दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के ख़िलाफ़ ‘साक्ष्य की कमी’ की ख़बरों का खंडन करने वाले ट्वीट हटाए

समाचार एजेंसी एएनआई द्वारा रिपोर्ट किए जाने के बाद कि दिल्ली पुलिस के पास भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ़्तार करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं थे, पुलिस ने ट्वीट कर कहा था कि यह ‘गलत’ समाचार है. बाद में इसने ट्वीट को डिलीट कर दिया.

बृजभूषण शरण सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक)

समाचार एजेंसी एएनआई द्वारा रिपोर्ट किए जाने के बाद कि दिल्ली पुलिस के पास भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ़्तार करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं थे, पुलिस ने ट्वीट कर कहा था कि यह ‘गलत’ समाचार है. बाद में इसने ट्वीट को डिलीट कर दिया.

बृजभूषण शरण सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने बीते बुधवार (31 मई) को समाचार एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट का खंडन करते हुए ट्वीट किया कि पुलिस के पास यौन उत्पीड़न के आरोपी भाजपा सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं थे, लेकिन बाद में इसे हटा दिया गया.

बुधवार दोपहर पुलिस द्वारा किए गए ट्वीट के अनुसार, ‘कई मीडिया चैनल ऐसी खबरें चला रहे हैं कि दिल्ली पुलिस को (सिंह) के खिलाफ दर्ज मामलों में पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं. यह स्पष्ट करना है कि यह खबर ‘गलत’ है.’

एएनआई ने बताया था कि बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं होने के अलावा उनके मामले में जांच अधिकारी उन्हें गिरफ्तार करने में असमर्थ होंगे, क्योंकि उन पर यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 (पॉक्सो) के तहत लगाए गए आरोप में सात साल से कम की सजा का प्रावधान है.

समाचार एजेंसी ने दिल्ली पुलिस गुमनाम सूत्रों के हवाले से कहा, ‘न तो (वह) गवाह को प्रभावित कर रहे हैं और न ही (वह) सबूत नष्ट कर रहा हैं.’

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, ट्वीट के अलावा दिल्ली पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) ने पत्रकारों के लिए बनाए गए एक वॉट्सएप ग्रुप में भी ऐसा ही मैसेज साझा किया था, लेकिन (दिल्ली पुलिस का) ट्वीट डिलीट होने के बाद इस मैसेज भी डिलीट कर दिया गया.

इसके बाद वॉट्सऐप ग्रुप में हिंदी में भेजे गए एक मैसेज में पीआरओ ने कहा, ‘महिला पहलवानों द्वारा दायर मामले अभी भी विचाराधीन हैं. उक्त मामलों में जांच को लेकर कोर्ट के समक्ष स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की जा रही है. चूंकि मामलों की जांच चल रही है, इसलिए अदालत में रिपोर्ट दाखिल करने से पहले कुछ भी कहना प्रक्रिया के खिलाफ होगा.’

बृजभूषण शरण सिंह पर एक नाबालिग सहित कई महिला एथलीटों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप है. आरोप लगाने वालों में विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता विनेश फोगाट के साथ ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया शामिल हैं.

सिंह ने आरोपों से इनकार किया है और बुधवार को कहा कि अगर उनके खिलाफ एक भी आरोप साबित हुआ तो वह ‘खुद को फांसी पर लटका लेंगे’.

28 मई को साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और अन्य पहलवानों को दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया था, जब उन्होंने जंतर मंतर रोड पर अपने धरने के 35वें दिन नए संसद भवन तक मार्च करने का प्रयास किया था. उन पर सुरक्षा बलों के साथ झड़प के बाद दंगा करने का आरोप लगाया गया था.

उस दिन नए संसद भवन का उद्घाटन किया गया था और बृजभूषण शरण सिंह समारोह में शामिल हुए थे.

बीते 30 मई को कुश्ती के लिए अंतरराष्ट्रीय निकाय यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) ने कहा था कि वह बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पहलवानों की गिरफ्तारी और अस्थायी हिरासत की निंदा करता है. संगठन द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया था कि वह ‘अब तक हुई जांच के नतीजे न आने से निराश है.’

मालूम हो कि बीते जनवरी महीने में पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन शुरू किया था.

कई हफ्तों के विरोध के बाद बीते 23 जनवरी को मामले की जांच के लिए केंद्रीय खेल मंत्रालय के आश्वासन और ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाज मैरी कॉम की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन के बाद पहलवानों ने अपना धरना खत्म कर दिया था.

इस दौरान बृजभूषण को महासंघ के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारियों से अलग कर दिया गया था.

हालांकि कोई कार्रवाई न होने के बाद बीते 23 अप्रैल को बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक समेत अन्य पहलवानों ने अपना प्रदर्शन दोबारा शुरू कर दिया.

सात दिनों के विरोध के बाद बीते 28 अप्रैल को सिंह के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गई है. इनमें से एक यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत और दूसरी महिला के शील भंग का प्रयास से संबंधित है.

इससे पहले दिल्ली पुलिस द्वारा एफआईआर न दर्ज करने का आरोप लगाते हुए खिलाड़ी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे, जिसने 25 अप्रैल को उनकी याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था.

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