फ़र्ज़ी शिक्षा बोर्ड बनाकर 20 हज़ार से ज़्यादा लोगों को ठगा

अखिल भारतीय स्तर पर चल रहा था ​फ़र्ज़ीवाड़ा, डिग्री लेकर कई विदेश गए, कुछ बाबू बन गए, छह लोग गिरफ़्तार.

बोर्ड आॅफ हायर सेकेंडरी एजुकेशन की वेबसाइट का मुखपृष्ठ.

अखिल भारतीय स्तर पर चल रहा था फ़र्ज़ीवाड़ा, डिग्री लेकर कई विदेश गए, कुछ बाबू बन गए, छह लोग गिरफ़्तार.

बोर्ड आॅफ हायर सेकेंडरी एजुकेशन की वेबसाइट का मुखपृष्ठ.
बोर्ड आॅफ हायर सेकेंडरी एजुकेशन की वेबसाइट का मुखपृष्ठ.

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने छह लोगों की गिरफ्तारी के साथ 2012 से अखिल भारतीय स्तर पर चल रहे एक फर्जी स्कूल शिक्षा बोर्ड का भंडाफोड़ किया है. इसने जाली अंक पत्र और प्रमाण पत्र जारी करके 20,000 से ज्यादा लोगों के साथ ठगी की है.

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि गिरोह एक वेबसाइट चलाता था और फर्जी बोर्ड की विश्वसनीयता स्थापित करने के लिए कर्मचारियों की नौकरी समेत विज्ञापन भी देता था. इसने दूर-दराज इलाकों में क्षेत्रीय कार्यालय स्थापित किए.

अधिकारी ने कहा कि वे निजी स्कूलों को मान्यता देने के लिए 10,000 से 50,000 रुपये वसूलते थे. गिरफ्तार आरोपियों ने पुलिस को बताया कि सिर्फ 2012 में ही पांच हजार से अधिक उम्मीदवारों को ऐसे जाली अंक पत्र दिए गए. इन उम्मीदवारों ने लखनऊ के क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय से पासपोर्ट हासिल कर लिए और इन जाली अंक पत्रों के आधार पर विदेश में नौकरियां भी हासिल कर लीं.

उन्होंने यह भी दावा किया ऐसे कई व्यक्ति उप्र पुलिस, रेलवे, डाक घर, सेना और अर्द्धसैनिक बलों आदि जैसे विभिन्न सरकारी महकमों में नौकरी कर रहे हैं. पुलिस इन दावों की तहकीकात कर रही है.

पुलिस ने कहा कि इस गिरोह का नेटवर्क समूचे भारत में फैला हुआ है और शिक्षा विभाग और अन्य सरकारी महकमों के साथ साठगांठ की संभावनाओं को खारिज नहीं किया जा सकता है.

11 सितंबर को पुलिस को एक शिकायत मिली की कोई बोर्ड ऑफ हायर सकेंडरी एजुकेशन दिल्ली के नाम से अंक पत्र जारी कर रहा है. पूर्वी रेंज के संयुक्त पुलिस आयुक्त रविंद्र यादव ने बताया कि पुलिस ने अंक पत्र प्राप्त किए और मानव संसाधन विकास मंत्रालय तथा दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग से अंक पत्रों का सत्यापन कराया तो सामने आया कि बोर्ड ऑफ हायर सकेंडरी एजुकेशन दिल्ली फर्जी बोर्ड है.

उन्होंने कहा कि बोर्ड के द्वारा जारी अंक पत्र भी फर्जी हैं. शाहदरा की पुलिस उपायुक्त नूपुर प्रसाद की अगुवाई में आरोपियों को पकड़ने के लिए एक टीम गठित की गई.

पुलिस को तफ्तीश में मालूम पड़ा कि प्रशांत सोलंकी (22) ने शिकायतकर्ता को फर्जी अंक पत्र दिया. उसे सितंबर में यहां गोकलपुरी के वजीराबाद रोड से गिरफ्तार किया गया.

कुछ महीने के अंदर ही गिरोह में शामिल अन्य व्यक्तियों को भी दबोच लिया गया. सोलंकी ने पुलिस को बताया कि वह कंप्यूटर ऑपरेटर के तौर पर काम करते हैं और बलजीत सिंह (24) से ये जाली अंक पत्र प्राप्त करते हैं.

इसके बाद सिंह को दिल्ली के बुराड़ी से गिरफ्तार कर लिया गया है. उसे मांगे राम आचार्य उर्फ मनीष प्रताप सिंह के स्थान पर बोर्ड का निदेशक नामित किया गया था. आचार्य फर्जी बोर्ड गिरोह का मास्टरमाइंड है और फिलहाल राजस्थान की एक जेल में है.

विकासपुरी में बोर्ड के दफ्तर पर छापेमारी कर रामदेव शर्मा (65) समेत अन्य को गिरफ्तार कर लिया गया. शर्मा ने बताया कि बोर्ड का अध्यक्ष शिव प्रसाद पांडे (65) है और लखनऊ से बोर्ड का संचालन करता है. इसके बाद पांडे को दो दिन पहले लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया गया.