केंद्र ने संसद में बताया- नौ राज्यों ने सीबीआई को दी गई आम सहमति वापस ली

दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना क़ानून, 1946 के अनुसार, सीबीआई को अपने न्यायाधिकार क्षेत्र में जांच के लिए संबंधित राज्य सरकारों से स्वीकृति लेने की ज़रूरत होती है. अब तक छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल, मेघालय, मिज़ोरम, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल ने एजेंसी को दी गई आम सहमति वापस ली है.

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New Delhi: Central Bureau of Investigation (CBI) logo at CBI HQ, in New Delhi, Thursday, June 20, 2019. (PTI Photo/Ravi Choudhary)(PTI6_20_2019_000058B)
(फोटो: पीटीआई)

दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना क़ानून, 1946 के अनुसार, सीबीआई को अपने न्यायाधिकार क्षेत्र में जांच के लिए संबंधित राज्य सरकारों से स्वीकृति लेने की ज़रूरत होती है. अब तक छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल, मेघालय, मिज़ोरम, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल ने एजेंसी को दी गई आम सहमति वापस ली है.

New Delhi: Central Bureau of Investigation (CBI) logo at CBI HQ, in New Delhi, Thursday, June 20, 2019. (PTI Photo/Ravi Choudhary)(PTI6_20_2019_000058B)
(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह में गुरुवार को संसद में बताया कि अब तक नौ राज्यों ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को जांच के लिए दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली है.

एनडीटीवी के अनुसार, उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को सूचित किया कि दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन (डीएसपीई) अधिनियम, 1946 की धारा 6 के अनुसार, सीबीआई को अपने न्यायाधिकार क्षेत्र में जांच करने के लिए संबंधित राज्य सरकारों से स्वीकृति लेने की आवश्यकता होती है. अगर आम सहमति वापस ले ली जाती है तो एजेंसी को कोई मामला दर्ज करने के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है.

चूंकि सीबीआई के पास केवल केंद्र सरकार के विभागों और कर्मचारियों पर अधिकार क्षेत्र है, यह राज्य सरकार के कर्मचारियों या किसी राज्य में हिंसक अपराध से संबंधित मामले की जांच तभी कर सकती है, जब संबंधित सरकार इसकी सहमति देती है.

अगर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट सीबीआई को जांच के लिए मामले सौंपते हैं तो ऐसे मामलों में स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होती है.

मंत्री ने कहा कि नौ राज्यों- छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल, मेघालय, मिजोरम, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल ने मामलों की जांच के लिए सीबीआई को दी गई आम सहमति वापस ली है.

ज्ञात हो कि अक्टूबर 2020 में उद्धव ठाकरे नीत महाविकास अघाड़ी सरकार ने सीबीआई से जांच के लिए आम सहमति वापस ले ली थी. सरकार ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार राजनीतिक बदले के लिए जांच एजेंसी का दुरुपयोग कर रही है.

हालांकि, एकनाथ शिंदे गुट  भाजपा के गठबंधन वाली सरकार ने बीते साल अक्टूबर में आम सहमति बहाल कर दी थी.

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