साल 2016 में दिल्ली में हर रोज 11 महिलाओं का अपहरण हुआ

राजधानी में पिछले साल दर्ज अपहरण के 6,707 मामलों में से 75 फीसदी से ज्यादा महिलाओं से जुड़े थे, हर रोज औसतन दो बच्चों का यौन उत्पीड़न हुआ.

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(इलस्ट्रेशन: एलिज़ा बख़्त)

राजधानी में पिछले साल दर्ज अपहरण के 6,707 मामलों में से 75 फीसदी से ज्यादा महिलाओं से जुड़े थे, हर रोज औसतन दो बच्चों का यौन उत्पीड़न हुआ.

Crime against Women Aliza Bakht The Wire
इलस्ट्रेशन: एलिज़ा बख़्त

नई दिल्ली: एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) की ओर से सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत दायर अर्जी पर मिले जवाब से खुलासा हुआ है कि पिछले साल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हर रोज औसतन 11 महिलाओं के अपहरण हुए हैं.

दिल्ली में अपराध और पुलिसिंग की स्थिति पर अपनी रिपोर्ट में प्रजा फाउंडेशन ने कहा कि 2016 में शहर में दर्ज अपहरण के 50 फीसदी से ज्यादा मामले महिलाओं से जुड़े हुए थे.

एनजीओ ने कहा कि पिछले साल दर्ज अपहरण के 6,707 मामलों में से 4,101 मामलों में महिलाएं पीड़ित थीं. इसके अलावा, अपहरण के 75 फीसदी से ज्यादा मामले महिलाओं से जुड़े हुए थे. रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल दर्ज अपहरण के 699 मामलों में से 524 में महिलाएं पीड़ित थीं.

साल 2015 में दिल्ली में 7,937 मामले दर्ज किए गए थे. इनमें से 792 मामले बालिग लोगों के अपहरण से जुड़े हुए थे और कुल मामलों के 52.78 फीसदी में महिलाएं पीड़ित शामिल थीं. एनजीओ की रिपोर्ट से यह भी खुलासा हुआ कि पिछले साल राष्ट्रीय राजधानी में हर रोज औसतन दो बच्चों का यौन उत्पीड़न हुआ.

महिलाओं से छेड़खानी की सबसे ज्यादा घटनाएं दिल्ली में

प्रजा फाउंडेशन ने कहा कि यह आंकड़ा दिखाता है कि इस शहर में बच्चे कितने असुरक्षित हैं. एनजीओ ने कहा कि पिछले साल बलात्कार के कुल 2,181 मामले दाखिल किए गए थे, उनमें से 977 मामले यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण कानून पॉक्सो के तहत दर्ज किए गए थे.

पिछले साल की तुलना में 2015 में बलात्कार के 2,338 मामले दर्ज किए गए थे जिनमें से 1,149 में पीड़ित नाबालिग थे. एनजीओ ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि दिल्ली में पिछले साल महिलाओं से छेड़खानी की सबसे ज्यादा घटनाएं हुईं.

प्रजा फाउंडेशन ने अपने श्वेत-पत्र में कहा कि पिछले साल छेड़खानी के 3,969 मामले दर्ज किए गए जिनमें 590 मामले दक्षिण दिल्ली में सामने आए. साल 2015 में दक्षिण जिला में छेड़खानी के 485 मामले सामने आए थे. साल 2014 में यह संख्या 862 थी.

साल 2015 की तुलना में पिछले साल मध्य, बाहरी, नई दिल्ली, उत्तर, दक्षिण, दक्षिण-पूर्व जिलों में छेड़खानी की घटनाएं बढ़ीं. साल 2016 में 11 ऐसे मामले दिल्ली हवाई अड्डे पर दर्ज किए गए थे.

दिल्ली महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं है

गैर सरकारी संगठन एनजीओ प्रजा फाउंडेशन के एक श्वेत पत्र के अनुसार लगभग 60 प्रतिशत लोगों का मानना है कि दिल्ली महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं है.

दिल्ली में अपराध और पुलिस की स्थिति पर आधारित यह श्वेत पत्र एक सर्वेक्षण पर आधारित है जिसमें 24,301 लोगों को शामिल किया गया.

इसमें कहा गया कि 50 प्रतिशत लोग राष्ट्रीय राजधानी में खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करते. जबकि मुंबई में मात्र 17 प्रतिशत लोग खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करते. दिल्ली में महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा की स्थिति और भी खराब है.

लगभग 57 प्रतिशत पीड़ित पुलिस में रिपोर्ट नहीं करते

लगभग 60 प्रतिशत लोग यह नहीं मानते कि राष्ट्रीय राजधानी में महिलाएं, बच्चें और वरिष्ठ नागरिक सुरक्षित हैं. मुंबई के 25 प्रतिशत निवासियों के अपने शहर के बारे में इसी तरह के विचार थे.

श्वेत पत्र के अनुसार लगभग 57 प्रतिशत लोग दिल्ली में यात्रा के दौरान खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करते है. इनमें से 63 प्रतिशत लोगों ने उत्तरपूर्व दिल्ली में यात्रा के बारे में यह आशंका जाहिर की.

दिल्ली में अपराध के लगभग 57 प्रतिशत पीड़ित पुलिस में मामले की रिपोर्ट नहीं करते हैं. श्वेत पत्र के अनुसार दिल्ली में इस सर्वेक्षण में शामिल हुए कुल 24,301 लोगों में से 15 प्रतिशत को चोरी, हत्या आदि घटनाओं का सामना करना पड़ा जबकि मुंबई में केवल पांच प्रतिशत लोग अपराधों के शिकार बने.

दिल्ली में इनमें से 43 प्रतिशत लोगों ने अपराध की घटनाओं के बारे में पुलिस को सूचित किया जबकि 76 प्रतिशत पुलिस बलों की प्रतिक्रिया से असंतुष्ट थे. मुंबई में सर्वे में शामिल लगभग आधे लोग पुलिस की प्रतिक्रिया से खुश थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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