कानपुर: दक्षिणपंथी समूहों ने दो चर्चों को निशाना बनाया, ‘अवैध धर्मांतरण’ के आरोप में दो गिरफ़्तार

कानपुर के चकेरी में बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने दो चर्चों पर 'जबरन धर्मांतरण' का आरोप लगाया है, वहीं ईसाई समुदाय के जिन सदस्यों पर धर्म परिवर्तन के आरोप लगे हैं, उनके परिजनों का कहना है कि वे हिंदुत्व समूहों की लगातार प्रताड़ना से डर के साये में जीने को मजबूर हैं.

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कानपुर की चर्च में पहुंचे बजरंग दल और विहिप के सदस्य. (स्क्रीनग्रैब साभार: ट्विटर/हिंदुत्व वॉच)

कानपुर के चकेरी में बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने दो चर्चों पर ‘जबरन धर्मांतरण’ का आरोप लगाया है, वहीं ईसाई समुदाय के जिन सदस्यों पर धर्म परिवर्तन के आरोप लगे हैं, उनके परिजनों का कहना है कि वे हिंदुत्व समूहों की लगातार प्रताड़ना से डर के साये में जीने को मजबूर हैं.

कानपुर की चर्च में पहुंचे बजरंग दल और विहिप के सदस्य. (स्क्रीनग्रैब साभार: ट्विटर/हिंदुत्व वॉच)

नई दिल्ली: हाल ही में कानपुर की दो चर्चों को दक्षिणपंथी हिंदुत्व समूहों द्वारा निशाना बनाते हुए ईसाई समुदाय के सदस्यों पर जबरन धर्मांतरण का आरोप लगाया गया .

बीते शनिवार (4 मार्च) को अभिजीत नाम के एक शख्स ईसाई समुदाय के कई अन्य लोगों के साथ कानपुर के श्याम नगर में वर्ल्ड मिशन सोसाइटी, चर्च ऑफ गॉड में प्रार्थना कर रहे थे. बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कुछ लोगों के समूह ने सुबह करीब 11:30 बजे प्रार्थना बाधित की और यह दावा किया कि अभिजीत, रजत, जीवन, शिवांश, शीतल और राणा ‘लोगों का ईसाई धर्म में धर्मांतरण कर रहे थे.’

शनिवार को ही चर्च से छह लोगों को हिरासत में लिया गया, जिनमें से दो न्यायिक हिरासत में हैं. मामले को देख रहीं अधिवक्ता चंचल के अनुसार, शेष चार को कथित तौर पर शनिवार को कानपुर के चकेरी थाने में ‘अवैध रूप से हिरासत में’ लिया गया और सोमवार रात रिहा किया गया.

उन्होंने बताया, ‘अभिजीत और रजत न्यायिक हिरासत में हैं. राणा और अन्य को शनिवार को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया था और सोमवार की रात को रिहा कर दिया गया.’

स्थानीय लोगों के मुताबिक, 9 से 12 साल के नाबालिगों को थाने ले जाया गया. उन्होंने बताया कि पुलिस ने कुछ फोन वगैरह भी जब्त किए हैं.

चकेरी थाने के थाना प्रभारी ने अवैध तरीके से हिरासत में लेने के आरोप का खंडन किया है, हालांकि चंचल का कहना है कि यदि थाने में सीसीटीवी कैमरा लगे हैं, तो सच सामने आ जाएगा.

यह हमला ऐसे समय में सामने आया है, जब देश के पूर्व नौकरशाहों के समूह ने कुछ ही दिन पहले चिंता जताते हुए कहा था कि देश में ईसाई समुदाय के लोगों में डर पैदा कर उन पर धर्मांतरण के झूठे आरोप लगाते हुए निशाना बनाया जा रहा है.

उत्तर प्रदेश उन भाजपा शासित राज्यों में से एक है, जहां कड़े धर्मांतरण विरोधी कानून लाए गए हैं. आलोचकों के अनुसार, जिनका इस्तेमाल अंतरधार्मिक जोड़ों और लोगों के धर्म परिवर्तित करने के अधिकार के खिलाफ किया जा रहा है. अधिवक्ता चंचल ने भी कहा कि यूपी पुलिस कानून का दुरुपयोग कर रही है.

वकील के अनुसार, वर्ल्ड मिशन सोसाइटी, चर्च ऑफ गॉड साल 2010 में शुरू हुई थी और तबसे इसके खिलाफ किसी तरह की शिकायत दर्ज नहीं की गई.

विहिप और बजरंग दल कार्यकर्ताओं की शिकायत पर दर्ज एफआईआर में धारा 295ए (धार्मिक भावनाओं को भड़काने के इरादे से जान-बूझकर किया गया दुर्भावनापूर्ण कृत्य) के तहत आरोप लगाए गए हैं.

लिबू चर्च के क़ानूनी अधिकारी हैं, जो शनिवार को चर्च में हुए घटनाक्रम के चश्मदीद भी हैं. उन्होंने द वायर  को बताया कि समुदाय का एक गेट-टुगेदर चल रहा था, जब अचानक एक समूह पुलिस के साथ वहां पहुंचा.

उन्होंने बताया, ‘हमें लगा कि पुलिस इसलिए साथ आई है कि कोई मसला न खड़ा हो, लेकिन वो हम पर ही चिल्लाने लगे. न पुलिस और न ही बजरंग दल वालों ने हमारी सुनी. पुलिस चुपचाप खड़ी थी और बजरंग दल वाले हमसे सवाल-जवाब कर रहे थे, मानो कानून उनके हाथ में है.’

उन्होंने जोड़ा, ‘मुझे नहीं लगता कि यह देश अब रहने लायक रह गया है.’

हेमंत सेंगर विहिप के कार्यकर्ता और शिकायत दर्ज करवाने वालों में से एक हैं. द वायर  से फोन पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि उनके संगठन को एक स्थानीय व्यक्ति का फोन आया कि उस चर्च में स्कूल जाने वाले छात्रों का धर्म परिवर्तित करवाया जा रहा है.

यह पूछे जाने पर कि वे किस आधार पर यह आरोप लगा रहे हैं, उन्होंने कहा, ‘हमने उनसे लैपटॉप, कंप्यूटर और अलग-अलग भाषाओं की किताबें बरामद कीं. पुलिस अब मामले की जांच कर रही है.’ यह पूछे जाने पर कि किताबों और लैपटॉप की बरामदगी से धर्मांतरण के दावे का समर्थन कैसे हुआ, उन्होंने कहा, ‘ये सवाल पुलिस से पूछें’ और फोन काट दिया.

पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए अभिजीत मिडिल स्कूल के बच्चों के ट्यूटर है और उनके छात्रों के माता-पिता ने उनके खिलाफ कभी कोई शिकायत नहीं की है. उनमें से कुछ ने कहा कि अभिजीत को जेल भेजने की ‘साजिश’ की गई.

अभिजीत की मां कहती हैं कि यूपी पुलिस ने झूठा आरोप लगाया और छह निर्दोष लोगों को थाने ले गई. उन्होंने पुलिस से उन्हें तुरंत रिहा करने की गुहार लगाई है. उन्होंने कहा, ‘मेरा बेटा अभी 15 दिन पहले ही पिता बना है. वह एक पारिवारिक व्यक्ति है और मैं उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों से पूरी तरह असहमत हूं.’

यूपी पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए चार लोगों ने पुलिस यातना के डर से द वायर  से बात करने से इनकार कर दिया. वकील चंचल का दावा है कि हिरासत के दौरान उन्हें शनिवार से सोमवार रात तक प्रताड़ित किया गया.

एक अन्य चर्च पर हमला

इसी दौरान 5 मार्च को चकेरी के शिव कटरा, लाल बंगला में एक अन्य चर्च हिंद मसीह मंडली पर कथित तौर पर बजरंग दल के सदस्यों द्वारा हमला किया गया था. यहां भी चर्च पर ‘जबरन धर्म परिवर्तन’ करने का आरोप लगाया गया था.

पादरी और चर्च के अन्य सदस्यों को पुलिस हिरासत में लिया गया था, हालांकि, इसी रात उन्हें रिहा कर दिया गया. इस घटना के एक वायरल वीडियो में पुलिस और पुरुषों के एक समूह को कथित तौर पर चर्च में प्रवेश करते हुए देखा जा सकता जहां महिलाएं प्रार्थना कर रही थीं. उल्लेखनीय है कि बावजूद इसके पुलिस कार्रवाई के दौरान कोई महिला पुलिसकर्मी मौजूद नहीं थी.

पादरी संघ उत्तर प्रदेश के प्रमुख जितेंद्र ने राज्य में ईसाइयों के भविष्य के लिए गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि लक्षित हमले दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं. जितेंद्र ने कहा कि वह लगातार डर में जी रहे हैं क्योंकि उन्हें कई बार दक्षिणपंथी समूहों से ‘चेतावनी’ मिली है.

उन्होंने द वायर  को बताया कि भाजपा के एक सदस्य ने सैंकड़ों लोगों के साथ उनकी चर्च- न्यू इंडिया चर्च ऑफ गॉड को घेर लिया था और लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने का आरोप लगाया था. जितेंद्र ने कहा, ‘बाद में भाजपा नेता ने मुझसे यह दावा करते हुए कि ईसाइयों को बाहर से बहुत पैसा मिलता है, पैसे मांगे.’

उनका कहना है कि उन्होंने भाजपा नेता के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा देश में लागू नहीं किया जा रहा है.

उधर, ईसाई समुदाय स्थानीय मीडिया कवरेज से भी निराश हैं क्योंकि वे अभिजीत, रजत और अन्य को दोषी करार दे रहे हैं.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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