‘एक खिलाड़ी ने पीएम से बृजभूषण द्वारा उत्पीड़न की शिकायत की थी, पर उन्होंने कुछ नहीं किया’

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा और कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने पहलवानों की शिकायत पर बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ दर्ज एफआईआर का कथित हिस्सा साझा करते हुए कहा है कि 2021 में एक पहलवान ने सिंह द्वारा उत्पीड़न के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताया था, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बृजभूषण शरण सिंह (दाएं) और जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के दौरान पहलवान साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट, संगीता फोगाट. (फोटो साभार: पीआईबी/ट्विटर/फेसबुक )

तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा और कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने पहलवानों की शिकायत पर बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ दर्ज एफआईआर का कथित हिस्सा साझा करते हुए कहा है कि 2021 में एक पहलवान ने सिंह द्वारा उत्पीड़न के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताया था, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बृजभूषण शरण सिंह (दाएं) और जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के दौरान पहलवान साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट, संगीता फोगाट. (फोटो साभार: पीआईबी/ट्विटर/फेसबुक )

नई दिल्ली: कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए सवाल किया है कि सरकार भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को क्यों बचा रही है, जिन पर पहलवानों के उत्पीड़न का आरोप है और जिसके बारे में  पहलवानों ने प्रधानमंत्री को बताया था.

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्विटर पर कथित तौर पर बृजभूषण के खिलाफ दर्ज एफआईआर के एक हिस्से को साझा करते हुए कहा है कि शिकायतकर्ता पहलवान ने भाजपा सांसद के बर्ताव के बारे में उन्हें (प्रधानमंत्री को) बताया था, जिन्होंने उनका साथ देने की बात कही थी. लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया.

मोइत्रा ने लिखा है, ‘माननीय प्रधानमंत्री, एक पहलवान की एफआईआर के एक हिस्से में स्पष्ट रूप से यह जिक्र किया गया है कि वह आपसे मिली थीं और उन्होंने सांसद द्वारा किए जा रहे दुर्व्यवहार के बारे में आपको बताया. आपने उन्हें पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया था. पर आपने कुछ नहीं किया.’

महुआ ने इसके आगे अंग्रेजी कवि जॉर्ज गॉर्डोन बायरन की कविता की कुछ पंक्तियां लिखकर रोष जाहिर किया है.

एफआईआर का जो कथित हिस्सा मोइत्रा ने साझा किया है, उसमें लिखा है, ‘आरोपी संख्या 1 (भाजपा सांसद और कुश्ती महासंघ अध्यक्ष) ने अपने करीबी सहयोगियों के साथ मिलकर मेरा नाम भारत के माननीय प्रधानमंत्री से मिलने के लिए निर्धारित ओलंपियनों के प्रतिनिधिमंडल की सूची से हटा दिया. 17 अगस्त, 2021 को हुई ओलंपियनों के प्रतिनिधिमंडल की बैठक से बाहर किए जाने के बाद मुझे प्रधानमंत्री कार्यालय से फोन आया और बताया गया कि माननीय प्रधानमंत्री चाहते हैं कि मैं वहां मौजूद रहूं.’

शिकायतकर्ता ने आगे कहा है, ‘इस तरह के अनुरोध के बाद मैं श्री नरेंद्र मोदी से मिली और उनसे मिलने के बाद मेरे मन से भारत के लिए न खेल पाने संबधी नकारात्मक विचार और आरोपी नंबर 1 और उनके करीबी सहयोगियों द्वारा दिए गए मानसिक कष्ट के कारण आत्महत्या की सोच निकल गई. मैंने माननीय प्रधानमंत्री को आरोपी नंबर 1 और उसके सहयोगियों द्वारा मेरे और अन्य महिला पहलवानों के साथ बार-बार किए जाने वाले यौन, भावनात्मक, शारीरिक ट्रॉमा के बारे में भी बताया. प्रधानमंत्री ने मुझे आश्वस्त किया कि खेल मंत्रालय इस तरह की शिकायतों पर गौर करेगा और मुझे जल्द ही खेल मंत्रालय से फोन आएगा.’

टेलीग्राफ के अनुसार, एफआईआर में महिला ने आगे कहा है कि बृजभूषण को अपने ‘सूत्रों’ के जरिये प्रधानमंत्री को की गई शिकायत के बारे में मालूम चल गया. इसके कुछ समय बाद उनके नाम कुश्ती महासंघ द्वारा उन्हें भेजा गया एक कारण बताओ नोटिस वापस ले लिया गया. लेकिन कुछ ही समय बाद फिर से उनका मानसिक उत्पीड़न और अपमान किया जाने लगा.

कांग्रेस ने भी उठाया सवाल 

इसी कथित एफआईआर का हवाला देते हुए कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने सवाल किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तो 2021 से ही सब मालूम था. फिर वे बृजभूषण सिंह को संरक्षण क्यों दे रहे हैं.

एक टीवी चैनल के डिबेट में भी उन्होंने इस सवाल को दोहराया. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘बृजभूषण सिंह के ख़िलाफ़ यौन शोषण के गंभीर आरोपों के बारे में पीएम मोदी को 2021 से पता था. वो चुप क्यों रहे? बेटियों के बजाय आरोपी को संरक्षण क्यों दिया? दिल्ली पुलिस जो पीड़िताओं का नाम पूछने राहुल जी के पास तो आ धमकी थी, मोदी जी से पूछताछ कब करेगी?’

इससे पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी बृजभूषण के खिलाफ एफआईआर में उल्लिखित आरोपों का विवरण देते वाली मीडिया रिपोर्ट साझा करते हुए ट्विटर पर लिखा था, ‘नरेंद्र मोदी जी, इन गंभीर आरोपों को पढ़ें और देश को बताएं कि आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई है.’

ज्ञात हो कि शुक्रवार को इंडियन एक्सप्रेस द्वारा एक रिपोर्ट में बृजभूषण के खिलाफ दर्ज दो एफआईआर में शिकायतकर्ता महिलाओं के आरोपों का विवरण प्रकाशित किया गया था. महिलाओं ने बताया है कि बृजभूषण ने एक पदक विजेता को ज़बरदस्ती गले लगाया था, एक अन्य खिलाड़ियों को ग़लत तरह से छाती पर छुआ और विरोध करने पर धमकाया था. पदक विजेता पहलवान ने यह भी बताया है कि उन्हें ‘सप्लीमेंट्स’ दिलाने के एवज में सिंह ने यौन संबंध की मांग की थी.

उल्लेखनीय है कि शिकायतों का यह ब्योरा ऐसे समय में सामने आया है जब सरकार के मंत्री प्रदर्शन कर रहे पहलवानों से दिल्ली पुलिस की जांच पर भरोसा करने की बात कह रहे हैं.

बृजभूषण शरण सिंह पर एक नाबालिग सहित कई महिला एथलीटों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप है. आरोप लगाने वालों में पदक विजेता विनेश फोगाट के साथ ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया शामिल हैं.

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद बीते 28 अप्रैल को सिंह के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गई है. सिंह ने आरोपों से इनकार किया है और बीते बुधवार को कहा कि अगर उनके खिलाफ एक भी आरोप साबित हुआ तो वह ‘खुद को फांसी पर लटका लेंगे’. इस बीच भाजपा सांसद के समर्थन में संतों ने पॉक्सो कानून को हल्का करने के लिए संशोधन की भी मांग की है.

ज्ञात हो कि बीते मंगलवार (30 मई) को महीने भर से अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे पहलवानों ने सरकार के रवैये से क्षुब्ध होकर अपने पदक गंगा में प्रवाहित करने की बात कही थी. वे इसी दिन हरिद्वार के हर की पौड़ी घाट भी पहुंचे थे, हालांकि किसान नेताओं द्वारा उन्हें कठोर कदम न उठाने के लिए मनाने के बाद पहलवानों ने अपने पदक गंगा में सिराने का फैसला बदल दिया.

किसान नेताओं ने उनकी शिकायतों को दूर करने के लिए पांच दिन का समय भी मांगा है. इसी दिन पहलवानों ने इंडिया गेट पर अनिश्चितकालीन आमरण अनशन की भी घोषणा की थी, लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें वहां प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी है.

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