अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह ​विवाद: ज्यूरी के एक और सदस्य का इस्तीफा

मंत्रालय के फैसले से पैनोरमा में दिखायी जाने वाली फिल्मों के निर्देशक भी नाराज़. कहा महोत्सव का बहिष्कार करने की बजाए हिस्सा लेकर करेंगे फैसले का विरोध.

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मंत्रालय के फैसले से पैनोरमा में दिखायी जाने वाली फिल्मों के निर्देशक भी नाराज़. कहा महोत्सव का बहिष्कार करने की बजाए हिस्सा लेकर करेंगे फैसले का विरोध.

IFFI
(फोटो साभार: फेसबुक)

मुंबई: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के भारतीय पैनोरमा खंड से दो फिल्मों को हटाने के फैसले के बाद शुरू हुआ विवाद और बढ़ गया जब पैनोरमा के लिए फिल्मों का चयन करने वाली निर्णायक समिति के सदस्य अपूर्व असरानी के इस्तीफे के बाद एक और सदस्य ने इस्तीफा दे दिया है.

48वें फिल्मोत्सव का आयोजन 20 से 28 नवंबर के बीच गोवा में होगा. पटकथा लेखक अपूर्व असरानी और सुजॉय घोष के बाद फिल्मकार ज्ञान कोरिया ने भी अपना इस्तीफा दे दिया.

गौरतलब है कि केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने 13 सदस्यीय निर्णायक समिति की सिफारिशों को खारिज करते हुए मलयाली फिल्म एस. दुर्गा और मराठी फिल्म न्यूड को भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के 48वें संस्करण से हटा दिया था.

पैनोरमा के लिए फिल्मों का चयन करने वाली समिति ने इन दोनों फिल्मों का भी चयन किया था. एस. दुर्गा के निर्देशक सनल कुमार शशिधरन ने कोरिया के समिति से हटने की जानकारी दी.

इससे पहले फिल्मकार सुजॉय घोष ने को कहा था कि वह इंडियन पैनोरमा की निर्णायक समिति का अध्यक्ष पद छोड़ रहे हैं.

वहीं पटकथा लेखक अपूर्व असरानी ने एक बयान में कहा, ‘मैं निर्णायक समिति के अध्यक्ष के साथ हूं. कुछ बेहद खरी और ईमानदार फिल्मों के प्रति हमारी भी कुछ जिम्मेदारी है और कहीं न कहीं उसे निभाने में हम असफल हुए हैं. मेरा ज़मीर गोवा में होने वाले महोत्सव में शामिल होने की इजाजत नहीं देगा.’

संपर्क किए जाने पर अलीगढ़ फिल्म के पटकथा लेखक ने पुष्टि की कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है लेकिन कहा कि वह इसके बारे में ज्यादा बात नहीं करना चाहते. वहीं एस दुर्गा के निर्देशक शशिधरन ने मंत्रालय और आईएफएफआई के अधिकारियों के खिलाफ केरल उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल की थी.

उन्होंने फेसबुक पर डाले गए एक पोस्ट में कोरिया के समिति से इस्तीफा देने की पुष्टि की. शशिधरन ने लिखा, मुझे पता चला है कि आईएफएफआई की निर्णायक समिति के सदस्य फिल्मकार ज्ञान कोरिया ने भी इस्तीफा दे दिया. निराशा के दौर में उम्मीद की किरणें दिख रही हैं.

मंत्रालय के फैसले से पैनोरमा में दिखायी जाने वाली फिल्मों के निर्देशक भी नाराज हैं. पैनोरमा खंड में दिखायी जाने वाली फिल्म मुरम्बा के निर्देशक नितिन वैद्य ने दोनों फिल्मों को हटाने के मंत्रालय के फैसले को मनमाना और निंदनीय करार दिया.

वैद ने कहा, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के रवि जाधव की फिल्म न्यूड और शशिधरन की फिल्म एस. दुर्गा को गोवा में आयोजित किए जाने वाले आईएफएफआई के भारतीय पैनोरमा से हटाना का फैसला मनमाना, दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है. सरकार को तत्काल इस फैसले को वापस लेना चाहिए.

निर्देशक ने कहा कि दोनों फिल्मों का चयन एक प्रतिष्ठित निर्णायक समिति ने किया था. उन्होंने कहा, यह साफ तौर पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दमन का मामला है और साथ ही इससे तमाम चुनौतियों के बावजूद क्षेत्रीय सिनेमा में फल फूल रही रचनात्मकता भी प्रभावित होती है.

बहिष्कार की बजाए शामिल होकर करेंगे विरोध

वैद ने कहा कि महोत्सव का बहिष्कार करने की बजाए वे महोत्सव में ही फैसले का विरोध करेंगे. पैनोरमा में शामिल कासव फिल्म से जुड़े लोग भी विरोध करने की योजना बना रहे हैं.

निर्णायक समिति के कई सदस्यों ने भी मंत्रालय के फैसले पर नाराजगी जतायी. निर्णायक समिति की सदस्य फिल्म निर्देशक रुचि नारायण ने बीते मंगलवार कहा था कि वह घोष के इस्तीफा देने के फैसले का सम्मान करती हैं.

उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से बात करते हुए कहा, ‘मैं उन दो फिल्मों को बाहर करने से निराश हूं जो बेहद प्रशंसित हैं. यह निराशाजनक है कि उन्हें हटा दिया गया. हमने सूची बनाने से पहले तीन हफ्ते बैठकर 153 फिल्में देखी थीं.

वहीं निर्णायक समिति में शामिल अभिनेत्री-फिल्मकार सतरूपा सान्याल ने कहा कि समिति के प्रमुख घोष को दोनों फिल्मों को हटाने की जानकारी दी जानी चाहिए थी.

हालांकि समिति के एक और सदस्य मशहूर फिल्मकार राहुल रवैल का हालांकि अलग रुख है. उन्होंने कहा कि मंत्रालय को फिल्म हटाने का अधिकार है.

उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा, ‘हमें 20 फिल्मों का चयन करने के लिए कहा गया था और दो स्टैंड बाई फिल्में भी चुननी थीं. इसलिए हमने 20 फिल्में और दो स्टैंड बाई फिल्में चुनीं. उन्होंने दो फिल्में हटा दीं और स्टैंड बाई पर रखी गयीं दो फिल्मों को पैनोरमा में शामिल कर लिया. इसलिए अंतत: 20 फिल्में हैं लेकिन सभी को निर्णायक समिति ने ही मंजूरी दी है.’

रवैल ने कहा कि उन्हें दोनों फिल्मों को हटाने के मंत्रालय के फैसले की जानकारी दी गयी थी लेकिन वह यह नहीं जानते कि समिति के दूसरे सदस्यों को यह जानकारी मिली थी या नहीं.

इस बीच सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से इस विवाद को लेकर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गयी है.

सूत्रों की मानें तो मंत्रालय ने फिल्मों के सार्वजनिक प्रदर्शन की अनुमति देने संबंधी दिशा-निर्देशों और फिल्म महोत्सवों के लिये फिल्मों की प्रमाणन नीति के मानकों का पालन नहीं होने के आधार पर इस फिल्म को आईएफएफआई में प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी.

नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि आईएफएफआई में स्क्रीनिंग के लिये फिल्म सेक्सी दुर्गा नाम से भेजी गयी थी, जबकि फिल्म को सेंसर बोर्ड द्वारा एस. दुर्गा नाम से प्रदर्शन की अनुमति दी गयी थी.

इसके मद्देनजर मंत्रालय ने दिशा निर्देश के नियम छह और फिल्म प्रमाणन कानून की धारा 12 के तहत फिल्म के नाम को धार्मिक भावनायें आहत करने वाला और आपत्तिजनक मानते हुये इसे महोत्सव में प्रदर्शित की जाने वाली फिल्मों की सूची में शामिल नहीं किया.

अधिकारी ने बताया यह विवाद कुछ लोगों की साजिश का हिस्सा है जो अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर पैदा किया गया है. इसका मकसद फिल्म महोत्सवों में गैर सेंसर फिल्मों के प्रदर्शन की अनुमति देने के स्वागतयोग्य पहल को विवादों में लाकर प्रभावहीन बनाना है.

सूची से बाहर की गयी दूसरी फिल्म न्यूड के बारे में आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस फिल्म का आवेदन आईएफएफआई के नियमों के मानकों पर तकनीकी रूप से अधूरा पाया गया. इस कारण इसे सूची में स्थान नहीं मिल सका.

पर्रिकर ने कहा, न्यूड फिल्म के पास सेंसर बोर्ड का प्रमाणपत्र नहीं

आईएफएफआई के भारतीय पैनोरमा खंड से दो फिल्मों को हटाने से शुरू हुए विवाद के बीच गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि उनमें से एक फिल्म को सेंसर बोर्ड से प्रमाणपत्र नहीं मिला है.

ज्ञात हो कि पर्रिकर गोवा में 20 से 28 नवंबर के बीच आयोजित किए जा रहे 48वें फिल्मोत्सव के आयोजन से जुड़ी नोडल एजेंसी इंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ गोवा के प्रमुख हैं.

13 सदस्यीय निर्णायक समिति की सिफारिशों को नजरअंदाज करते हुए मंत्रालय के दो फिल्मों को सूची से बाहर करने के बाद निर्णायक समिति के तीन सदस्य इस्तीफा दे चुके हैं. उनमें समिति के प्रमुख फिल्मकार सुजॉय घोष, दो सदस्य – पटकथा लेखक अपूर्व असरानी और फिल्मकार ज्ञान कोरिया शामिल हैं.

पर्रिकर ने पणजी में कहा, ‘मुझे सूचना मिली है कि न्यूड एक पूर्ण फिल्म नहीं है. इसें सेंसर बोर्ड से प्रमाणपत्र नहीं मिला है, इसलिए हम इसे आईएफएफआई में नहीं दिखा सकते. हम सेंसरशिप प्रमाणपत्र के बिना फिल्म नहीं दिखा सकते.’

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा, ‘एस. दुर्गा को महोत्सव से हटाने का फैसला किसी समुदाय की भावनाओं को आहत करने से बचने के लिए लिया गया. फिल्म मामी, मुंबई और केरल फिल्मोत्सव सहित दो फिल्म महोत्सवों का हिस्सा थी लेकिन वहां उसे कुछ काट-छांट के साथ दिखाया गया था ताकि भावनाएं आहत करने से बचा जा सके. इसे आईएफएफआई में बिना किसी काट छांट के भेजा गया.’

पर्रिकर ने कहा कि फिल्मोत्सव के नियमों के अनुसार काट-छांट के साथ कोई फिल्म नहीं दिखायी जा सकती.

विवाद के बाद भी न्यूड के निर्देशक हैं आशावान

मराठी फिल्मकार रवि जाधव ने कहा कि उनकी फिल्म न्यूड को जब अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के भारतीय पैनोरमा खंड से हटाया गया तो उन्हें लगा कि जैसे किसी ने उन्हें थप्पड़ मारा हो.

फिल्म निर्देशक ने कहा कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा मलयालम फिल्म एस. दुर्गा और मराठी फिल्म न्यूड को हटा लेने का फैसला बेहद निराशाजनक है.

उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है, ‘पिछले कुछ दिनों से जो हो रहा है वह बेहद निराश करने वाला है. इस फिल्म में एक खास दृश्य में एक कलाकार को तमाचा पड़ता है, दुर्भाग्य से मैं पर्दे के उसी कलाकार की तरह महसूस कर रहा हूं जिसे थप्पड़ पड़ता है.’

उन्होंने कहा, इसके बावजूद अन्य कलाकारों की तरह मैं भी आशावादी बना हुआ हूं.

बैंजो (2016) और टाइमपास (2014) जैसी फिल्मों का निर्देशन करने वाले जाधव ने विवाद के बाद न्यूड का टीजर ऑनलाइन पोस्ट किया. फिल्म में एक महिला के संघर्ष की कहानी दिखाई गई है जो मुंबई में एक नग्न मॉडल के तौर पर छिप कर काम करती है.

जाधव ने आईएफएफआई की निर्णायक समिति, मीडिया और मनोरंजन जगत के अपने दोस्तों के प्रति भी आभार प्रकट किया जो उनके समर्थन में सामने आए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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