अमेरिका: गौतम अडानी पर भारतीय सरकारी अधिकारियों को करोड़ों की रिश्वत देने का आरोप, वॉरंट जारी

अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय ने कहा है कि गौतम अडानी व्यक्तिगत रूप से रिश्वतखोरी के इस षड्यंत्र में शामिल थे जब ‘सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने के लिए भारत सरकार के अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर से अधिक की रिश्वत देने का वादा किया गया.’ इस अभियोग के बाद अमेरिकी जज ने अडानी के ख़िलाफ़ 'अरेस्ट वॉरंट जारी किया है.'

/
अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी. (फोटो साभार: फेसबुक/Adani Group)

नई दिल्लीः सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन और अमेरिका के अटॉर्नी कार्यालय ने उद्योगपति गौतम अडानी पर ‘बड़े पैमाने पर रिश्वतखोरी’ का आरोप लगाया है. 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस अभियोग के बाद न्यूयॉर्क के जज ने गौतम अडानी के खिलाफ अरेस्ट वॉरंट जारी किया है. 

अटॉर्नी कार्यालय ने अपने बयान में कहा है कि अडानी पर व्यक्तिगत रूप से रिश्वतखोरी के इस मामले में शामिल होने का आरोप है. साल 2020 से 2024 के बीच उन्होंने इस सिलसिले में भारत सरकार के एक अधिकारी से मुलाकात की थी, ‘अभियुक्त अक्सर मिलते थे और रिश्वतखोरी योजना के बारे में चर्चा करते थे.’

बयान में कहा गया है, ‘सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने के लिए भारत सरकार के अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर से अधिक की रिश्वत देने का वादा किया गया था.’

अडानी समूह के प्रमुख गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर को अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के अधिकारियों के रूप में उनकी भूमिका के लिए दोषी ठहराया गया है. साथ ही समूह की एज़्योर पावर ग्लोबल लिमिटेड के एक कर्मचारी- सिरिल कैबेन्स पर भी आरोप लगाया गया है. 

गौतम और सागर अडानी के खिलाफ सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) की शिकायत में उन पर फ़ेडरल सिक्योरिटी कानूनों के धोखाधड़ी विरोधी प्रावधानों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है. 

एक समानांतर कार्रवाई में ब्रुकलिन की एक संघीय अदालत में अटॉर्नी कार्यालय के आरोपों के आधार पर गौतम और सागर अडानी के साथ अडानी ग्रीन के साल 2020 से 2023 तक सीईओ रह चुके विनीत एस. जैन पर  धोखाधड़ी की साजिश रचने, झूठे और भ्रामक बयानों के आधार पर अमेरिकी निवेशकों और वैश्विक वित्तीय संस्थानों से अरबों डॉलर धन प्राप्त करने की योजना को लेकर आपराधिक अभियोग जारी किया है.  

अभियोग में न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में प्रतिभूतियों का कारोबार करने वाली एक नवीकरणीय-ऊर्जा कंपनी के पूर्व अधिकारियों, रंजीत गुप्ता और रूपेश अग्रवाल के साथ साथ एक कनाडाई संस्थागत निवेशक के पूर्व कर्मचारियों- सिरिल कैबेन्स, सौरभ अग्रवाल और दीपक मल्होत्रा ​​पर भी रिश्वत योजना के संबंध में विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम का उल्लंघन करने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है. 

एफबीआई के प्रभारी सहायक निदेशक जेम्स ई. डेनेही ने बताया कि ‘गौतम अडानी और सात अन्य व्यावसायिक अधिकारियों ने कथित तौर पर अपने व्यवसायों को लाभ पहुंचाने के लिए भारत सरकार को रिश्वत दी. अडानी और अन्य अभियुक्तों ने भी रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के संबंध में झूठे बयानों के आधार पर पूंजी जुटाकर निवेशकों को धोखा दिया, और कथित तौर पर रिश्वतखोरी की साजिश को छिपाने के लिए सरकार की जांच में बाधा डालने का प्रयास किया.’

अटॉर्नी कार्यालय के आरोप 

अटॉर्नी कार्यालय के आरोप इस प्रकार हैं: 

अटॉर्नी कार्यालय का आरोप है, ‘साल 2020 और 2024 के बीच, अभियुक्त भारत सरकार द्वारा सौर ऊर्जा आपूर्ति अनुबंध प्राप्त करने के लिए भारत सरकार के अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर से अधिक रिश्वत देने के लिए सहमत हुए, इस अनुबंध को प्राप्त करने के बाद अभियुक्तों की कंपनियों को लगभग 20-वर्ष की अवधि के भीतर 2 बिलियन डॉलर से अधिक मुनाफा होने का अनुमान था.’

अभियोग में कहा गया है कि इस सिलसिले में कई अवसरों पर गौतम अडानी ने व्यक्तिगत रूप से भारत सरकार के एक अधिकारी से मुलाकात की. अभियुक्तों ने इस सिलसिले में बैठकें भी की. 

एसईसी के आरोप 

एसईसी के बयान में कहा गया है, ‘अडानी ग्रीन ने अमेरिकी निवेशकों से 175 मिलियन डॉलर से अधिक जुटाए और एज़्योर पावर के स्टॉक का न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में कारोबार किया.’ 

एसईसी के अनुसार, गौतम और सागर अडानी ने ‘एक योजना बनाई जिसमें भारत सरकार के अधिकारियों को रिश्वत के रूप में सैकड़ों मिलियन डॉलर का भुगतान करना या भुगतान करने का वादा शामिल था’ ताकि वो बाजार से ऊंची दरों पर ऊर्जा खरीद सके, जिससे अडानी ग्रीन और एज़्योर पावर को फायदा हो सके. इस कथित धांधली की शुरूआत 2021 में हो गई थी, जब अडानी ग्रीन ने दावा किया था कि उसने 750 मिलियन डॉलर जुटाए, जिसमें अमेरिकी निवेशकों से जुटाए गए लगभग 175 मिलियन डॉलर शामिल थे. 

कांग्रेस की प्रतिक्रिया 

इन आरोपों के सामने आने के बाद विपक्षी दल कांग्रेस ने कारोबारी पर निशाना साधा है.

कांग्रेस के महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा है, ‘न्यूयॉर्क के पूर्वी ज़िले के अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय द्वारा गौतम अडानी और उनसे जुड़े अन्य लोगों पर गंभीर आरोप लगाना उस मांग को सही ठहराता है जो कांग्रेस जनवरी 2023 से विभिन्न मोदानी घोटालों की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) जांच के लिए कर रही है. कांग्रेस ने हम अडानी के हैं कौन (एचएएचके) श्रृंखला में इन घोटालों के विभिन्न पहलुओं और प्रधानमंत्री एवं उनके पसंदीदा पूंजीपति के बीच के घनिष्ठ संबंधों को उजागर करते हुए 100 सवाल पूछे थे, इन सवालों के जवाब आज तक नहीं दिए गए हैं.’

वह लिखते हैं, ‘इस ख़ुलासे के बाद सेबी  की नाकामी भी एक बार फ़िर से सामने आती है, जो अडानी ग्रुप द्वारा प्रतिभूतियों और अन्य कानूनों के उल्लंघन की जांच कर रहा है और ग्रुप को उसके निवेश के स्रोत, शेल कंपनियों, आदि के लिए ज़िम्मेदार ठहराने में पूरी तरह से विफल रहा है.’

‘आगे का सही रास्ता यही है कि अडानी महाघोटाले में प्रतिभूति कानून के उल्लंघनों की जांच को पूरा करने के लिए एक नए और विश्वसनीय सेबी प्रमुख को नियुक्त किया जाए, और इसकी पूरी जांच के लिए तुरंत एक जेपीसी का गठन किया जाए,’ जयराम रमेश ने लिखा. 

इस बीच अडानी ग्रुप ने एक्स पर एक पोस्ट करके इन सभी आरोपों को निराधार बताया है.