नॉर्थ ईस्ट डायरी: कोर्ट ने नागरिक रजिस्टर के मसौदे का प्रकाशन समय बढ़ाने की मांग ठुकराई

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, असम, मेघालय, नगालैंड, मिज़ोरम और मणिपुर के प्रमुख समाचार.

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(फोटो: पीटीआई/nrcassam.nic.in)

इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, असम, मेघालय, नगालैंड, मिज़ोरम और मणिपुर के प्रमुख समाचार.

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नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने असम के लिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनपीआर) का मसौदा प्रकाशित करने की समय सीमा बढ़ाने का केंद्र सरकार का अनुरोध बीते 30 नवंबर को ठुकरा दिया. सरकार ने इसके लिए समय सीमा निर्धारित करने को कार्यपालिका के कार्यक्षेत्र में अतिक्रमण करार दिया था.

शीर्ष अदालत ने कहा कि 31 दिसंबर को मध्य रात्रि बीतने के बाद दो करोड़ 38 लाख दावों से संबंधित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का मसौदा प्रकाशित किया जाएगा. यह रजिस्टर राज्य में गैरकानूनी शरणार्थियों की पहचान के लिए तैयार किया जा रहा है.

न्यायलय ने कहा कि वह तीन साल से राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को अद्यतन करने की प्रक्रिया की निगरानी कर रहा है और अब इस मामले को कार्यपालिका की महज निष्क्रियता की वजह से ही खींचा जा रहा है.

न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आरएफ नरिमन की पीठ द्वारा समय सीमा बढ़ाने का केंद्र का अनुरोध ठुकराए जाने के बाद पीठ के सदस्यों और अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल के बीच इस मुद्दे को लेकर वाक युद्ध भी देखने का मिला.

पीठ ने समय सीमा बढ़ाने का केंद्र का अनुरोध ठुकराते हुए कहा, ‘31 दिसंबर, 2017 की मध्य रात्रि को समय सीमा खत्म होने पर दो करोड़ दावों, जिनका सत्यापन हो चुका है या उस तारीख तक हो जाने की संभावना है, और 38 लाख अतिरिक्त दावों के बारे में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का मसौदा प्रकाशित किया जाएगा.’

न्यायालय ने इसके साथ ही इस मामले को 20 फरवरी, 2018 को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया.

न्यायमूर्ति नरिमन ने जब अटॉर्नी जनरल से जानना चाहा कि यदि समय सीमा बढ़ा दी गयी तो क्या इसका मतलब यह होगा कि केंद्र फिर इसे बढ़ाने का अनुरोध कर सकता है, वेणुगोपाल ने कहा कि यह कार्यपालिका का काम है और यदि जरूरत हुई तो और समय देने का अनुरोध किया जा सकता है और इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के मसौदे के प्रकाशन की तारीख निर्धारित करना वास्तव में कार्यपालिका का काम है ओर इस संबंध में न्यायालय के आदेश का तात्पर्य कार्यपालिका के कार्यक्षेत्र में अतिक्रमण और अधिकारों को अलग करने के सिद्धांत का उल्लंघन होगा.

इस पर पीठ ने कहा, ‘न्यायालय के समक्ष पहली बार दी गई दलील इस तथ्य को नज़रअंदाज़ करती है कि पिछले तीन साल से न्यायालय इस मामले की निगरानी कर रहा है और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को अद्यतन करने की कवायद को चरणबद्ध तरीके से पूरा करने के लिये उचित समय सीमा निर्धारित करती रही है.’

न्यायालय ने कहा कि 13 जुलाई को सुनवाई के दिन, जब 31 दिसंबर, 2017 की तारीख मसौदे के प्रकाशन के लिए निर्धारित की गई थी, यह दलील नहीं दी गई थी जो आज पेश की जा रही है. पीठ ने कहा कि इसके अलावा कार्यपालिका अपनी निष्क्रियता की वजह से इस मामले को तीन साल से खींच रही है.

इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि रजिस्टर के मसौदे के आंशिक प्रकाशन से कानून व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है क्योंकि लोगों का एक बड़ा वर्ग यह समझेगा कि उनके नाम निकाल दिए गए हैं. लेकिन न्यायालय इस तर्क से सहमत नहीं हुआ.

एनआरसी मुद्दा: उच्चतम न्यायालय ने असम सरकार को लगाई फटकार

इससे पहले बीते 29 नवंबर को उच्चतम न्यायालय ने एक सामान्यीकरण वाला बयान देने को लेकर असम सरकार की खिंचाई की. दरअसल, राज्य सरकार ने कहा था कि प्रदेश की 15 फीसदी आबादी आदिवासी है जिन्होंने आधुनिकीकरण में हिस्सा नहीं लिया और मुख्यधारा से अलग हैं.

शीर्ष न्यायालय ने कहा कि यह राज्य सरकार की ओर से एक खतरनाक बयान है और यह ना ही लोगों के लिए, ना ही सरकार के लिए सही है क्योंकि 15 फीसदी आबादी एक बड़ा हिस्सा है.

न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आरएफ नरिमन की सदस्यता वाली एक पीठ ने कहा, आप सामान्यीकरण करते हुए बयान दे रहे हैं. आप सरकार हैं. आप ऐसा कैसे कह सकते हैं आप यह खतरनाक बयान दे रहे हैं कि 15 फीसदी आबादी आदिवासी है और वे लोग मुख्यधारा में नहीं हैं.

दरअसल, असम सरकार के वकील ने इस मुद्दे का जिक्र किया कि राज्य में  नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) के प्रकाशन और अद्यतन की जारी प्रक्रिया में सरकार इन लोगों को आगे लाने की कोशिश कर रही है. इसके बाद न्यायालय की यह टिप्पणी आई.

अवैध प्रवासियों की पहचान करने के लिए एनआरसी तैयार की जा रही है.

गौरतलब है कि असम के लिए 1951 के एनआरसी को अद्यतन किया जा रहा. इस सिलसिले में राज्य और केंद्र सरकार तथा ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (आसू) के बीच एक त्रिपक्षीय समझाौता हुआ था ताकि 1985 के असम समझौते को लागू किया जा सके.

शीर्ष न्यायालय को इससे पहले बताया गया था कि कि 22 नवंबर की तारीख तक एनआरसी में शामिल करने के लिए कुल 3.29 करोड़ दावे किए गए.

सुनवाई के दौरान जब असम सरकार के वकील ने अदालत से कहा कि वे आदिवासियों के मुद्दे पर एक हलफनामा दाखिल करेंगे, इस पर पीठ ने कहा, कब हम विषय को समाप्त कर रहे हैं.

इस बीच, शीर्ष न्यायालय ने याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया.  इनमें वे याचिकाएं भी हैं जिनके ज़रिये इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा गया है कि राज्य के मूल बाशिंदे कौन हैं.

एनआरसी का मसौदा 31 दिसंबर को या इससे पहले प्रकाशित किए जाने की ज़रूरत है.

एनआरसी के प्रकाशन से असम में फैल सकती है अशांति: केंद्र सरकार

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बीते 28 नवंबर को उच्चतम न्यायालय में कहा कि राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स के प्रकाशन की प्रक्रिया से असम में अशांति फैल सकती है क्योंकि इस कवायद में लाखों लोगों की नागरिकता जा सकती है.

सरकार ने कहा कि मसौदा एनआरसी को संशोधित करने के लिए शीर्ष अदालत ने 31 दिसंबर, 2017 की समयसीमा निर्धारित की है और इसके प्रकाशन से राज्य में कानून व्यवस्था की गंभीर समस्या पैदा हो सकती है.

अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने विरोध प्रदर्शनों के दौरान जान माल को नुकसान के लिए जवाबदेही तय करने से संबंधित एक और मामले में दलील देते हुए यह बात कही.

अरुणाचल प्रदेश: 88 छात्राओं को कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया

इटानगर: अरुणाचल प्रदेश में एक गर्ल्स स्कूल की 88 छात्राओं को तीन शिक्षकों ने सज़ा के तौर पर कथित तौर पर अपने कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया. दरअसल, इन छात्राओं ने प्रधानाध्यापक के खिलाफ कथित तौर पर अश्लील शब्द लिखे थे.

पुलिस ने बताया कि पापुम पारे जिला में तनी हप्पा न्यू सागली स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की छठी और सातवीं कक्षा की 88 छात्राओं को 23 नवंबर को इस सज़ा का सामना करना पड़ा.

हालांकि, यह मामला 27 नवंबर को प्रकाश में आया, जब पीड़िताओं ने ऑल सांगली स्टूडेंट्स यूनियन (एएसएसयू) से संपर्क किया, जिसने फिर स्थानीय पुलिस के पास एक प्राथमिकी दर्ज कराई.

शिकायत के मुताबिक दो सहायक शिक्षकों और एक जूनियर शिक्षक ने 88 छात्राओं को अन्य छात्राओं के सामने अपने कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया. दरअसल, इन छात्राओं के पास से कागज मिला था जिस पर प्रधानाध्यापक और एक छात्रा के खिलाफ अश्लील शब्द लिखे थे.

जिले के पुलिस अधीक्षक तुम्मे अमो ने छात्र संगठन एएसएसयू द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराए जाने की बीते 29 नवंबर को पुष्टि की. उन्होंने बताया कि मामला यहां महिला पुलिस थाना को सौंप दिया गया है.

महिला थाने की प्रभारी ने बताया कि पीड़िताओं और उनके माता-पिता के साथ साथ शिक्षकों से पूछताछ की जाएगी.

अरुणाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने इस घटना की निंदा की और कहा कि शिक्षकों की ऐसी जघन्य हरकत छात्राओं को प्रभावित कर सकते हैं.

इसने एक बयान में कहा कि किसी बच्चे की गरिमा से छेड़छाड़ करना कानून और संविधान के खिलाफ है.

अरुणाचल प्रदेश: चीन से होते हुए भारत आने वाली सियांग नदी हुई प्रदूषित

चीन की सियांग नदी अरुणाचल प्रदेश में आकर ब्रह्मपुत्र नदी कहलाती है. (फोटो साभार: यूट्यूब)
चीन की सियांग नदी अरुणाचल प्रदेश में आकर ब्रह्मपुत्र नदी कहलाती है. (फोटो साभार: यूट्यूब)

नई दिल्ली: चीन से होते हुए भारत के अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करने वाली सियांग नदी (ब्रह्मपुत्र) के जल का रंग काला होने की खबरों को गंभीरता से लेते हुए सरकार नदी जल के प्रदूषित होने और उससे जुड़े विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करा रही है.

प्रारंभिक अध्ययन में तिब्बत में भूकंप के कारण नदी के मार्ग में बाधा उत्पन्न होने की बात सामने आई है जिससे नदी का जल गंदा दिख रहा है.

जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने समाचार एजेंसी भाषा से कहा, ‘सियांग नदी अरुणाचल प्रदेश से होते हुए असम के डिब्रूगढ़ में प्रवेश करती है, जहां से उसे ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है. नदी में प्रदूषण फैलने, रंग में परिवर्तन आने की कुछ खबरें आई हैं. केंद्रीय जल आयोग पिछले 2-3 दिनों से इसका अध्ययन करा रहा है. हमारे कुछ लोग अंदर तक के इलाकों में गए हैं.’

उन्होंने कहा कि प्रारंभिक रूप से जो बातें हमारे समक्ष आई हैं, उसके आधार पर हम अभी सिर्फ यही कह सकते हैं कि 17 नवंबर को तिब्बत में उच्च तीव्रता का भूकंप आया था, इसके बाद से ही नदी के मार्ग में अस्थायी बाधा उत्पन्न हो गई है. ऐसी अधिक संभावना है कि इसके प्राकृतिक कारण हो सकते हैं. इस बारे में अध्ययन जारी है और जल्द ही हम कोई अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचेंगे.

उल्लेखलीय है कि अरुणाचल प्रदेश के पाशीघाट में वर्षों से साफ जल देनी वाली सियांग नदी (ब्रह्मपुत्र) को अरुणाचल की जीवनरेखा माना जाता है लेकिन पिछले कुछ समय से इसके पानी का रंग काला हो जाने से स्थानीय निवासी परेशान है.

नदी के पानी में अब बड़ी मात्रा में मिट्टी, कीचड़ और गंदगी दिख रही है . सियांग नदी तिब्बत में यारलंग जांगबो के नाम से बहती है. असम में आकर यह ब्रह्मपुत्र कहलाती है.

अरुणाचल प्रदेश से कांग्रेस के सांसद नीनांग एरिंग ने इस बारे में कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा था. एरिंग ने अपने पत्र में लिखा कि पिछले दो महीने से सियांग नदी का जल काला दिख रहा है, इसके पानी में बड़ी मात्रा में गाद मिलकर बह रही है. यह अस्वभाविक है और नदी जल के प्रदूषित होने के कारणों का पता नहीं चल पाया है.

सांसद ने अपने पत्र में लिखा कि मैंने संसद में इस विषय के प्रश्नकाल में और नियम 377 के तहत उठाने का निर्णय किया है और इस दिशा में पहल की है. ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि चीन अपने क्षेत्र में जिंगजियांग प्रांत से तकलीमकान रेगिस्तान में पानी ले जाने की पहल कर रहा है. इसके तहत प्रयोग के तौर पर वह यून्नान प्रांत में 600 किलोमीटर की एक सुरंग बना रहा है जिसके माध्यम से नदी के जल को मोड़ा जा सकेगा.

एरिंग ने कहा कि आपसे आग्रह है कि देशहित में इस विषय पर तत्काल एवं गंभीरता से कार्रवाई की जाए.

बहरहाल, ऐसी रिपोर्ट आई है कि नदी का पानी इस्तेमाल करने के योग्य नहीं रह गया है. इस पानी का किसी भी काम के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता क्योंकि इसमें सीमेंट जैसी पतली सामग्री है. डेढ़ माह पहले बहुत सी मछलियां मर गईं थी.

कुछ रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा लगता है कि चीन में नदी क्षेत्रों में सीमेंट से जुड़ा कुछ काम चल रहा है. गहरी बोरिंग से जुड़ा काम होने की आशंका है.

त्रिपुरा: बैंक कर्मचारी के अपहरण मामले में नौ गिरफ्तार

अगरतला: त्रिपुरा ग्रामीण बैंक के चार कर्मचारियों के अपहरण के सिलसिले में नौ बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया गया और उनके पास से 38 लाख रुपये बरामद किए गए.

गोमती ज़िले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एएसपी नबद्वीप जमतिया ने कहा कि शनिवार रात राजधानी अगरतला के कृष्णनगर इलाके से सभी नौ अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया गया.

जमतिया ने कहा, बदमाशों ने शुरुआत में 65 लाख रुपये की फिरौती मांगी थी लेकिल 50 लाख रुपये मिलने के बाद चारों को छोड़ दिया. शनिवार रात की गई छापेमारी में बदमाशों के पास से 38 लाख रुपये बरामद किए गए.

गत 25 नवंबर को चारों कर्मचारी- शाखा प्रबंधक तन्मय भट्टाचार्य (30), सहायक प्रबंधक (28) और कर्मचारी रक्तिम भौमिक (31) व सुब्रत देबबर्मा (32) काम के बाद घर लौट रहे थे जब उन्हें गोमती ज़िले में तैदू इलाके में अपहृत कर लिया गया.

बदमाशों ने त्रिपुरा ग्रामीण बैंक के चार कर्मचारियों की रिहाई के लिए 65 लाख रुपये की फिरौती मांगी थी. एक दिसंबर की सुबह करीब सात बजे खोवई जिले के तेलियामुरा उप मंडल में माणिक बाजार के समीप अपहृत लोगों को रिहा कर दिया गया.

रिहाई के बाद बैंक कर्मचारियों ने मोबाइल फोन पर अपने परिवार के सदस्यों से बात की. इसके बाद उन्हें उनके घर ले जाया गया.

एएसपी ने कहा कि उन्हें एक दिसंबर को छोड़ दिया गया.

रक्तिम ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा, उन्होंने अपहरण करने से पहले मुझो और तन्मय को मारा पीटा. हमें जंगल में मीलों चलने को मजबूर किया गया, यहां तक कि पेड़ों से बांधा गया.

उन्होंने बताया कि अपहरणकर्ता हर दिन अपना ठिकाना बदलते थे और उन्हें दूषित खाना-पानी दिया.

मणिपुर: संगई हिरण ख़तरे में

संगई प्रजाति का हिरण. (फोटो साभार: विकिपीडिया)
संगई प्रजाति का हिरण. (फोटो साभार: विकिपीडिया)

इम्फाल: संगई हिरण की प्रजाति ख़तरे में है और उनके लिए नए आवास की जरूरत है. दरअसल लोकटाक झील के निकट स्थित केईबुल लामजाओ नेशनल पार्क इन हिरणों का वर्तमान और इकलौता आवास है तथा उस पर आने वाली प्राकृतिक आपदा या महामारी पूरी प्रजाति को जोखिम में डाल सकती है.

वन विभाग ने थोउबल जिले के पमलेन पट में ताजे पानी की झील की पहचान की है जो मणिपुर की इस प्रजाति के हिरणों के लिए एक उपुयक्त स्थान साबित हो सकती है. मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव अनुराग बाजपेयी ने समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा को बताया कि स्थानीय मछुआरों ने इस विचार का विरोध किया है क्योंकि इसका उनकी आजीविका पर प्रभाव पड़ सकता है.

वाजपेयी ने कहा, फिलहाल वन विभाग स्थानीय लोगों का भरोसा जीतने के लिए कई उपाय आजमा रहा है. उनकी आजीविका के लिए अन्य साधन खोजे जा रहे हैं.

वर्ष 2016 में हुई गणना में लोकटाक झील में संगई हिरणों की संख्या 260 पाई गई थी.

वन अधिकारी ने बताया कि बीते कुछ वर्षों में संगई हिरणों की संख्या में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है. यह प्रजाति 1950 के दशक में लगभग लुप्त हो गई थी. 1975 में केवल 14 हिरण देखे गए थे.

पूर्वोत्तर के हाईकोर्ट के न्यायाधीश विशेष भत्ते के हक़दार नहीं: कानून मंत्रालय

नई दिल्ली: देश के पूर्वोत्तर राज्यों के चार उच्च न्यायालयों में नियुक्त न्यायाधीश उस विशेष आर्थिक भत्ते के हकदार नहीं हैं जो अखिल भारतीय सेवाओं के पूर्वोत्तर कैडर के सभी अधिकारियों को प्राप्त है.

कानून मंत्रालय ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का हवाला देते हुए यह बात गुवाहाटी उच्च न्यायालय को बताई.

कानून मंत्रालय के न्याय विभाग ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को सूचित किया, पूर्वोत्तर राज्यों के उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को अतिरिक्त आर्थिक प्रोत्साहन भत्ते के अनुदान के लिए दिए गए प्रस्ताव पर सहमति नहीं बनी है.

इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के सितंबर 2015 के फैसले का संदर्भ देते हुए न्याय विभाग ने कहा कि इस मामले को फिर से कार्मिक विभाग को भेजा गया है.

पिछले महीने की 27 तारीख को भेजे गए पत्र में कहा गया, हालांकि उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि सातवें वेतन आयोग ने अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी को मिलने वाले विशेष भत्ते को किसी अन्य सेवा को नहीं देने की अनुसंशा की है और सरकार ने इस सिफारिश को स्वीकार कर लिया है.

पत्र में इस बात पर ध्यान दिलाया गया कि पूर्वोत्तर कैडर के अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को अन्य भत्ते के अलावा उनके मूल वेतन का 25 प्रतिशत विशेष भत्ते के रूप में दिया जाएगा ताकि वह लंबी अवधि तक यहां काम करें.

गुवाहाटी, मेघालय, मणिपुर और त्रिपुरा के उच्च न्यायालयों में कुल 24 न्यायाधीश नियुक्त हैं.

कानून मंत्रालय की ओर से हाल में जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक इन अदालतों में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 37 है यानि यहां 13 न्यायाधीशों की कमी है.

मिजोरम: म्यांमार के 1000 से ज़्यादा नागरिकों ने शरण ली

आइजोल: म्यांमार के अराकान के 1,000 से ज्यादा लोगों ने मिज़ोरम के दक्षिणी लॉन्गतलाई जिले में शरण ली है क्योंकि म्यांमार की सेना ने अराकान उग्रवादियों पर कार्रवाई शुरू की है.

एक सरकारी बयान में बीते 29 नवंबर को कहा गया है कि मिज़ोरम सरकार शरणार्थियों को सभी संभव सहायता मुहैया करा रही है. अस्थायी शिविरों का निर्माण किया जा रहा है और विस्थापित लोगों को खाना मुहैया कराया जा रहा है. उन्होंने लॉन्गतलाई जिले के चार गांवों में शरण ली है.

बयान के मुताबिक, ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 635 महिलाओं समेत म्यांमार के 1,157 नागरिकों ने लॉन्गतलाई जिलों- जोचाछुह, हमांगबूछुआह, दुम्जौत्लंग और लैतलांग गांवों में शरण ली है.

मिज़ोरम: राष्ट्रपति ने कहा, राज्य केंद्र की एक्ट ईस्ट नीति का अहम हिस्सा

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद. (फोटो: पीटीआई)
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद. (फोटो: पीटीआई)

आइजोल: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मिज़ोरम को खास बताते हुए कहा कि राज्य केंद्र की एक्ट ईस्ट नीति के केंद्र में है जिसका लक्ष्य राज्य को नए बाजारों तक पहुंच मुहैया कराना है.

बीते 30 नवंबर को राष्ट्रपति ने विधानसभा के एक विशेष सत्र में कहा कि नीति से मिज़ोरम के कृषि उत्पादों एवं पारंपरिक उत्पादों को इस तरह के बाजारों तक पहुंचने में मदद मिलेगी और साथ ही राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी और इंटरनेट संपर्क बेहतर होगा.

उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया का कई उद्योगों पर अच्छा प्रभाव होगा. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के सीमावर्ती होने को लेकर एक गलत धारणा है और   इससे अलग यह एक प्राचीन व्यापार गलियारे का केंद्र है.

राष्ट्रपति ने कहा कि मिज़ोरम का भूगोल उसकी सबसे बड़ी संपदा हो सकता है और सरकार ऐसा सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रही है.

उन्होंने कहा कि मिज़ोरम खास है क्योंकि वह एक बेहद परिपक्व एवं गौरवपूर्ण राजनीतिक संस्कृति की वजह से अलग स्थान रखता है.

राष्ट्रपति ने राज्य के अपने पहले दौरे में कहा कि मिज़ोरम विधानसभा   लोकतंत्र के लिए एक आदर्श है और विधानसभा कैसे काम करे, यह इसकी प्रेरणा देता है.

उन्होंने साथ ही 1986 के मिजो समझौते की भी सराहना की और कहा कि इसे अब भी पूरी दुनिया में एक शानदार उदाहरण माना जाता है.

कोविंद ने कहा कि पूर्वोत्तर के इस राज्य के लिए पिछले 50 साल उपलब्धियों के साथ कठिनाइयों वाले भी रहे हैं और राज्य के लोग इन उपलब्धियों के हकदार हैं.

उन्होंने कहा, आज नगालैंड इतिहास रचने के मुहाने पर खड़ा है. वर्षों के उग्रवाद के बाद उम्मीद पैदा हुई है. राज्य की जनता, सिविल सोसाइटी संस्थाओं और सभी पक्षों के सहयोग के साथ स्थायी शांति हासिल करने का यह एक अवसर है.

केंद्र सरकार और एनएससीएन (आईएम) ने 2015 में एक मसौदा समझाौते पर हस्ताक्षर किए थे. इसके बाद नगालैंड में स्थायी शांति की उम्मीदें बढ़ गईं.

कोविंद ने कहा कि नगालैंड में कोई विपक्ष नहीं है और इसने भी राजनीतिक समस्याओं को हल करने तथा स्थायी शांति लाने का अवसर पैदा किया है.

नवंबर, 2015 से राज्य में सभी विधायक सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक अलायंस ऑफ नगालैंड के हैं.

असम: नायडू ने दिव्यांग जनों के लिए योजना शुरू की

गुवाहाटी: उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने रविवार को एक ऐसे समावेशी समाज का आह्वान किया जहां दिव्यांगजनों से कोई भेदभाव नहीं हो.

अंतरराष्ट्रीय विकलांग जन दिवस के अवसर पर गुवाहाटी में दीनदयाल दिव्यांगजन सहज्य योजना का शुभारंभ करते हुए नायडू ने कहा कि लोगों को दिव्यांगजनों के साथ संवेदना जतानी चाहिए ना कि सहानुभूति.

इस योजना के तहत राज्य का हर दिव्यांग व्यक्ति अपने उपचार के लिए एक बार 5,000 रुपये की अनुदान राशि लेने का हकदार होगा.

असम: क्या आफस्पा को संवेदनशील ज़िलों तक सीमित किया जा सकता है?

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: संसद की एक समिति ने बीते 27 नवंबर को सरकार और एक अर्द्धसैनिक बल के शीर्ष अधिकारियों से असम में आफस्पा लगाए जाने के बारे में पूछताछ की और सवाल किया कि क्या इसे राज्य के संवेदनशील जिलों तक ही सीमित किया जा सकता है, जैसा कि अरुणाचल प्रदेश में किया गया है.

कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम की अध्यक्षता वाली गृह मंत्रालय से जुड़ी स्थायी समिति को गृह सचिव राजीव गौवा और असम राइफल्स के वरिष्ठ अधिकारियों ने भारत के पूर्वोत्तर के राज्यों की सुरक्षा स्थिति के बारे में जानकारी दी.

त्रिपुरा: केंद्र की योजनाओं के बल पर चुनाव में उतरेगी भाजपा

नई दिल्ली: भाजपा का मानना है कि त्रिपुरा में माकपा के 25 साल के शासन को ख़त्म करने के उसके अभियान को व्यापक आर्थिक सुधारों से नहीं बल्कि एलपीजी सिलेंडर से बल मिलेगा.

त्रिपुरा भाजपा अध्यक्ष बिप्लब कुमार देब ने कहा कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत 3.33 लाख गरीब महिलाओं को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन दिए गए.

उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि राज्य में कुल 25 लाख में से आधे से ज्यादा मतदाताओं को इस योजना से लाभ मिला और हर परिवार में औसत चार सदस्य होते हैं.

त्रिपुरा और मेघालय में अगले साल फरवरी में चुनाव होने हैं.

देब ने समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा से कहा, केंद्र सरकार की उज्ज्वला जैसी कल्याणकारी योजनाओं की सफलता हमारे अहम मुद्दों में से एक होगी. हमारा दूसरा मुद्दा वाम दल का भय का शासनकाल है. लोग हमारे साथ हैं.

उन्होंने उम्मीद जताई अगले साल राज्य में उनकी पार्टी पहली बार सरकार बनाएगी.

त्रिपुरा की वाम सरकार को लंबे समय तक रही अराजकता की स्थिति के बाद शांति स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है और उसके मुख्यमंत्री माणिक सरकार की 19 साल के नेतृत्व के दौरान साफ छवि रही है.

बहरहाल, देब ने कहा कि माणिक सरकार के बारे में सकारात्मक धारणा   चालाक मार्केटिंग का नतीजा है. उन्होंने कहा कि एक प्रधानाचार्य को उसके स्कूल के प्रदर्शन के आधार पर परखा जाना चाहिए ना कि वह कैसा लगता है, इस आधार पर.

उन्होंने वाम मोर्चे की सरकार पर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ हिंसा करने का आरोप लगाते हुए कहा, हमारे तीन आदिवासी नेताओं को मार दिया गया.

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि त्रिपुरा को मनरेगा से काफी फायदा मिला है और यह मोदी सरकार के प्रयासों की वजह से ही हुआ.

भाजपा वर्ष 2013 के चुनाव में 60 सदस्यीय विधानसभा सीट में से एक भी सीट नहीं जीत पाई थी लेकिन वर्ष 2014 में शाह के पार्टी की कमान संभालने के बाद से राज्य में उसने आक्रामक अभियान चलाया है और पूर्वोत्तर राज्य में अपनी मौजूदगी बढ़ाई है.

देब ने कहा कि भाजपा राज्य में सभी विधानसभा उपचुनावों और स्थानीय चुनावों में त्रिपुरा के बाद दूसरे नंबर पर आई और पार्टी सभी 60 सीटों से अपने उम्मीदवार खड़े करेगी.

अरुणाचल प्रदेश: कांग्रेस ने दोलो और दीनी को बनाया उम्मीदवार

इटानगर: अरुणाचल प्रदेश में विपक्षी उम्मीदवार ने बीते शनिवार को पक्के-केसांग विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए कामेंग दोलो को और लिकाबाली विधानसभा सीट के लिए मोदाम दीनी को अपना प्रत्याशी घोषित किया.

दोनों ही सीटों पर उपचुनाव 12 दिसंबर को होगा.

पार्टी प्रवक्ता हिना कामदेर तोक ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दोलो और दीनी की उम्मीदवारी को मंजूरी दे दी है.

राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जोमदे केना का इस साल चार सितंबर को निधन होने के बाद लिकाबाली सीट रिक्त हुई.

पक्के-केसांग सीट इसलिए रिक्त हुई क्योंकि गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने भाजपा के पूर्व मंत्री अतुम वेली की याचिका पर दोलो का चुनाव रद्द घोषित कर दिया था. दोलो 2014 में हुए चुनाव में निर्विरोध जीते थे और राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री थे.

वेली ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि दोलो ने जालसाजी कर उन्हें चुनाव से बाहर करवाया था.

मेघालय: बांग्लादेश सीमा से एक वर्ष में 10,000 गायें जब्त

शिलॉन्ग: बीएसएफ ने पिछले एक वर्ष में मेघालय में 12 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की 10 हज़ार से अधिक गायें जब्त की हैं जिनकी तस्करी भारत-बांग्लादेश सीमा पार की जा रही थी.

गायों के अलावा बीएसएफ जवानों ने मादक पदार्थ के तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली खांसी की सिरप, शराब और मोटरसाइकिलें भी जब्त कीं.

बीएसएफ के एक प्रवक्ता ने यहां कहा, एक दिसंबर 2016 से इस वर्ष 30 नवंबर तक कुल मिलाकर 12.71 करोड़ रुपये मूल्य की 10,169 गायें सीमा पर जब्त की गईं.

असम: गुवाहाटी में पांच दिसंबर से अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मार्ट

नई दिल्ली: केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय पूर्वोत्तर राज्यों के साथ मिलकर 5 से 7 दिसंबर तक गुवाहाटी में अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मार्ट (आईटीएम) का आयोजन करेगा जिसका उद्घाटन असम के राज्यपाल जगदीश मुखी करेंगे.

एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार पूर्वोत्तर राज्यों में पर्यटन को प्रोत्साहन देने पर विचार-विमर्श के साथ-साथ एक्ट ईस्ट पॉलिसी के उद्देश्यों के तहत आसियान देशों के साथ पूर्वोत्तर राज्यों का संपर्क अधिक बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. इससे आसियान और पूर्वोत्तर राज्यों के बीच अंतर-क्षेत्रीय पर्यटन को विकसित करने में मदद मिलेगी.

आईटीएम 2017 में पूर्वोत्तर राज्य विकास मंत्रालय द्वारा भी सक्रिय भागीदारी की जाएगी, जिससे पूर्वोत्तर राज्यों में पर्यटन के विकास की प्रक्रिया को गति प्रदान की जा सके.

छठे अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मार्ट के आयोजन का उद्देश्य क्षेत्र में पर्यटन की संभावना को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार के सामने प्रस्तुत करना है. समारोह से पूर्वोत्तर राज्यों के उद्यमियों और पर्यटन व्यापार से जुड़े व्यक्तियों को एक दूसरे से मिलने का अवसर मिलेगा.

कार्यक्रम में 29 देशों से 76 खरीदार प्रतिनिधिमंडल भागीदारी करेंगे. इनमें मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, भूटान, ब्रुनेई, कनाडा, चीन, कंबोडिया, साइप्रस, फिजी, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, केन्या, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, नीदरलैंड, फिलीपींस, पुर्तगाल, सिंगापुर, स्पेन, तंजानिया, थाइलैंड, अमेरिका, ब्रिटेन, वियतनाम, तुर्की और दक्षिण कोरिया शामिल हैं.

मणिपुर: उपायुक्त का पहाड़ी इलाके में मोबाइल टावर लगाने का अनुरोध

Telecom Twitter
(प्रतीकात्मक फोटो साभार: ट्विटर)

इंफाल: मणिपुर के उपायुक्त ने रिलायंस जियो इंफोकॉम के चेयरमैन मुकेश अंबानी से अनुरोध किया है कि संचार सुविधाओं को बढ़ावा देने के लिए वह तामेंगलोंग जिले के सुदूर पहाड़ी इलाकों में अधिक संख्या में मोबाइल सिग्नल टावर लगाए.

तामेंगलोंग जिले के उपायुक्त आर्मस्ट्रांग पामे ने अंबानी को इस संबंध में चिट्ठी लिखी है. गौरतलब है कि तौसेम में उप संभागीय मजिस्ट्रेट रहने के दौरान पामे ने सरकारी मदद के बगैर 100 किलोमीटर लंबी पक्की सड़क बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

इस महीने की शुरूआत में लिखी अपनी चिट्ठी में पामे ने कहा है कि यदि वह सुदूर पहाड़ी इलाकों में और मोबाइल टावर लगा सकते हैं तो वहां के लोगों के लिए यह सपना पूरा होने जैसी बात होगी.

2009 बैच के आईएएस अधिकारी का कहना है कि अभी लोगों को अपना आवेदन जमा करने के लिए भी एक-दो दिन पैदल चलकर उपायुक्त कार्यालय तक आना पड़ता है. ऐसे में संचार व्यवस्था दुरूस्त होने से उन्हें बहुत लाभ होगा क्योंकि तब वह अपने आवेदन ऑनलाइन जमा कर सकेंगे.

उन्होंने बताया कि अंबानी को उनका पत्र मिल गया है और रिलायंस जियो के मुंबई एवं गुजरात कार्यालय ने उनसे संपर्क किया है.

नगालैंड: तय कार्यक्रम के मुताबिक होगा विधानसभा चुनाव

कोहिमा: चुनाव आयोग (ईसी) ने बीते 28 नवंबर को कहा कि नगालैंड विधानसभा चुनाव तय कार्यक्रम के मुताबिक होगा.

मुख्य निर्वाचन अधिकारी एके जोति के नेतृत्व वाली टीम ने संवाददाताओं से बात करते हुए यह जानकारी दी. टीम में चुनाव आयुक्त ओपी रावत और सुनील अरोड़ा, उप चुनाव आयुक्त सुदीप जैन और महानिदेशक दिलीप शर्मा शामिल हैं.

जोति ने कहा, नगालैंड विधानसभा का कार्यकाल मार्च 2018 में समाप्त हो रहा है और उससे पहले चुनाव करा लिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि सभी संबंधित पक्षों पर विचार करने के बाद तारीख की घोषणा की जाएगी.

यह पूछने पर कि क्या उन्हें नगालैंड के लोगों की अवधारणा के बारे में पता है या राज्य सरकार ने उन्हें बताया है कि चुनाव से ज्यादा महत्वपूर्ण समाधान है और क्या चुनावों की घोषणा होने से पहले नगा राजनीतिक मुद्दे के समाधान तक पहुंच जाने के बारे में उन्हें बताया गया है. इस पर उन्होंने ना में जवाब दिया.

उन्होंने कहा, न तो हमने मुख्यमंत्री से मुलाकात की है न ही सरकार ने इन मुद्दों के बारे में हमें सूचित किया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)