अल्पसंख्यक छात्रों के लिए छात्रवृत्ति बहाल करने की कोई योजना नहीं है: केंद्रीय मंत्री

केंद्र सरकार ने मौलाना आज़ाद नेशनल फेलोशिप, अल्पसंख्यक छात्रों को दी जाने वाली प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति बंद कर दी थी, साथ ही विदेश में पढ़ाई हेतु लिए गए ऋण पर ब्याज में सब्सिडी देने वाली 'पढ़ो परदेस' योजना भी बंद कर दी गई थी. इसे लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार अपनी अल्पसंख्यक विरोधी नीति का ख़ुलेआम प्रदर्शन कर रही है, मानो कि वह कोई सम्मान की बात हो.

/
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी. (फोटो: पीटीआई)

केंद्र सरकार ने मौलाना आज़ाद नेशनल फेलोशिप, अल्पसंख्यक छात्रों को दी जाने वाली प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति बंद कर दी थी, साथ ही विदेश में पढ़ाई हेतु लिए गए ऋण पर ब्याज में सब्सिडी देने वाली ‘पढ़ो परदेस’ योजना भी बंद कर दी गई थी. इसे लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार अपनी अल्पसंख्यक विरोधी नीति का ख़ुलेआम प्रदर्शन कर रही है, मानो कि वह कोई सम्मान की बात हो.

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी ने गुरुवार को संसद को बताया कि कक्षा 1 से 8 तक के अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना, मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप (एमएएनएफ) योजना को बहाल करने या फिर से शुरू करने का कोई प्रस्ताव नहीं है.

गौरतलब है कि मंत्रालय ने पिछले साल के अंत में अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक नोटिस जारी किए थे, जिनमें एमएएनएफ और कक्षा 1 से 8 तक की प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप बंद करने की घोषणा की गई थी, जिसके पीछे तर्क दिया था कि ऐसा अन्य योजनाओं के साथ इन योजनाओं के ओवरलैप को रोकने के उद्देश्य से एक सुधार के रूप में किया गया है.

इस कदम ने अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों में नाराजगी को जन्म दिया और निर्णय के दीर्घकालिक प्रभाव पर कई सवाल उठा गए हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, लोकसभा में प्रस्तुत एक लिखित जवाब में मंत्री ने कहा, ‘प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत कवरेज को 2022-23 से संशोधित किया गया है और कक्षा 9 और 10 के लिए लागू किया गया है क्योंकि शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम-2009 प्रत्येक बच्चे के लिए प्रारंभिक शिक्षा (कक्षा 1 से 8 तक) मुफ्त और अनिवार्य बनाता है. यह संशोधन अन्य मंत्रालयों द्वारा लागू समान छात्रवृत्ति योजनाओं के साथ योजना का सामंजस्य बनाने के लिए भी किया गया है.’

उन्होंने कहा कि यह पाया गया है कि यूजीसी और सीएसआईआर की जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) योजना सभी श्रेणियों के छात्रों के लिए खुली है. इसके अलावा, अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा लागू अनुसूचित जाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए राष्ट्रीय फेलोशिप योजनाओं और जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा लागू अनुसूचित जनजातियों के लिए राष्ट्रीय फेलोशिप योजनाओं के तहत भी शामिल किया गया है.

उन्होंने कहा, ‘चूंकि एमएएनएफ योजना उच्च शिक्षा के लिए विभिन्न फेलोशिप योजनाओं के साथ ओवरलैप करती है, इसलिए सरकार ने 2022-23 से इसे बंद करने का फैसला किया है.’

एक अन्य सवाल के जवाब में कि क्या सरकार का प्रस्ताव अल्पसंख्यक छात्रों को विदेश में पढ़ने के लिए दी जाने वाली शिक्षा ऋण सब्सिडी वापस लेने का है, ईरानी ने कहा, ‘यह भी पाया गया है कि ‘पढ़ो परदेस योजना‘ के तहत लाभार्थियों को मिलने वाली ब्याज सब्सिडी का लाभ सीमित था और यह भी कि अन्य मंत्रालयों द्वारा चलाई जा रही समान योजनाओं के साथ इसका ओवरलैप हो रहा था, जो अल्पसंख्यक समुदाय के पात्र छात्रों के लिए भी लागू होती हैं. ओवरलैप, सीमित लाभ और कम ब्याज दर पर शिक्षा ऋण प्राप्त करने में आसानी को देखते हुए, 2022-23 से पढ़ो परदेश योजना को बंद करने का निर्णय लिया गया है.’

बीते माह बंद की गई ‘पढ़ो परदेस ब्याज सब्सिडी योजना’ के तहत अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों को विदेश में पढ़ाई हेतु लिए गए ऋण पर ब्याज में सब्सिडी दी जाती थी. 2006 में शुरू हुई यह योजना अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री के पंद्रह सूत्रीय कार्यक्रम का हिस्सा थी.

सरकार अपनी अल्पसंख्यक विरोधी नीति का खुलेआम प्रदर्शन कर रही: चिदंबरम

इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप रद्द करने के फैसले को लेकर शनिवार को केंद्र पर निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अपनी अल्पसंख्यक विरोधी नीति का खुलेआम प्रदर्शन कर रही है.

चिदंबरम ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा, ‘अल्पसंख्यक छात्रों के लिए मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप और विदेश में पढ़ने के वास्ते शैक्षिक कर्ज (एजुकेशन लोन) पर दी जाने वाली सब्सिडी रद्द करने के पीछे सरकार का बहाना पूरी तरह से तर्कहीन और मनमाना है.’

पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री ने पूछा कि ‘पहले से ही कई योजनाएं’ चलने की बात स्वीकार करने के बावजूद क्या अल्पसंख्यक छात्रों के लिए केवल यही फेलोशिप और सब्सिडी थी, जो अन्य योजना के जैसी थी.

चिदंबरम ने कहा, ‘मनरेगा, पीएम-किसान की तरह है. वृद्ध श्रमिकों के मामले में वृद्धावस्था पेंशन मनरेगा की तरह है. कई ऐसी दर्जनों योजनाएं हैं.’ उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अल्पसंख्यक छात्रों का जीवन अधिक मुश्किल बनाने के लिए अधिक तेजी से काम कर रही है.

कांग्रेस नेता ने ट्वीट किया, ‘सरकार अपनी अल्पसंख्यक विरोधी नीति का खुलेआम प्रदर्शन कर रही है, मानो कि वह कोई सम्मान की बात हो. शर्मनाक.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25