नई दिल्ली: कांग्रेस ने बुधवार (4 सितंबर) को आरोप लगाया कि अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के आंकड़ों से पता चलता है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने वित्तीय संकट से जूझ रहीं 10 कंपनियों को अडानी समूह द्वारा खरीदे जाने के बाद उन कंपनियों के अपने बकाये में 74% ‘कटौती’ की.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि एआईबीईए के आंकड़ों से पता चलता है कि जिन बैंकों ने वित्तीय संकट में फंसी 10 कंपनियों से 62,000 करोड़ रुपये वसूली का दावा किया था, अडानी समूह द्वारा इन कंपनियों का अधिग्रहण करने के बाद बैंकों ने सिर्फ 16,000 करोड़ रुपये में अपने ऋण का निपटान कर लिया.
जयराम रमेश ने कहा, ‘अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़ों के माध्यम से खुलासा किया है कि कैसे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को आर्थिक रूप से तनावग्रस्त 10 कंपनियों से लगभग 62,000 करोड़ रुपए के दावों का निपटारा करना था, लेकिन नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री के पसंदीदा बिजनेस ग्रुप द्वारा इन कंपनियों के अधिग्रहण के बाद उन्हें 16,000 करोड़ रुपए पर ही समझौता करना पड़ा.’
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़ों के माध्यम से खुलासा किया है कि कैसे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के आर्थिक रूप से तनावग्रस्त 10 कंपनियों से लगभग 62,000 करोड़ रुपए के क्लेम्स सेटल करने थे, लेकिन नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री के पसंदीदा बिजनेस ग्रुप… pic.twitter.com/Yl3477KTAe
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 4, 2024
उन्होंने तंज कसते हुए कहा, ‘अर्थव्यवस्था की रंगीन भाषा में कहें तो यह बैंकों द्वारा लिया गया 74% ‘हेयरकट’ है.’
कांग्रेस लगातार अडानी समूह के खिलाफ आरोपों को लेकर केंद्र की भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार पर हमला बोल रही है. पार्टी ने अडानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की जरूरत पर भी जोर दिया है.
कांग्रेस ने अडानी समूह द्वारा सौर परियोजना के लिए चीनी कंपनियों के साथ सहयोग करने की रिपोर्ट को लेकर भी मोदी सरकार पर निशाना साधा था.
कांग्रेस नेता ने कथित तौर पर एआईबीईए द्वारा साझा किए गए विवरण का एक स्क्रीनशॉट भी साझा किया, जिसमें दिखाया गया है कि अडानी समूह द्वारा खरीदी गई कंपनियों पर अपने बकाया ऋण के निपटारे में बैकों ने 96% से लेकर 42% तक का नुकसान उठाया.