भारत

बजट निराशाजनक, भेदभावपूर्ण, पूरी तरह विफल और लोगों की उम्मीदों के साथ विश्वासघात है: विपक्ष

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश वित्त वर्ष 2023-24 के बजट की विपक्षी दलों ने आलोचना करते हुए कहा है कि यह विपक्ष शासित राज्यों के साथ भेदभाव करता है और इसमें गरीबों, किसानों, मज़दूरों आदि का ख्याल न रखते हुए पूंजीपतियों का हित देखा गया है.

तमिलनाडु के सांसदों ने एम्स मदुरै के निर्माण के लिए केंद्रीय बजट में कोई आवंटन की घोषणा न किए जाने पर संसद भवन में विरोध दर्ज कराया. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को संसद में वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश किया. अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी सरकार के अंतिम पूर्ण बजट में सभी तबकों को साधने का प्रयास किया गया है.  हालांकि, विपक्षी दलों ने बजट को निराशाजनक, पूरी तरह से विफल और लोगों की उम्मीदों के साथ विश्वासघात करार दिया है.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बजट को ‘मित्रकाल बजट’ करार देते हुए कहा कि इससे साबित होता है कि सरकार के पास भारत के भविष्य के निर्माण की कोई रूपरेखा नहीं है.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘मित्रकाल बजट में रोजगार सृजन को लेकर कोई दृष्टिकोण नहीं है, महंगाई से निपटने के लिए कोई योजना नहीं है और असमानता दूर करने का कोई इरादा नहीं है.’

राहुल गांधी ने दावा किया, ‘एक प्रतिशत सबसे अमीर लोगों के पास 40 प्रतिशत संपत्ति है, 50 प्रतिशत गरीब लोग 64 प्रतिशत जीएसटी देते हैं, 42 प्रतिशत युवा बेरोजगार हैं. इसके बाद भी प्रधानमंत्री को कोई परवाह नहीं है. बजट से साबित हुआ कि सरकार के पास भारत के भविष्य के निर्माण के लिए कोई रूपरेखा नहीं है.’

वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार का बजट भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर जनता के लगातार गिरते विश्वास का सबूत है तथा इसे सिर्फ चुनाव को ध्यान में रखकर बनाया गया है.

उन्होंने यह भी कहा कि बजट में महंगाई, बेरोजगारी और किसानों के संदर्भ में कोई समाधान ढूंढने का प्रयास नहीं हुआ है.

खरगे ने ट्वीट किया, ‘मोदी सरकार का बजट भाजपा के प्रति जनता के लगातार गिरते विश्वास का सबूत है. ये केवल चुनाव को ध्यान में रखकर बनाया गया बजट है, देश को ध्यान में रखकर नहीं. इस बजट में भयंकर बेरोज़गारी का हल ढूंढ़ने की कोई भी कोशिश नहीं की गई है.’

उन्होंने कहा, ‘हर घर महंगाई है, आम इंसान की आफ़त आई है. बजट में ऐसा कुछ नहीं है जिससे रोज़मर्रा की वस्तुओं के दामों में कोई भी कमी आए. आटा, दाल, दूध, रसोई गैस – सबका दाम बढ़ाकर मोदी सरकार ने देश को लूटा है .’

कांग्रेस अध्यक्ष का कहना था, ‘इस बजट में दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए कुछ भी नहीं है. उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए एक भी क़दम नहीं उठाया गया है. मनरेगा का बजट 38,468 करोड़ रुपये कम कर दिया. तो ग़रीबों का क्या होगा? शिक्षा और स्वास्थ्य बजट में कोई वृद्धि नहीं है. कमी है.’

खरगे ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों की लगातार अनदेखी कर रही है।

उन्होंने यह सवाल भी किया, ‘किसान विरोधी नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों के लिए बजट में कुछ नहीं दिया है. 2022 में किसानों की आय डबल करने का वादा किया था, उसको पूरा क्यों नहीं किया. एमएसपी गारंटी कहां है?’

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘बैंकिंग क्षेत्र को मोदी सरकार ने बर्बाद कर दिया है. भगौड़े देश लूट कर भाग गए हैं. 3 लाख करोड़ रूपये के इरादतन चकूकर्ता हैं. बैंकों पर 36 लाख करोड़ का एनपीए है, पर बजट में कोई उपाय नहीं बताया गया है. एसबीआई और एलआईसी को जो जोखिम में डाला जा रहा है, उस पर एक शब्द नहीं है.’

खरगे ने दावा किया, ‘कुल मिलाकर मोदी सरकार ने देश की जनता का जीवन दुश्वार किया है. देश की अर्थव्यवस्था को गहरी चोट पहुंचाई है. देश की संपत्ति को लूटने के अलावा मोदी सरकार ने कुछ नहीं किया है. इस बजट को ‘नाम बड़े और दर्शन छोटे बजट’ कहेंगे.’

वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने दावा किया कि केंद्रीय बजट ने देश के ज्यादातर लोगों की उम्मीदों के साथ विश्वासघात किया है.

उन्होंने एक बयान में कहा, ‘वर्ष 2023-24 के लिए बजट और वित्त मंत्री का बजट भाषण यह प्रदर्शित करता है कि जनता, उसके जीवन, आजीविका तथा अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई से सरकार कितनी अनजान है.’

चिदंबरम ने दावा किया, ‘वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में बेरोजगारी, गरीबी और असमानता जैसे शब्दों का कहीं उल्लेख नहीं किया. शुक्र है कि उन्होंने ‘गरीब’ शब्द का उल्लेख दो बार किया.’

उन्होंने कहा, ‘मुझे यकीन है कि भारत के लोग इसका संज्ञान लेंगे कि सरकार को किन लोगों की चिंता है और किन लोगों की नहीं है.’

कांग्रेस नेता ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में सरकार की ओर से अनुमानित जीडीपी (वास्तविक मूल्यों पर आधारित) 232,14,703 करोड़ रुपये बताई गई थी और 11.1 प्रतिशत की विकास दर का अनुमान लगाया गया था. वहीं, वर्ष 2022-23 के लिए 258,00,000 करोड़ रुपये की जीडीपी का अनुमान लगाया गया था.

उन्होंने कहा कि आज पेश किए गए बजट में सरकार ने 2022-23 के लिए संशोधित अनुमान 273,07,751 करोड़ रुपये का लगाया है.

चिदंबरम ने कहा,  ‘इस तरह, वास्तविक मूल्यों पर आधारित जीडीपी दोगुनी होनी चाहिए थी. जबकि वित्त मंत्री (निर्मला सीतारमण) द्वारा और आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया कि जीडीपी की वृद्धि दर सात प्रतिशत रही. सरकार को इस बारे में स्पष्टीकरण देना चाहिए.’

उन्होंने दावा किया, ‘नई कर व्यवस्था को अपनाने वालों के अलावा अन्य के लिए कर में कोई कमी नहीं दी गई है. अप्रत्यक्ष कर में कोई कमी नहीं की गई है. आतिर्कक जीएसटी (माल एवं सेवा कर) की दरों में कोई कमी नहीं की गई है. पेट्रोल, डीजल, सीमेंट, उर्वरक की कीमतों में कोई कटौती नहीं की गई है. कई अधिभारों और उपकरों में कोई कमी नहीं की गई है.’

चिदंबरम ने दावा किया कि यह एक ‘संवेदनहीन’ बजट है, जिसमें देश के ज्यादातर लोगों की उम्मीदों के साथ विश्वासघात किया गया है.

उन्होंने कहा कि ध्यान से विश्लेषण किया जाए तो नई कर व्यवस्था में भी लोगों को कोई फायदा नहीं पहुंचाया गया है.

राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने राज्य के लिहाज से बजट को निराशाजनक और सौतेला व्यवहार करने वाला बताया

राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस के नेताओं ने केंद्रीय बजट को राजस्थान के लिहाज से निराशाजनक बताया है.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आम बजट को राजस्थान के लिए ‘घोर निराशाजनक’ करार देते हुए इसे राज्य की जनता के साथ सौतेला व्यवहार करार दिया.

गहलोत ने कहा कि राज्य के साथ किए गए इस सौतेले व्यवहार का समय आने पर जनता माकूल जवाब देगी.

मुख्यमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी नरेगा जैसी योजनाओं का बजट प्रावधान कम करना साबित करता है कि यह बजट गरीब, भूमिहीन किसान, एवं आमजन विरोधी है.

उन्होंने आम बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘केंद्रीय बजट की यदि राजस्थान प्रदेश के संदर्भ में बात की जाए तो यह बजट प्रदेश के लिए घोर निराशाजनक रहा.’

गहलोत ने एक बयान में कहा, ‘राजस्थान राज्य के विकास से संबंधित महत्वपूर्ण परियोजना पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को राष्ट्रीय दर्जा देने की हमारी वाजिब मांग को केंद्र सरकार द्वारा स्वीकार नहीं किए जाने से प्रदेशवासियों को निराशा हुई है.

उन्होंने कहा कि चुनाव को ध्यान में रखते हुए कर्नाटक राज्य को ऊपरी भद्रा परियोजना के लिए अतिरिक्त सहायता के रूप में राशि 5,300 करोड़ उपलब्ध कराया जाना केंद्र का राजस्थान के प्रति मोदी सरकार के सौतेले व्यवहार को दिखाता है.’

गहलोत ने कहा,’बजट में केवल मीडिया में हेडलाइन बनाने वाले जुमलों का प्रयोग किया गया है लेकिन गरीब लोगों के लिए कोरोना काल में संजीवनी साबित हुई महात्मा गांधी नरेगा जैसी योजनाओं में केंद्र सरकार द्वारा इस योजना में वर्ष 2023-24 का बजट प्रावधान 33 प्रतिशत (लगभग राशि रुपये 30,000 करोड़) कम करना साबित करता है कि यह बजट गरीब, भूमिहीन किसान, एवं आमजन विरोधी है.’

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘इस बजट में कृषि एवं कृषक कल्याण से संबंधित बहुत सारी थोथी घोषणाएं की गई हैं, लेकिन कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय के बजट में पिछले वर्ष से लगभग छह प्रतिशत (लगभग राशि रुपये 7,500 करोड़) कम राशि का प्रावधान किया गया है. इसी प्रकार यूरिया सब्सिडी मद में गत वर्ष की तुलना में 15 प्रतिशत (लगभग राशि रुपये 23,000 करोड़) की उल्लेखनीय कमी कर दी है.’

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय तथा महिला एवं बाल विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों की उपेक्षा करते हुए गत वर्षों की तुलना में इस बजट में नगण्य वृद्धि की गई है.

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘समस्त देश विगत वर्षों से महंगाई से त्रस्त है, आम आदमी के प्रतिदिन काम में आने वाले आटा, दालों, तेल, साबुन आदि की कीमतों में काफी वृद्धि हुई जिससे आम आदमी का जीवन यापन दूभर हुआ. महंगाई को कम करने के संबंध में कोई नीतिगत बयान नहीं आने से आम आदमी का जीवन और भी मुश्किल होगा.’

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा, ‘बजट बहुत निराश करने वाला है और राजस्थान को इसमें कुछ नहीं मिला है. बजट में पेट्रोल, डीजल, गैस सिलेंडर किसी में कोई छूट नहीं है. ना महंगाई कम होगी, ना बेरोजगारी दूर होगी और महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना मनरेगा का 13 हजार करोड़ का बजट कम कर दिया गया.’

जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डॉ. महेश जोशी ने बजट को राजस्थान के दृष्टिकोण से निराशाजनक बताया.

उन्होंने कहा कि ईआरसीपी को लेकर बजट में कोई घोषणा होने की उम्मीद थी, लेकिन इस संबंध में बजट में कोई बात नहीं की गई. राजस्थान के लिए या अन्य किसी क्षेत्र में भी कोई खास घोषणा नहीं की गई है. यह बजट राजस्थान प्रदेश के लिए काफी निराशाजनक रहा है.

खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि केंद्र का बजट पूरी तरह फेल है.

उन्होंने कहा, ‘लोग उम्मीद कर रहे थे कि पेट्रोल-डीजल से राहत मिलेगी क्योंकि क्रूड ऑयल के दाम गिरे हैं, लेकिन जनता के आंखों में अब भी आंसू हैं.’

छत्तीसगढ़ में भी सत्तारूढ़ कांग्रेस ने केंद्रीय बजट को निराशाजनक बताया

छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने बजट को निराशाजनक करार देते हुए कहा कि इससे आम लोगों को कोई राहत नहीं मिली है.

छत्तीसगढ़ कांग्रेस संचार शाखा के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने दावा किया कि वित्त मंत्री ने महंगाई पर काबू पाने के लिए किसी उपाय की घोषणा नहीं की.

सिंह ने कहा, ‘यह बजट गरीबों के लिए नहीं, बल्कि उनके लिए है जिनकी आमदनी ज्यादा है. यह लोगों को निराश करने वाला है क्योंकि उन्हें राहत देने वाले कोई प्रस्ताव नहीं हैं. बजट दिग्भ्रमित करने वाला है.’

वहीं मध्य प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने बजट को सरकार के पुराने वादों पर जुमलों का पर्दा डालने का प्रयास करार दिया .

कमलनाथ ने ट्वीट किया, ‘वित्त मंत्री का बजट भाषण सरकार के पुराने वादों पर जुमलों का पर्दा डालने का प्रयास नजर आया. हमें आशा थी कि वित्त मंत्री उन घोषणाओं पर प्रकाश डालेंगी जो 2022 में पूरी होनी थीं. 2022 में किसानों की आमदनी दोगुनी होनी थी.’

उन्होंने कहा, ‘2022 में हर गरीब को आवास उपलब्ध होना था. 2022 में देश में बुलेट ट्रेन चलनी थी, लेकिन वित्त मंत्री ने इन घोषणाओं के पूरे ना होने की ना तो कोई वजह बताई और ना ही देश की जनता से माफी मांगी.’

कमलनाथ ने कहा, ‘स्पष्ट है कि सरकार भविष्य के खोखले सपने दिखाकर वर्तमान की जटिल परिस्थितियों से लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है. यह प्रवृत्ति देश और अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी नहीं है.’

बजट ‘जनविरोधी’, ‘अवसरवादी’: ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्रीय बजट को ‘जनविरोधी’ करार देते हुए कहा कि इसमें गरीबों का ध्यान नहीं रखा गया. उन्होंने दावा किया कि आयकर स्लैब में बदलाव से किसी की मदद नहीं होगी.

उन्होंने कहा, ‘यह केंद्रीय बजट भविष्यवादी नहीं है, और पूरी तरह से अवसरवादी, जनविरोधी तथा गरीब विरोधी है. यह केवल एक वर्ग के लोगों को लाभान्वित करेगा. यह बजट देश की बेरोजगारी के मुद्दे को हल करने में मदद नहीं करेगा. इसे 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है.’

बनर्जी ने कहा, ‘आयकर स्लैब में बदलाव से किसी की मदद नहीं होगी. इस बजट में आशा की कोई किरण नहीं है. यह एक खराब बजट है. मुझे आधा घंटा दें और मैं आपको दिखाऊंगी कि गरीबों के लिए बजट कैसे तैयार किया जाता है.’

आम आदमी के लिए नहीं यह प्रधानमंत्री मोदी के लिए ‘अमृत काल’ है: आप नेता संजय सिंह

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बजट की आलोचना में कहा कि यह दिल्ली वालों के साथ सौतेला व्यवहार करता है. दिल्ली वालों ने पिछले साल 1.75 लाख करोड़ से ज्यादा इनकम टैक्स दिया. उसमें से मात्र 325 करोड़ रुपये दिल्ली के विकास के लिए दिए. ये तो दिल्ली वालों के साथ घोर अन्याय है.

केजरीवाल ने एक के बाद एक किए गए सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, ‘इस बजट में मंहगाई से कोई राहत नहीं है. उल्टे इस बजट से मंहगाई बढ़ेगी. बेरोजगारी दूर करने के लिए कोई ठोस योजना नहीं है. शिक्षा बजट को 2.64 फीसदी से घटाकर 2.5 फीसदी करना दुर्भाग्यपूर्ण है. स्वास्थ्य बजट को 2.2 फीसदी से घटाकर 1.98 प्रतिशत करना हानिकारक है.’

वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) ने 2014 से प्रति व्यक्ति आय दोगुनी करने के केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के दावे पर बुधवार को सवाल उठाते हुए कहा कि यह देश के आम लोगों के लिए नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ‘अमृत काल’ है.

मोदी नीत सरकार की अब तक की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि 2014 से सरकार के प्रयासों ने सभी नागरिकों के लिए बेहतर जीवन स्तर और सम्मान का जीवन सुनिश्चित किया है. उन्होंने कहा कि प्रति व्यक्ति आय दोगुनी से अधिक बढ़कर 1.97 लाख रुपये हो गई है.

आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, ‘न फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ा. न नौजवानों को रोजगार मिला. लेकिन ये मोदी जी का अमृत काल है. निर्मला जी कह रहीं हैं, प्रतिव्यक्ति आय दोगुनी हो गई है. किसकी?’

आप नेता ने कहा कि बजट में देश के किसानों, सैनिकों और युवाओं के लिए कोई प्रावधान नहीं है. उन्होंने कहा, ‘बजट में किसी के लिए कोई प्रावधान नहीं है. आम लोग अमृत काल में, अमृत के लिए तरस रहे हैं.’

वित्त मंत्री द्वारा 50 अतिरिक्त हवाई अड्डों के नवीनीकरण के प्रस्ताव पर आप सांसद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष किया. सिंह ने ट्वीट में कहा, ‘मोदी जी 50 नए हवाई अड्डे बनाएंगे… देंगे किसको?’

आप के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने बजट को ‘बेहद कमजोर’ करार दिया और कहा कि ‘बिल्कुल भी समझदारी नहीं दिखाई गई.’

उन्होंने ट्वीट किया, ‘ऐसा लग रहा है कि बहुमत वाली सरकार के बजाय अल्पमत सरकार द्वारा बजट पेश किया गया है, जिसके हाथ बंधे हैं.’ चड्ढा ने आरोप लगाया कि मोदी नीत सरकार का ध्यान ‘सार्वजनिक भलाई के लिए सत्ता का इस्तेमाल करने के बजाय सत्ता को बनाए रखने’ पर ज्यादा है.

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि बजट ‘जुमला’ के अलावा और कुछ नहीं है और यह देश को कर्ज में डुबा देगा.

सिसोदिया दिल्ली के वित्त मंत्री भी हैं. उन्होंने कहा कि इस बजट से 15 लाख करोड़ रुपये का कर्ज बढ़ जाएगा.

उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हम सभी जानते हैं कि भाजपा ने ‘अच्छे दिन’ लाने जैसे वादे को ‘जुमला’ बना दिया है. भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र का बजट एक ‘जुमला’ के अलावा और कुछ नहीं है. हमने अतीत में ऐसे कई जुमले सुने हैं- जैसे बुलेट ट्रेन की शुरुआत या किसानों की आय दोगुनी करने या 60 लाख रोजगार सृजन करने का वादा.’

उन्होंने आरोप लगाया कि यह बजट देश को कर्ज में डुबा देगा. उन्होंने दावा किया कि 2014 तक केंद्र पर 53 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था और भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के लगातार दो कार्यकाल के दौरान देश पर 150 लाख करोड़ रुपये का कर्ज हो गया है और ‘यह बजट देश को 15 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त कर्ज में डूबा देगा.’

केंद्रीय बजट पूरी तरह से विफल, शब्दों की बाजीगरी: नेशनल कॉन्फ्रेंस

जम्मू कश्मीर की पार्टी नेशनल कांफ्रेंस बजट को ‘पूरी तरह से विफल’ और ‘शब्दों की बाजीगरी’ करार दिया.

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता तनवीर सादिक ने कहा, ‘यह शब्दों की बाजीगरी थी तथा बजट में और कुछ नहीं है. शब्दों और आंकड़ों से खेलने के अलावा, मुझे लगता है कि बजट पूरी तरह से विफल है.’

हाल में आयी ऑक्सफैम की एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में गरीब और गरीब तथा अमीर और अमीर हो गए हैं. उल्लेखनीय है कि रिपोर्ट में कहा गया था कि देश में 84 प्रतिशत परिवारों की आय में कमी आई है और अरबपतियों की संख्या 2020 के 102 से बढ़कर 2022 में 142 हो गई.

उन्होंने कहा, ‘मध्यम वर्ग और गरीबों को उम्मीद थी कि 80सी (आयकर अधिनियम की धारा) की सीमा बढ़ाई जाएगी, कर ‘स्लैब’ को बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया जाएगा. जम्मू कश्मीर के लिए बागवानी, कृषि, पर्यटन, परिवहन, कारीगरों पर कोई चर्चा नहीं हुई. यहां के लोगों को इस बजट से बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन इसमें कुछ भी नहीं है, बेरोजगारी या रोजगार (सृजन) के बारे में भी कुछ नहीं है.’

उन्होंने दावा किया कि बजट में गरीबों और मध्यम वर्ग के लिए कुछ भी नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘इस बजट की खास बात यह है कि इसे देश में एक महिला राष्ट्रपति रहने के दौरान एक महिला वित्त मंत्री द्वारा पेश किया गया. यह इसके बारे में एकमात्र अच्छी बात है.’

सादिक ने कहा कि जम्मू कश्मीर में हितधारकों के साथ बजट पूर्व कोई परामर्श नहीं किया गया. उन्होंने कहा, ‘इससे जाहिर होता है कि जम्मू कश्मीर में एक निर्वाचित सरकार कितनी महत्वपूर्ण है, जो कम से कम लोगों की भावनाओं को तो समझती है.’

आम बजट लोकोन्मुखी नहीं : महबूबा मुफ्ती

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया कि बजट लोकोन्मुखी नहीं है और इसे कुछ कारोबारियों के हितों को ध्यान में रखकर बनाया गया है.

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि वित्त मंत्री सीतारमण द्वारा पेश बजट वैसा ही है जैसा पिछले आठ-नौ वर्षों में भाजपा नीत सरकार द्वारा पेश किया गया था.

उन्होंने कहा, ‘करों में वृद्धि हुई है और कल्याणकारी योजनाओं या सब्सिडी मद में खर्च नहीं किया जा रहा है. करों को अपने करीबी पूंजीपतियों के लिए एकत्र किया जा रहा है. लगाए गए करों से लोगों को लाभ होना चाहिए लेकिन आम लोगों की कमर तोड़ दी गई है.’

पीडीपी नेता ने कहा, ‘लोगों को लाभ देने के बदले, कल्याणकारी योजनाओं और सब्सिडी को हटाया जा रहा है. देश में स्थिति ऐसी बन गई है कि जो लोग गरीबी रेखा से ऊपर आ गए थे, वे एक बार फिर गरीबी रेखा से नीचे चले गए हैं.’

उन्होंने आरोप लगाया कि यह बजट ‘कुछ कारोबारियों’’ के लिए तैयार किया गया है. उन्होंने कहा, ‘यह बजट भारत के लोगों की खातिर नहीं है, गरीबों की खातिर नहीं है.’

महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘यह लोकोन्मुखी बजट नहीं है. कर बढ़ाए गए हैं, जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) बढ़ा दिया गया है. गरीबों की जेब से पैसे निकाल कर बड़े व्यापारियों को दिए जाएंगे.’

केंद्रीय बजट में तमिलनाडु से भेदभाव किया गया: भाकपा

बजट को लेकर तमिलनाडु में मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिली और सत्तारूढ़ द्रमुक की सहयोगी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने दावा किया कि इसमें राज्य के साथ ‘भेदभाव’ किया गया है तथा घोषणाएं 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर की गई हैं.

कर्नाटक में स्थायी सूक्ष्म सिंचाई के लिए ऊपरी बद्रा परियोजना को दी जाने वाली 5,300 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता की घोषणा का जिक्र करते हुए भाकपा के प्रदेश सचिव आर. मुथरासन ने कहा कि केंद्र ने पड़ोसी राज्य को भारी धनराशि प्रदान करने की घोषणा की है, लेकिन तमिलनाडु को देय जीएसटी मुआवजा भी नहीं दिया है.

उन्होंने कहा कि यह तमिलनाडु के साथ राजनीतिक भेदभाव है.

वहीं, अम्मा मक्कल मुनेत्र कषगम (एएमएमके) के महासचिव टीटीवी दिनाकरन ने कहा कि बजट में स्वागतयोग्य और निराशाजनक दोनों तरह की चीजें हैं.

देश में आर्थिक असमानताओं को दूर करने के लिए बजट में कोई प्रयास नहीं: विजयन

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि बजट देश में बढ़ती आर्थिक असमानताओं को दूर करने का प्रयास नहीं करता.

विजयन ने बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह केवल कॉरपोरेट के बीच धन के संकेंद्रण को और मजबूत करता है.

मुख्यमंत्री ने एक बयान में यह भी विचार व्यक्त किया कि बजट में क्षेत्रीय रूप से संतुलित दृष्टिकोण नहीं अपनाया गया है.

उन्होंने यह भी कहा कि यह निराशाजनक है कि केरल में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) या राज्य में रेल विकास परियोजनाओं की लंबे समय से की जा रही मांग का बजट में कोई उल्लेख नहीं किया गया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)