अडानी समूह में गौतम अडानी के भाई की भूमिका की जांच सेबी और ईडी करें: कांग्रेस

कांग्रेस ने 'हम अडानी के हैं कौन' श्रृंखला के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने रखे गए तीन सवालों में पूछा है कि विनोद अडानी उन वित्तीय प्रवाहों के केंद्र में हैं जो अडानी की परिसंपत्तियों के एक समूह से दूसरे समूह को ऋण देने के लिए उपयोग किए जाते हैं, क्या यह समग्र घटनाक्रम सेबी और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच के योग्य नहीं है?

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कांग्रेस के संवाददाता सम्मलेन में जयराम रमेश और अन्य पार्टी नेता. (स्क्रीनग्रैब साभार: ट्विटर/कांग्रेस)

कांग्रेस ने ‘हम अडानी के हैं कौन’ श्रृंखला के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने रखे गए तीन सवालों में पूछा है कि विनोद अडानी उन वित्तीय प्रवाहों के केंद्र में हैं जो अडानी की परिसंपत्तियों के एक समूह से दूसरे समूह को ऋण देने के लिए उपयोग किए जाते हैं, क्या यह समग्र घटनाक्रम सेबी और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच के योग्य नहीं है?

कांग्रेस के संवाददाता सम्मलेन में जयराम रमेश और अन्य पार्टी नेता. (स्क्रीनग्रैब साभार: ट्विटर/कांग्रेस)

नई दिल्ली: कांग्रेस ने 19 फरवरी 2023 को आरोप लगाया कि गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी विदेशी शेल कंपनियों के जरिये अडानी समूह की संपत्तियों में अरबों डॉलर का निवेश करते हैं और पूछा है कि क्या यह घटनाक्रम सेबी और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच के योग्य नहीं है.

कांग्रेस की ‘हम अडानी के हैं कौन’ श्रृंखला के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तीन सवाल पूछते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि अडानी समूह ने अपनी नापाक गतिविधियों में विनोद अडानी की केंद्रीय भूमिका के बारे में गलत बयानी की है.

मालूम हो कि अमेरिकी निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे, जिसके बाद समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि दो साल की जांच में पता चला है कि अडानी समूह दशकों से ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है.

अडानी समूह ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वह सभी कानूनों और सूचना सार्वजनिक करने संबंधी नीतियों को पालन करता है.

रमेश ने रविवार को ट्विटर पर प्रधानमंत्री से तीन सवालों के सेट को पोस्ट करते हुए कहा, ‘चीनी घुसपैठ की तरह अडानी महाघोटाले पर भी प्रधानमंत्री मोदी ‘मौनी बाबा’ बने हुए हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हम उनसे सवाल पूछना बंद कर दें.’

ट्विटर पर पोस्ट किए गए प्रधान मंत्री मोदी को संबोधित अपने बयान में, रमेश ने हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों का हवाला देते हुए दावा किया कि विनोद अडानी ‘विदेशी शैल संस्थाओं के एक ऐसे विशाल भंवरजाल पर नियंत्रण’ रखता है जिन्होंने सामूहिक रूप से अडानी की अनेक सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध और निजी संस्थाओं में अरबों डॉलर का निवेश, ऐसे सौदों में संबंधित पार्टी और सौदे की प्रकृति को उजागर किए बगैर किया है.

जयराम रमेश ने कहा, इन आरोपों पर 29 जनवरी के जवाब में अडानी समूह का कहना था कि ‘विनोद अडानी के पास अडानी समूह की किसी भी सूचीबद्ध संस्था या सहायक कंपनी में कोई प्रबंधकीय पद नहीं है और उनकी दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में उनकी कोई भूमिका नहीं है.’

कांग्रेस नेता ने अपने बयान में दावा किया, ‘अडानी समूह के विनोद अडानी से खुद को दूर रखने के दावों के बावजूद, बार-बार सार्वजनिक रूप से दायर दस्तावेजों में अडानी समूह ने विनोद अडानी को अपने समूह का एक अभिन्न अंग बताया है. उदाहरण के लिए, वर्ष 2020 में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में 400 करोड़ रुपये के ऋण निजी प्लेसमेंट के लिए दायर ज्ञापन में स्पष्ट रूप से ये कहा गया है: अडानी समूह से तात्पर्य एसबी अडानी फैमिली ट्रस्ट, अडानी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड, अडानी ट्रेडलाइन एलएलपी, गौतम अडानी, राजेश अडानी, विनोद ए. अडानी और ऐसी सभी कंपनियों और संस्थाओं से है जो अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप में, अलग-अलग या सामूहिक रूप में एसबी अडानी फैमिली ट्रस्ट या अडानी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड या अडानी ट्रेडलाइन एलएलपी या गौतम अडानी या राजेश अडानी या विनोद एस. अडानी द्वारा नियंत्रित की जा रही हैं.’

प्रधानमंत्री मोदी से सवाल करते हुए रमेश ने पूछा कि उनका ‘करीबी दोस्त निवेशकों और जनता से इतना झूठ क्यों बोल रहा है.’

रमेश ने पूछा, ‘क्या विभिन्न जांच एजेंसियां, जिन्हें आपने राजनीतिक दलों, मीडिया और आपके इशारों पर न चलने वाले व्यवसायियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए खुला छोड़ रखा है, क्या उनका प्रयोग कभी आपके उन पूंजीपति मित्रों के विरुद्ध भी किया जाएगा, जो रंगे हाथों पकड़े गए हैं?’

उन्होंने कहा कि पिछले साल 16 सितंबर को अडानी समूह ने घोषणा की कि अडानी परिवार ने, एंडेवर ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट लिमिटेड के माध्यम से अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड और एसीसी लिमिटेड के अधिग्रहण को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है.

रमेश ने कहा कि अधिग्रहण ने अडानी को भारत के दूसरे सबसे बड़े सीमेंट उत्पादक के पद पर पहुंचा दिया.

उन्होंने कहा, ‘अधिग्रहणकर्ता द्वारा सेबी में दायर दस्तावेजों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि ‘अधिग्रहणकर्ता का अंतिम लाभकारी स्वामित्व विनोद शांतिलाल अडानी और श्रीमती रंजनबेन विनोद अडानी के पास है.’ क्या अडानी समूह के लिए अब विनोद अडानी से दूरी बनाना हास्यास्पद झूठ नहीं है?’

रमेश ने आरोप लगाया, ‘एक ऑस्ट्रेलियाई जांच से पता चला है कि सिंगापुर में स्थित विनोद अडानी का पिनेकल ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट, ऑस्ट्रेलिया में अडानी समूह की कई संपत्तियों को नियंत्रित करता है. वर्ष 2020 में, पिनेकल ने रूस के वीटीबी बैंक के साथ 240 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो ऋण अब स्वीकृत हो चुका है और उसमें एक संबंधित पार्टी को 235 मिलियन डॉलर का ऋण दिया, जो फोर्ब्स पत्रिका के अनुसार संभवत:अडानी समूह से जुड़ी थी.’

उन्होंने पूछा, ‘क्या इससे यह स्पष्ट नहीं होता है कि विनोद अडानी उन वित्तीय प्रवाहों के केंद्र में हैं जो अडानी की परिसंपत्तियों के एक समूह से दूसरे समूह को ऋण देने के लिए उपयोग किए जाते हैं, जैसा कि हिंडनबर्ग द्वारा आरोप लगाया गया है? क्या यह समग्र घटनाक्रम सेबी और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच के योग्य नहीं है? ‘

कांग्रेस ने अडानी मामले की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग की है. विपक्षी दल ने बजट सत्र के पहले भाग के दौरान संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही भी ठप कर दी थी.

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