केंद्र ने हाईकोर्ट से कहा, ग़रीबी के कारण भीख मांगना अपराध नहीं है

केंद्र सरकार ने कहा कि अगर ग़रीबी के कारण भिक्षावृत्ति की जा रही हो तो उसे अपराध नहीं माना जाना चाहिए.

/
Suman, a nine-year-old nomad girl from Rajasthan, with her face painted in colours to attract commuters, looks at the camera as she begs for alms at a traffic junction in Noida on the outskirts of New Delhi October 13, 2011. REUTERS/Parivartan Sharma/File Photo

केंद्र सरकार ने कहा कि अगर ग़रीबी के कारण भिक्षावृत्ति की जा रही हो तो उसे अपराध नहीं माना जाना चाहिए.

Suman, a nine-year-old nomad girl from Rajasthan, with her face painted in colours to attract commuters, looks at the camera as she begs for alms at a traffic junction in Noida on the outskirts of New Delhi October 13, 2011. REUTERS/Parivartan Sharma/File Photo
दिल्ली में भीख मांगते हुए एक नौ साल की बच्ची. (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट से कहा कि भिक्षावृत्ति अगर गरीबी के कारण की जा रही हो तो उसे अपराध नहीं माना जाना चाहिए. न्यायालय ने इससे पहले आश्चर्य जताया था कि कोई व्यक्ति मजबूरी में ही भीख मांगता है या अपनी इच्छा से भी ऐसा करता है.

केंद्र का यह पक्ष उन दो जनहित याचिकाओं पर सामने आया जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में भिक्षुकों के लिए मूल मानवीय एवं मौलिक अधिकारों की मांग की गई और भिक्षावृत्ति को अपराध नहीं मानने की बात कही गई है.

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की एक पीठ ने पूछा, कोई व्यक्ति मजबूरी में ही भीख मांगता है या अपनी इच्छा से भी? क्या आपने किसी को देखा है जो अपनी इच्छा से भीख मांगता हो?

केंद्र सरकार ने एक हलफनामा देकर कहा कि वर्तमान में 20 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों ने या तो अपने खुद के भिक्षावृत्ति-निरोधक कानून लागू किए हुए हैं या दूसरे राज्यों द्वारा लागू कानूनों को अपनाया है.

केंद्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता अनिल सोनी के माध्यम से दाखिल हलफनामे में कहा गया, भिक्षावृत्ति से संबंधित किसी भी कानून में बदलाव के लिए संबंधित राज्य सरकारों के नजरिये को समझाने की जरूरत होगी.

इसमें कहा गया कि भीख मांगने को तब अपराध नहीं माना जाना चाहिए जब कोई गरीबी के कारण ऐसा करता हो हालांकि यह पता लगाने के लिए कि कोई मजबूरी में ऐसा कर रहा है या इच्छा से या उसे जबरन इसमें धकेला गया है, उसे हिरासत में लेना जरूरी हो जाता है.

केंद्र ने याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज करने की अपील की कि इनपर अमल मुमकिन नहीं है और कहा, ऐसे व्यक्तियों की गिरफ्तारी और जांच के बाद ही उनके भीख मांगने के पीछे के कारणों का पता चल सकता है. इसलिए, बॉम्बे भिक्षावृत्ति निरोधक अधिनियम की धाराओं में उल्लेखित हिरासत में लेने का प्रावधान जरूरी है. अदालत ने मामले की सुनवाई अगले वर्ष नौ जनवरी के लिए तय की है.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq