गढ़चिरौली खदान आगज़नी मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट का सुरेंद्र गाडलिंग को ज़मानत देने से इनकार

प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के सशस्त्र कैडरों ने 27 दिसंबर 2016 को महाराष्ट्र के गढ़चिरौली ज़िले के सूरजगढ़ खदान से लौह अयस्क ले जाने में शामिल कम से कम 39 वाहनों में कथित तौर पर आग लगा दी थी. सुरेंद्र गाडलिंग पर माओवादी गतिविधियों में संलिप्त होने का आरोप है. वह एल्गार परिषद मामले में भी एक आरोपी हैं.

सुरेंद्र गाडलिंग. (फोटो साभारः फेसबुक)

प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के सशस्त्र कैडरों ने 27 दिसंबर 2016 को महाराष्ट्र के गढ़चिरौली ज़िले के सूरजगढ़ खदान से लौह अयस्क ले जाने में शामिल कम से कम 39 वाहनों में कथित तौर पर आग लगा दी थी. सुरेंद्र गाडलिंग पर माओवादी गतिविधियों में संलिप्त होने का आरोप है. वह एल्गार परिषद मामले में भी एक आरोपी हैं.

सुरेंद्र गाडलिंग. (फोटो साभारः फेसबुक)

नागपुर: बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने सूरजगढ़ लौह अयस्क खदान में आगजनी के 2016 के एक मामले के संबंध में वकील सुरेंद्र गाडलिंग को जमानत देने से मंगलवार को इनकार कर दिया.

प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के सशस्त्र कैडरों ने 27 दिसंबर 2016 को महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की इटापल्ली तहसील में सूरजगढ़ खदान से लौह अयस्क ले जाने में शामिल कम से कम 39 वाहनों में कथित तौर पर आग लगा दी थी. एटापल्ली पुलिस स्टेशन में इस संबंध में केस दर्ज किया गया था.

गाडलिंग पर माओवादी गतिविधियों में संलिप्त होने का आरोप है.

जस्टिस विनय जोशी और जस्टिस वाल्मीकि मेनेजेस की खंडपीठ ने जमानत का अनुरोध करने वाली गाडलिंग की अपील मंगलवार को खारिज कर दी. पीठ ने गढ़चिरौली में सत्र अदालत के एक आदेश को चुनौती देते हुए गाडलिंग द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए आदेश पारित किया, जिसने 28 मार्च, 2022 को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी.

उनके वकील फिरदौस मिर्जा ने दलील दी थी कि गाडलिंग के खिलाफ कोई सबूत नही है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट ने कहा, ‘गाडलिंग के खिलाफ जांच एजेंसी के आरोपों पर विश्वास करने के लिए उचित आधार है कि वे एक साजिश का हिस्सा थे और आतंकवादी कृत्यों के लिए उकसा रहे थे, साथ ही उनकी प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) की प्रत्यक्ष सदस्यता भी दृष्टया सच है.’

अदालत ने गढ़चिरौली पुलिस द्वारा प्रस्तुत सबूतों के साथ एल्गार परिषद मामले में गाडलिंग के खिलाफ एनआईए द्वारा दायर चार्जशीट का भी उल्लेख किया.

अदालत ने कहा, ‘चार्जशीट के रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री प्रथमदृष्टया इस निष्कर्ष की ओर ले जाएगी कि जनता के लिए खतरा और गाडलिंग के खिलाफ कथित पूरे षड्यंत्र की गंभीरता उनके द्वारा रखे गए अन्य विचारों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण होगी, जिसमें कहा गया है कि वह एक लंबा बेदाग रिकॉर्ड रखने वाले प्रमुख वकील हैं, अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले हैं या पहले किसी अपराध में शामिल नहीं रहे हैं.’

एल्गार परिषद मामले में भाकपा (माओवादी) के साथ कथित संबंध के लिए गाडलिंग और तेलंगाना के तेलुगू कवि और कार्यकर्ता वरवरा राव पुणे शहर पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए लोगों में शामिल हैं.

जनवरी 2019 में गढ़चिरौली पुलिस ने सूरजगढ़ की घटना में कथित भूमिका के लिए दोनों को गिरफ्तार किया था.

हाईकोर्ट ने कहा कि सत्र अदालत ‘सही ढंग से इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि यह मानने के लिए उचित आधार हैं कि चार्जशीट में गाडलिंग के खिलाफ लगाए गए आरोप सही हैं’.

गाडलिंग 31 दिसंबर 2017 को पुणे में एल्गार परिषद के एक सम्मेलन में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने से जुड़े एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में भी आरोपी हैं. पुलिस का दावा है कि इस भाषण के बाद पुणे जिले में अगले दिन भीमा-कारेगांव युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क उठी थी.

पुणे पुलिस के अनुसार, प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) समूह से जुड़े लोगों ने कार्यक्रम का आयोजन किया था.

नवंबर 2022 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी दलित अधिकार कार्यकर्ता प्रो. आनंद तेलतुंबड़े की जमानत याचिका मंजूर की थी. इससे पहले मामले के 16 आरोपियों में से केवल दो – वकील और अधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज और तेलुगू कवि वरवरा राव फिलहाल जमानत पर बाहर हैं. आरोपियों में शामिल फादर स्टेन स्वामी की पांच जुलाई 2021 को अस्पताल में उस समय मौत हो गई थी, जब वह चिकित्सा के आधार पर जमानत का इंतजार कर रहे थे.

कार्यकर्ता शोमा सेन ने एल्गार परिषद मामले में आरोप मुक्त करने के लिए आवेदन दायर किया

एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी कार्यकर्ता और शिक्षाविद शोमा सेन ने मंगलवार को मुंबई की एक विशेष अदालत में आवेदन दायर कर खुद को आरोपमुक्त करने का आग्रह किया.

सेन ने आवेदन में इस आधार पर आरोपमुक्त करने की गुजारिश की है कि उन्हें झूठे मामले में गिरफ्तार किया गया है और मामले में इसलिए फंसाया गया है, क्योंकि वह मानवाधिकारों और नागरिक स्वतंत्रताओं की रक्षक रही हैं, जिस वजह से कई बार लोगों की अवैध गिरफ्तारी, उन्हें यातना देना और उनकी मौत होने की घटनाओं का पर्दाफाश हुआ है.

उन्होंने विशेष राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) अदालत के न्यायाधीश राजेश कटारिया के समक्ष अधिवक्ता शरीफ शेख के माध्यम से आवेदन दायर किया है.

अदालत इस मामले की सुनवाई 14 फरवरी को करेगी.

अंग्रेजी साहित्य की प्रोफेसर और दलित और महिला अधिकार कार्यकर्ता सेन को छह जून 2018 को गिरफ्तार किया गया था. वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में जेल में हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)