ईडी निदेशक के तीसरे सेवा विस्तार पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा- क्या कोई और योग्य नहीं है?

बीते वर्ष नवंबर में केंद्र सरकार ने ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाया था, जबकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही उन्हें और सेवा विस्तार न देने को कह चुका था. इसके ख़िलाफ़ कई याचिकाओं पर सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र से यह भी पूछा कि 2023 के बाद एजेंसी का क्या होगा, जब मिश्रा रिटायर हो जाएंगे.

संजय कुमार मिश्रा. (फोटो साभार ट्विटर/IRS Association)

बीते वर्ष नवंबर में केंद्र सरकार ने ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाया था, जबकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही उन्हें और सेवा विस्तार न देने को कह चुका था. इसके ख़िलाफ़ कई याचिकाओं पर सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र से यह भी पूछा कि 2023 के बाद एजेंसी का क्या होगा, जब मिश्रा रिटायर हो जाएंगे.

संजय कुमार मिश्रा. (फोटो साभार ट्विटर/IRS Association)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक संजय कुमार मिश्रा को दिए गए तीसरे सेवा विस्तार के बारे में केंद्र से सवाल किया और आश्चर्य जताया कि क्या ‘कोई एक व्यक्ति इतना जरूरी हो सकता है.’

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली पीठ ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता से सवाल किया, ‘क्या संगठन में कोई दूसरा व्यक्ति नहीं है जो उनका काम कर सके? क्या एक व्यक्ति इतना जरूरी हो सकता है?’

पीठ ने पूछा, ‘आपके मुताबिक, ई़डी में कोई और व्यक्ति नहीं है जो सक्षम हो? 2023 के बाद एजेंसी का क्या होगा, जब वे रिटायर हो जाएंगे?’

पीठ में जस्टिस विक्रम नाथ और संजय करोल भी शामिल हैं.

शीर्ष अदालत मिश्रा को 2021 के एक आदेश के बावजूद दिए गए सेवा विस्तार को चुनौती देने वाली याचिकाओं के समूह पर सुनवाई कर रही है. उक्त आदेश में शीर्ष अदालत ने ही कहा था कि 1984 बैच के भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी को नवंबर 2021 से आगे सेवा विस्तार नहीं मिलना चाहिए.

मामले पर पीठ द्वारा सवालों की झड़ी तब लग गई जब एसजी मेहता ने कहा कि ग्लोबल टेरर फाइनेंसिंग वॉचडॉग- फायनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) द्वारा भारत के पीअर रिव्यू से पहले नेतृत्व में निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए विस्तार की आवश्यकता थी. यह रिव्यू इस साल आयोजित होने की उम्मीद है.

मेहता ने कहा कि सेवा विस्तार एक विशेष व्यक्ति को पसंद करने के चलते नहीं दिया गया था, बल्कि एफएटीएफ की समीक्षा के दौरान देश के प्रदर्शन को लेकर चिंता थी, जहां शीर्ष पर बैठे शख्स के लिए मिश्रा जैसे अनुभवी व्यक्ति की जरूरत थी.

मेहता ने कहा, ‘यह किसी एक व्यक्ति विशेष के लिए प्रेम नहीं था, बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के सीमा पार निहितार्थ हैं. एफएटीएफ का पीअर रिव्यू 10 वर्षों में एक बार होता है. एफएटीएफ के साथ बातचीत करने वाला व्यक्ति उनसे तालमेल बिठाने के उपयुक्त होता है. जब आप विश्व निकायों के साथ काम कर रहे हों तो कभी-कभी निरंतरता की आवश्यकता होती है. हमारे देश का प्रदर्शन (समीक्षा में) सर्वोपरि था. यह हमारा मसला नहीं है कि वह जरूरी हैं.’

हालांकि , पीठ ने कहा कि वह केवल अपने पहले के आदेश के उल्लंघन को लेकर चिंतित है. इसने कहा, ‘इस अदालत ने साफ तौर पर कहा था कि यदि विस्तार दिया जाना है तो यह छोटी अवधि के लिए होना चाहिए. इस अदालत के समक्ष प्रतिवादी (मिश्रा) के मामले में हमने स्पष्ट किया था कि आगे कोई विस्तार नहीं दिया जाना चाहिए. आपको इस तर्क पर खरा उतरना होगा.’

मेहता ने तर्क दिया कि विस्तार देने का निर्णय केंद्र सरकार का नहीं, बल्कि सीवीसी का है जिसे अपने कामकाज में उच्च स्तर की स्वतंत्रता प्राप्त है.

जब मेहता की दलीलें अनिर्णायक रहीं, तो अदालत ने सोमवार को मामले की अगली सुनवाई तय कर दी.

गौरतलब है कि 61 वर्षीय मिश्रा 1984 बैच के आयकर कैडर में भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी हैं और उन्हें पहली बार 19 नवंबर 2018 को एक आदेश द्वारा दो साल की अवधि के लिए ईडी निदेशक नियुक्त किया गया था.

बाद में 13 नवंबर 2020 के एक आदेश द्वारा नियुक्ति पत्र को केंद्र सरकार द्वारा पूर्व प्रभाव से संशोधित किया गया और दो साल के उनके कार्यकाल को तीन साल के कार्यकाल में बदल दिया गया.

केंद्र के 2020 के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई थी, जिसने विस्तार आदेश को बरकरार रखा था, लेकिन साथ ही यह कहा था कि मिश्रा को आगे कोई विस्तार नहीं दिया जा सकता है.

जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट किया था कि सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त कर चुके अधिकारियों के कार्यकाल का विस्तार दुर्लभ और असाधारण मामलों में किया जाना चाहिए. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया था कि मिश्रा को आगे कोई सेवा विस्तार नहीं दिया जा सकता है.

हालांकि, सरकार ने नवंबर 2021 में दो अध्यादेश जारी किए जिसमें कहा गया था कि ईडी और सीबीआई के निदेशकों का कार्यकाल अब दो साल के अनिवार्य कार्यकाल के बाद तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है.

अध्यादेशों में कहा गया है कि दोनों मामलों में, निदेशकों को उनकी नियुक्तियों के लिए गठित समितियों की मंजूरी के बाद तीन साल के लिए एक साल का विस्तार दिया जा सकता है, जिसके बाद मिश्रा को एक साल का सेवा विस्तार दिया गया था.

केंद्र ने उन्हें 17 नवंबर 2021 से 17 नवंबर 2022 तक दूसरा विस्तार दिया था. इसके बाद अदालत में याचिका दायर की गई थी. इस रिट याचिका के लंबित रहने के दौरान, मिश्रा को 18 नवंबर 2022 से 18 नवंबर 2023 तक के लिए तीसरा विस्तार दे दिया गया.

बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत कार्य करता है.

उल्लेखनीय है कि संजय कुमार मिश्रा विपक्ष के नेताओं के खिलाफ कई मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों को भी देख रहे हैं. 2020 में उनके सेवा विस्तार के समय द वायर  ने एक रिपोर्ट में बताया था कि कम से कम ऐसे सोलह मामले, जो विपक्ष के विभिन्न दलों के नेताओं से जुड़े हुए थे, मिश्रा की अगुवाई में ईडी उनकी जांच कर रही है.

सुप्रीम कोर्ट कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला, जया ठाकुर और तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा एवं अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है.

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