापारी को लेकर हिंदू संगठनों ने अपना विरोध जताया था.

जून 2022 में ही मांड्या जिले के श्रीरंगपट्टनम शहर में एक मस्जिद में हिंदुत्व समूहों द्वारा घुसने और 4 जून को पूजा करने की धमकी दी गई थी, जिसके बाद सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे.

साल 2022 में बोम्मई के राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही राज्य में विवादित धर्मांतरण विरोधी विधेयक पारित हो गया था.

स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पर विवाद शुरू हुआ, जिसके बाद कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था. हलाल मीट के खिलाफ अभियान शुरू हुआ और उसके बाद मस्जिदों में अजान के दौरान लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर भी विरोध दर्ज कराया गया था.

इसके अलावा मुस्लिम ड्राइवरों का बहिष्कार, मंदिरों में मुस्लिमों द्वारा दुकानें लगाने और धार्मिक मेलों में मुस्लिमों को भाग लेने से रोकने वाली दक्षिणपंथी समूहों की गतिविधियां भी कर्नाटक में जारी रहीं.

मई 2022 में कर्नाटक के कई विद्वानों और शिक्षाविदों ने राज्य सरकार की समितियों और निकायों से इस्तीफा देकर राज्य में चल रहे शिक्षा के ‘भगवाकरण’ का विरोध किया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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