सोशल मीडिया से गुजरात दंगों में मोदी की भूमिका संबंधी डॉक्यूमेंट्री के लिंक हटाने के निर्देश

बीबीसी ने ब्रिटेन में प्रसारित ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ डॉक्यूमेंट्री में कहा है कि ब्रिटिश सरकार की गोपनीय जांच में गुजरात दंगों के लिए नरेंद्र मोदी ज़िम्मेदार पाए गए थे. इस संबंध में तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन के अलावा कार्यकर्ता कविता कृष्णन, पत्रकार ग़ज़ाला वहाब और मिताली सरन तथा वकील प्रशांत भूषण द्वारा किए गए ट्वीट को मोदी सरकार के अनुरोध पर ट्विटर द्वारा हटा दिया गया है.

/
Prime Minister Narendra Modi. Photo: pmindia.gov.in

बीबीसी ने ब्रिटेन में प्रसारित ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ डॉक्यूमेंट्री में कहा है कि ब्रिटिश सरकार की गोपनीय जांच में गुजरात दंगों के लिए नरेंद्र मोदी ज़िम्मेदार पाए गए थे. इस संबंध में तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन के अलावा कार्यकर्ता कविता कृष्णन, पत्रकार ग़ज़ाला वहाब और मिताली सरन तथा वकील प्रशांत भूषण द्वारा किए गए ट्वीट को मोदी सरकार के अनुरोध पर ट्विटर द्वारा हटा दिया गया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फोटो: pmindia.gov.in)

नई दिल्ली: कुछ समाचार रिपोर्ट से पता चला है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने यूट्यूब और ट्विटर दोनों को 2002 के गुजरात सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पोस्ट करने वाले लिंक को हटाने के लिए कहा है. दोनों प्लेटफॉर्म कथित तौर पर यह कार्रवाई करने के लिए सहमत हो गए हैं.

बीबीसी की ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ डॉक्यूमेंट्री को पोस्ट करने वाले कई ट्वीट और वीडियो लिंक हटा दिए गए हैं.

इस बीच तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट किया कि डॉक्यूमेंट्री का लिंक शेयर करने वाले उनके ट्वीट को ट्विटर ने हटा दिया है. ट्विटर से उन्हें मिले नोटिस ने पुष्टि की कि उनका ट्वीट भारत सरकार के एक अनुरोध के आधार पर हटा दिया गया था.

ट्विटर से मिले एक ई-मेल को पोस्ट करते हुए ओ ब्रायन ने इसे ‘पाबंदी’ (सेंसरशिप) करार दिया. इस ई-मेल में कहा गया है कि उनके ट्वीट को भारत सरकार के अनुरोध पर डिलीट किया गया, जिसमें दावा किया गया था कि यह भारतीय कानून का उल्लंघन करता है.

उन्होंने आरोप लगाया, ‘सेंशरशिप. ट्विटर-इंडिया ने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर मेरे ट्वीट को हटा दिया, इसे लाखों लोगों ने देखा था. एक घंटे की बीबीसी डॉक्यूमेंट्री में बेनकाब किया गया है कि किस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अल्पसंख्यकों से नफरत करते हैं.’

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, ट्विटर के अलावा सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने यूट्यूब को कई वीडियो ब्लॉक करने का निर्देश दिया है, जिनमें बीबीसी डॉक्यूमेंट्री का एपिसोड-1 शामिल है (अब तक केवल एक ही एपिसोड जारी किया गया है. इसके अलावा, सूत्रों ने बताया कि ट्विटर को इन वीडियो के लिंक वाले 50 से अधिक ट्वीट्स को ब्लॉक करने के लिए कहा गया था.

सूत्रों ने बताया कि विदेश, गृह मामलों और सूचना एवं प्रसारण सहित कई मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों ने डॉक्यूमेंट्री की पड़ताल की और पाया कि यह सुप्रीम कोर्ट के अधिकार और विश्वसनीयता पर आक्षेप लगाने, विभिन्न भारतीय समुदायों के बीच विभाजन का बीज बोने का प्रयास है.

साथ ही इसमें विदेशी सरकार के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों के साथ-साथ देश के भीतर सार्वजनिक व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालने की क्षमता है.

सूत्रों ने कहा कि अधिकारियों ने इसे ‘भारत की संप्रभुता और अखंडता को कमजोर करने वाला और विदेशी राज्यों के साथ भारत के मैत्रीपूर्ण संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने की क्षमता’ रखने वाला पाया, जो केंद्र को आईटी नियम 2021 के तहत आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल करने की इजाजत देता है.

ऐसा माना जा रहा है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्रा ने आईटी नियम, 2021 के तहत आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए शुक्रवार को निर्देश जारी किए.

इससे पहले बीते 20 जनवरी को विदेश मंत्रालय ने दो भागों वाली इस डॉक्यूमेंट्री को ‘दुष्प्रचार का एक हिस्सा’ करार देते हुए सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि इसमें पूर्वाग्रह, निष्पक्षता की कमी और औपनिवेशिक मानसिकता स्पष्ट रूप से झलकती है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री पर संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते हुए कहा था कि यह एक ‘गलत आख्यान’ को आगे बढ़ाने के लिए दुष्प्रचार का एक हिस्सा है.

बागची ने कहा था, ‘यह हमें इस कवायद के उद्देश्य और इसके पीछे के एजेंडा के बारे में सोचने पर मजबूर करता हैं.’ उन्होंने कहा था कि स्पष्ट तौर पर वह ऐसे प्रयासों को महत्व नहीं देना चाहते.

एनडीटीवी ने बताया कि यूट्यूब को यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि अगर वीडियो के नए लिंक डाले जाते हैं तो उन्हें भी हटाया जाए.

बीबीसी ने ब्रिटेन में ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ नाम की एक डॉक्यूमेंट्री प्रसारित की है, जिसमें बताया गया है कि ब्रिटेन सरकार द्वारा करवाई गई गुजरात दंगों की जांच (जो अब तक अप्रकाशित रही है) में नरेंद्र मोदी को सीधे तौर पर हिंसा के लिए जिम्मेदार पाया गया था.

साथ ही इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश के मुसलमानों के बीच तनाव की भी बात कही गई है. यह 2002 के फरवरी और मार्च महीनों में गुजरात में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा में उनकी भूमिका के संबंध में दावों की पड़ताल भी करती है, जिसमें एक हजार से अधिक लोगों की जान चली गई थी.

डॉक्यूमेंट्री ब्रिटेन सरकार की एक अब तक अनदेखी जांच रिपोर्ट का हवाला देती है, जिसमें कहा गया है कि ‘नरेंद्र मोदी सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं’. ब्रिटेन के तत्कालीन विदेश सचिव जैक स्ट्रॉ इसमें कहते नजर आते हैं कि ब्रिटिश टीम ने ‘बहुत गहन रिपोर्ट तैयार की है’.

ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक बीते 20 जनवरी को संसद में डॉक्यूमेंट्री पर बात करते हुए मोदी का बचाव करते देखे गए. उन्होंने कहा, ‘इस पर ब्रिटिश सरकार की स्थिति लंबे समय से स्पष्ट है और बदली नहीं है.’

बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर सांसद इमरान हुसैन के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा था, ‘स्पीकर महोदय, इस पर ब्रिटिश सरकार की स्थिति लंबे समय से स्पष्ट है और बदली नहीं है. बेशक हम उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं करते हैं, यह जहां कहीं भी दिखाई देता है, लेकिन मुझे यकीन नहीं है कि मैं उस चरित्र-चित्रण से बिल्कुल सहमत हूं, जो माननीय सज्जन ने सामने रखा है.’

बहरहाल, बीबीसी अपनी डॉक्यूमेंट्री के साथ खड़ा हुआ है और उसका कहना है कि यह काफी शोध करने के बाद बनाई गई है, जिसमें महत्वपूर्ण मुद्दों को निष्पक्षता से उजागर करने की कोशिश की गई है.

बीबीसी के एक प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, ‘डॉक्यूमेंट्री पर उच्चतम संपादकीय मानकों के अनुसार गहन शोध किया गया था.’

50 ट्वीट्स को सेंसर करने का निर्देश

इतना ही नहीं ट्विटर की हालिया फाइलिंग से पता चलता है कि केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने कानूनी आधार का हवाला देते हुए सोशल मीडिया मंच को 2002 की सांप्रदायिक हिंसा के बारे में बीबीसी की नई डॉक्यूमेंट्री से संबंधित यूट्यूब वीडियो के लिंक वाले 50 ट्वीट्स को सेंसर करने का निर्देश दिया है.

मंत्रालय ने पोस्ट्स हटाने के संबंध में आईटी अधिनियम-2000 के आईटी नियमों के नियम 16(3) और धारा 69(ए) का हवाला दिया.

तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन के ट्वीट के अलावा कार्यकर्ता कविता कृष्णन, पत्रकार ग़ज़ाला वहाब और मिताली सरन, अमेरिकी अभिनेता जॉन क्यूसैक और वकील प्रशांत भूषण द्वारा डॉक्यूमेंट्री के लिंक वाले पोस्ट को मोदी सरकार की गुहार पर भारत में ट्विटर द्वारा हटा दिया गया है.

इन ट्वीट्स के लिंक पर क्लिक करने वाले ट्विटर यूजर्स को इस तरह का मैसेज मिलेगा:

भारतीय यूजर्स को ट्विटर का मैसेज.

हालांकि, विदेश के ट्विटर यूजर्स के लिए या भारत में वीपीएन के जरिये इंटरनेट लॉग इन करने पर अभी भी वे ट्वीट किसी भी व्यक्ति के लिए उपलब्ध हैं:

अभिनेता जॉन क्यूसैक के ट्वीट का स्क्रीनशॉट.

ट्विटर द्वारा भारत में हटाए गए सभी 50 पोस्ट्स की सूची तीसरे पक्ष के डेटाबेस ल्युमेन, जहां ट्विटर अपने सामग्री हटाने के अनुरोधों को अपलोड करता है, द्वारा प्रकाशित की गई है.

बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को केंद्र की मोदी सरकार द्वारा खारिज किए जाने के बाद भाजपा और उसके समर्थकों ने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर इसके खिलाफ एक अभियान चलाया, जिसमें उन लोगों को निशाना बनाया गया, जिन्होंने अपने हैंडल पर इसका लिंक पोस्ट किया था.

डॉक्यूमेंट्री से नरेंद्र मोदी के साक्षात्कार की कुछ क्लिप वायरल होने के बाद केंद्र ने तुरंत यूट्यूब और ट्विटर दोनों को उन वीडियो और ट्वीट्स को सेंसर करने के लिए कहा, जो सरकार का मानना ​​है कि भारतीय प्रधानमंत्री की छवि को प्रभावित करते हैं.

इस बीच, बीते शनिवार को 302 पूर्व न्यायाधीशों, राजनयिकों, प्रशासकों और सैन्य अधिकारियों के एक समूह ने बीबीसी की निंदा करते हुए एक बयान जारी किया.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq