खेती के लिए गोबर आधारित उत्पादों के विपणन में केंद्र गोशालाओं की मदद करे: नीति आयोग

नीति आयोग की एक रिपोर्ट में सिफ़ारिश की गई है कि केंद्र गोशालाओं को पूंजी सहायता के माध्यम से मदद करे, ताकि वे कृषि में अनुप्रयोगों के लिए गाय के गोबर और गोमूत्र-आधारित फॉर्मूलों का विपणन कर सकें.

(प्रतीकात्मक फोटो: द वायर/श्रुति जैन)

नीति आयोग की एक रिपोर्ट में सिफ़ारिश की गई है कि केंद्र गोशालाओं को पूंजी सहायता के माध्यम से मदद करे, ताकि वे कृषि में अनुप्रयोगों के लिए गाय के गोबर और गोमूत्र-आधारित फॉर्मूलों का विपणन कर सकें.

(प्रतीकात्मक फोटो: द वायर/श्रुति जैन)

नई दिल्ली: नीति आयोग द्वारा तैयार एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार, निजी कंपनियों और उद्यमियों के ठोस प्रयासों के जरिये गोशालाएं देश में प्राकृतिक खेती के लिए सामग्री की प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन सकती हैं.

द हिंदू की खबर के मुताबिक, ‘गोशालाओं की आर्थिक व्यवहार्यता में सुधार पर विशेष ध्यान देने के साथ जैविक और जैव उर्वरकों का उत्पादन और प्रचार’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि केंद्र गोशालाओं को पूंजी सहायता के माध्यम से मदद करे, ताकि वे कृषि में अनुप्रयोगों के लिए गाय के गोबर और गोमूत्र-आधारित फॉर्मूलों का विपणन कर सकें.

नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद की अध्यक्षता वाले एक कार्यबल द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट शुक्रवार (10 मार्च) को नई दिल्ली में जारी की गई.

रिपोर्ट जारी करते हुए प्रोफेसर चंद ने कहा कि कृषि की स्थिरता के लिए फसल और पशुधन का एकीकरण आवश्यक है. उन्होंने कहा, ‘भारत में कृषि इस एकीकृत दृष्टिकोण पर आधारित थी, लेकिन हरित क्रांति के बाद हम इस संतुलन को कायम नहीं रख सके.’

उन्होंने आगे कहा कि रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से मिट्टी के पोषक तत्वों में असंतुलन आ गया है.

उन्होंने कहा, ‘देर से ही सही कृषि रसायनों को कम करने या उनकी जगह कुछ और इस्तेमाल करने का एहसास बढ़ रहा है. परिणामस्वरूप, प्राकृतिक खेती और जैविक खेती की ओर रुझान है, जहां अकार्बनिक उर्वरक और कृषि रसायनों के स्थान पर पशुधन खाद, पौधे आधारित उत्पादों, जैव इनपुट और गोमूत्र एवं गाय के गोबर से बने उत्पादों का इस्तेमाल किया जाता है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘कार्यबल ने महसूस किया कि गोशालाएं प्राकृतिक खेती और जैविक खेती को बढ़ावा देने में काफी मदद कर सकती हैं. इस प्रकार गोशालाओं और प्राकृतिक खेती को बढ़ाना देने के लिए पूरक निर्माण किए जा सकते हैं.’

रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया गया है कि गाय आश्रय स्थल देश के कई हिस्सों में आवारा पशुओं की समस्या का समाधान कर सकते हैं, जो फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि आवारा और त्याग दिए गए मवेशियों की संख्या उस स्तर पर पहुंच गई है, जिसमें उनकी देखभाल व भरण-पोषण के लिए मौजूदा गोशालाओं में उपलब्ध संसाधन कम पड़ गए हैं.

रिपोर्ट में प्राकृतिक एवं टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने के लिए इस तरह के पशु धन की क्षमता का उपयोग करने का सुझाव दिया गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि गाय के गोबर आधारित जैविक उर्वरकों का इस्तेमाल अनुच्छेद 48 के तहत संवैधानिक जनादेश को भी पूरा करेगा, जिसमें कहा गया है कि सरकार मवेशियों की नस्लों के संरक्षण व सुधार के लिए कदम उठाएगी और गाय एवं बछड़ों तथा अन्य दुधारू एवं वाहक मवेशियों के वध पर रोक लगाएंगी.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25